सम्पादकीय Editorial
संतों के लिए ना कोई बैरी है न ही कोई बेगाना है। सबके लिए उनका व्यवहार परमार्थ, दूसरों की खुशी के लिए होता है। संत सबके भले के लिए हमेशा दुआ करते हैं। संत कभी भी किसी को बुरा नहीं कहते, कभी किसी का बुरा नहीं करते।
वो कभी किसी का बुरा सोचते भी नहीं, करना तो बहुत दूर की बात है। संत, पीर-फकीर कभी-कभार जब किसी के प्रति सख्त अलफाजों का इस्तेमाल करते भी हैं, इसमें भी पता नहीं उस व्यक्ति के कितने ही बुरे कार्य जलकर राख हो जाते हैं। इसलिए उनके वचनों को कभी भी गलत तरीके से नहीं जानना चाहिए।
पानी चाहे कितना भी गर्म हो कभी भी घरों को जला नहीं सकता, बल्कि जख्मों के लिए और भी एंटीबॉयटिक का काम करता, जख्मों को साफ कर देता है जब उसमें नीम के पत्ते उबले हों या, नीम का रस मिला हो। इसलिए संत यदि किसी को कोई सख्त वचन करते भी हैं तो समझ लेना चाहिए कि उस इन्सान का आने वाला कोई भयानक करम खत्म हो गया है। इसलिए उनके वचनों का बुरा नहीं मानना चाहिए। बल्कि अपने अन्दर उन्हें बसा लेना चाहिए, धारण कर लेना चाहिए। यह इन्सान के भले के लिए होता है और हमेशा भला ही होता है।
जिस तरह वृक्ष अपना फल खुद नहीं खाते, वो दूसरों के लिए पैदा करते हैं और सरवर अपना पानी खुद नहीं पीता। उनका यह परोपकार दूसरों के लिए होता है, उसी तरह संत, पीर-फकीर परमार्थ के लिए, दूसरों की खुशी के लिए, परमानन्द देने के लिए संसार पर आते हैं।
तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पींवहि न नीर।
परमार्थ के कारणै संतन भइओ शरीर।।
पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का पाक-पवित्र जीवन पर उपकारों की प्रत्यक्ष मिसाल है। जिस प्रकार आप जी का नूरी बचपन परोपकारो ंसे भरा है, उसी तरह डेरा सच्चा सौदा में आप जी ने परोपकारों की लहर चलाई है। आप जी के मानवता के प्रति परोपकार वर्णन से परे हैं।
Editorial पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का जन्म 15 अगस्त 1967 को पूजनीय पिता नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी के घर पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां की पवित्र कोख से हुआ। आप जी श्री गुरुसर मोडिया तहसील सूरतगढ़ जिला श्री गंगानगर(राजस्थान) के रहने वाले हैं। गांव के बहुत ही प्रसिद्ध संत श्री त्रिवैणी दास जी ने आप जी के जन्म से पहले और जन्म के बाद जो भविष्यवाणी पूज्य बापू जी के आगे और सारे नगरवासियों के आगे की थी, ज्यों का त्यों सच साबित हुआ। नगरवासियों ने खुद अपनी आंखों से इस सच्चाई को देखा है।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 23 सितम्बर 1990 को आप जी को डेरा सच्चा सौदा गुरगद्दी पर बतौर तीसरे पातशाह विराजमान किया और वचन किए, ‘हम थे, हैं और हम ही रहेंगे।’ गुरगद्दी पर विराजमान होकर आप जी ने रूहानियत के साथ-साथ परमार्थ, दूसरों की खुशी व मानवता के भले के लिए बढ़-चढ़कर कार्य किए। मानवता भलाई के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का नाम आज पूरे विश्व में जाना जाता है।
डेरा सच्चा सौदा व साध-संगत आप जी द्वारा निर्देशित भलाई कार्याें के प्रति तन-मन-धन से समर्पित है। पवित्र अवतार दिवस (15 अगस्त) मुबारक होवे जी।
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