पूज्य सतगुरु जी ने बाल स्वरूप में दर्शन दिए -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार रहमत
सेवादार बहन शमां इन्सां पुत्री सचखण्ड वासी श्री वजीर चंद शाह सतनाम जी पुरा जिला सरसा से लिखती है कि बात 1979 की है। एक रात जब मैं सुमिरन करके सोई, तो मुझे मेरे सतगुरु पूज्य परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने स्वप्न में दर्शन दिए। मुझे सतगुरु जी के बाल स्वरूप में दर्शन हुए। जब सतगुरु जी का बाल स्वरूप नूरी चेहरा मेरी आंखों के सामने आया तो नूरानी बॉडी से नूरी प्रकाश के झरने फूट रहे थे।
मेरी रूह सतगुरु के सुन्दर बाल-स्वरूप की तरफ इस कद्र खींची गई कि मेरी देखने की तड़प उतनी ही बढ़ती गई और दर्शन करके मेरा जी नहीं भरा। दिल में था कि देखती ही जाऊँ। कभी बाल स्वरूप की जगह परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के दर्शन होते तो कभी बाल स्वरूप में अजनबी बालक के। बीच-बीच में परमपिता शाह सतनाम जी महाराज और अजनबी नौजवान दोनों बॉडियों के स्टेज पर दर्शन होते। यह सिलसिला पूरी रात चलता रहा। सुबह जब मैं उठी तो मुझे कुछ समझ नहीं आया कि यह मालिक का क्या खेल था।
मैंने यह स्वप्न अपने बड़े भाई सतीश कुमार को तथा डेरे में दीदी खुशजीत को भी बताया। दीदी ने मुझे बताया कि तुझे परमपिता जी ने अपने बचपन का स्वरूप दिखाया होगा। मैंने दीदी को यह बात भी बताई कि उस समय बाल स्वरूप की आयु 12-13 वर्ष की होगी। इस सारे खेल की समझ मुझे 23 सितम्बर 1990 को आई, जब कुल मालिक परमपिता जी ने कुल मालिक हजूर पिता जी को डेरा सच्चा सौदा में अपना जानाशीन नियुक्त करके प्रकट कर दिया।
उस समय मुझे पूज्य हजूर पिता जी (संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) के दर्शन करके इतनी खुशी हुई कि मैं उसका ब्यान नहीं कर सकती। सतगुरु ने मुझ नाचीज को इतने वर्ष पहले ही दर्शन देकर निहाल कर दिया और दिखा दिया कि हम (परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज) हैं। हमारा ये स्वरूप (पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) आगे आने वाला है। हम दयालु दातार के चोजों को क्या समझ सकते हैं। मालिक अपनी रहमत करके ही हमें यह सब कुछ समझा सकते हैं। मेरी परम पूजनीय हजूर पिता जी के चरण-कमलों में यही अरदास है कि सेवा-सुमिरन का बल बख्शना जी व हमारी ओड़ निभा देना जी।