Avoid sweat problem - Sachi Shiksha

पसीना वैसे तो प्राकृतिक रूप से आता है लेकिन उसमें वृद्धि करते हैं आजकल के सौंदर्य प्रसाधन तथा कपड़े। ये कपड़े पसीने के प्रकोप में एक अहम भूमिका निभाते हैं। पसीने के कारण लोग किसी भी समूह में बैठने से हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि पसीने से आने वाली बदबू उनका मजा किरकिरा कर सकती है।

इसी पसीने व बदबू के डर से लोग घर से बाहर निकलना पसंद नहीं करते और घर पर ही कृत्रिम हवा में बैठकर पसीने से मुक्ति पाना चाहते हैं। लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसका हल न खोजा जा सके। थोड़ी सी मेहनत से हम पसीने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। हमें गर्मी में धूप में आवश्यकता से अधिक नहीं निकलना चाहिये। यदि जरूरी काम हो तो पैदल जाने की अपेक्षा आटो आदि वाहनों से जाया जा सकता है।

सुबह शाम हमें रोज साबुन से नहाना चाहिये क्योंकि सबसे लाभप्रद नहाना ही होता है जिससे मानसिक शांति मिलती है। शरीर में अनावश्यक बालों की सफाई भी कर देनी चाहिये और बगलों जैसे अंतरंग भागों की सफाई अच्छी तरह से करनी चाहिये।

डियोडोरेन्ट युक्त साबुन से नहाने से बदबू नहीं आती क्योंकि डियोडोरेन्ट पसीने से मिश्रित बदबू वाले कीटाणुओं को नष्ट करने में सहायता करता है। डियोडोरेन्ट मिश्रित साबुन से नहाकर इसी तत्व मिश्रित पाउडर को नहाने के बाद जरूर लगाना चाहिये लेकिन यह बात यहां ध्यान देने योग्य है कि कोई दवा तभी लाभप्रद होती है जब उसे वांछित नियमों से प्रयोग किया जाये।

अत: डियोडोरेन्ट पाउडर का प्रयोग करने से पहले बगलों में स्थित बालों को हटा देना चाहिये क्योंकि पसीना आने से उसकी बदबू वृद्धि में बाल एक अहम भूमिका अदा करते हैं।

पसीने में वृद्धि के दूसरे कारण हैं कपड़े क्योंकि पसीने को रोकने व बढ़ाने में कपड़े एक अहम भूमिका अदा करते हैं। गर्मी में कपड़े बनवाते समय कुछ समयानुकूल बातों का ध्यान रखना चाहिये। नायलान, टेरीन, पोलिस्टर, चाइनीज आदि किस्मों के कपड़ों में हवा प्रवेश नहीं कर पाती, अत: इनको पहनने से पसीना अधिक आता है।

गर्मी के दिनों में जालीदार सूती वस्त्र प्रयोग करने चाहिये क्योंकि सूती वस्त्र इन दिनों बहुत ही अच्छे होते हैं। इनमें हवा आसानी से प्रवेश कर जाती है जिससे ये शरीर में ठंडक प्रदान करते हैं व पसीना सूखने में सहायता प्रदान करते हैं। गर्मी के दिनों में ढीले ढाले कपड़े पहनने चाहिये। इन ढीले कपड़ों को पहनने से पसीना रुकने में मदद मिलती है एवं कपड़े पहनने में सुकून मिलता है।

यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है कि कपड़ों व पसीने के बीच रंगों की एक अहम भूमिका है। आंखों को अप्रसन्न लगने वाले रंग के कपड़े कभी भी इस मौसम में नहीं पहनने चाहिये जैसे लाल व काला रंग क्योंकि काला रंग ऊष्मा का शोषक होता है जिससे काले कपड़े पहनने में सुख मिलने की बजाय कष्ट ही पहुंचेगा, इसलिये इन दिनों सफेद व हल्के रंग कपड़े ही प्रयोग करने चाहिये।

पसीने से राहत पाने के बाद अब प्रश्न कौंधता है कि पसीना क्यों आता है तथा कहां से आता है। डॉक्टरों एवं वैज्ञानिकों के अनुसार शरीर में पसीने की गं्रथियां होती हैं जिन्हें पसीना ग्रंथि कहते हैं। ये त्वचा के हर हिस्से में पायी जाती हैं। इन ग्रंथियों से नमकीन स्वाद जैसा पानी निकलता है। विच्छेदन से पता चला है कि इसमें यूरिया, नमक व अन्य शारीरिक गंदगियां निकलती हैं। निकलने वाले इस द्रव को पसीने के नाम से पुकारते हैं।

पसीना हमारे लिये जितना असुविधाजनक है उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद है। यह हमारे शारीरिक तापक्रम को नियंत्रित करता है। शरीर की आन्तरिक गंदगी, पसीने के रूप में बाहर निकलती है। पसीने से संबंधित ग्रंथियों की क्रि याविधि, वातावरण के तापमान पर आधारित है। जब तापमान साधारण या निम्न होता है तो पसीना नहीं आता। इसके विपरीत जब तापमान उच्च होता है तो पसीना भी अत्यधिक आता है।

पसीने में जो बदबू आती है वह विशेष जीवाणुओं के कारण आती है। हमारे शरीर में पाये जाने वाले ये बैक्टीरिया उस जगह अधिक क्रियाशील होते हैं जहां गर्मी अधिक रहे तथा पसीना ज्यादा देर टिका रहे। यही कारण है कि हम सबकी बगलों में पसीने के साथ बदबू भी आती है।

-एच. एन. सौनकिया

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