बच्चा बड़ा हो जाता है तो मां-बाप काफी हद तक बेफिक्र हो जाते हैं लेकिन सतगुरु अपने शिष्य की हर पल अंगुली पकड़ कर रखता है। क्योंकि सतगुरु के लिए जीव हमेशा एक नन्हा बच्चा है। Editorial
सतगुरु अपने शिष्य का दोनों जहान में रक्षक होता है। जब तक जीव इस मातलोक में रहता है, यहां भी पल-पल उसकी संभाल करता है और जब यह लोक छोड़कर परलोक (अगले जहान) में जाता है, वहां पर भी उस जीव के साथ रह कर काल-कार्माें के लेखे-पत्तों से उसे सुरक्षित करता है। सतगुरु के गुणों का वर्णन हो ही नहीं सकता।
कबीर साहिब जी की वाणी में आता है
सभु समुंद की मसि करूं,
लेखनि सब बनराइ।
धरती सब कागद करूं,
गुरुगुन लिखा न जाइ।।
सतगुरु मुर्शिदे कामिल के परोपकारों की गणना हो ही नहीं सकती। जो सतगुरु जान ही बख्श दे, मुर्दाें को जिंदा कर दे, जो चौरासी के कैदखाने में बंदी रूहों को अपने रहमोकरम से मुक्त कर दे और जीव को निजघर पहुंचा दे, क्या इससे बड़ा कोई परोपकार हो सकता है? बेशक दुनिया में अनेक परोपकारी इन्सान हैं और अपनी सामर्थ्यानुसार परोपकार करते हैं। जैसे एक कैदखाने में बंद कैदियों को कोई गर्मी के मौसम में ठंडा शर्बत पिला देता है या कोई अच्छे-अच्छे खाने बना कर खिला देता है या कोई सर्दी के मौसम में अच्छे गर्म कपडृे पहना देता है।
जाहिर है, कैदियों की भूख-प्यास कुछ देर के लिए दूर हो जाती है। कुछ समय के लिए सर्दी से बचाव हो जाता है। इन परोपकारों के होते हुए कैदी तो कैद में ही रहते हैं। एक और परोपकारी सज्जन आता है जिसके पास कैदखाने की चाबी है, वह सभी को कैदखाने से आजाद कर देता है। उसका यह परोपकार कहने-सुनने से बाहर है, जिसने उन्हें आजाद कर दिया और उन्हें घर-घर पहुंचा दिया। इसी तरह सतगुरु ऐसा ही परोपकार सृष्टि-जगत के प्रति करता है जो अधिकारी रूहों को निजधाम, सचखण्ड पहुंचा देता है। बच्चा बड़ा हो जाता है तो मां-बाप काफी हद तक बेफिक्र हो जाते हैं लेकिन सतगुरु अपने शिष्य की हर पल अंगुली पकड़ कर रखता है। क्योंकि सतगुरु के लिए जीव हमेशा एक नन्हा बच्चा है। सच्चा गुरु, पीरो-मुर्शिद अपने शिष्य को हर पल गाइड करता, समझाता व संवारता रहता है।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज दाता रहबर ने जीव-समाज पर जो अपना परोपकार किया है, प्रत्यक्ष रूप में हम सभी दुनिया में देख रहे हैं और इसकी मिसाल जग-जाहिर है। ‘सतगुरु रूप वटा जग आया।’ पूजनीय सतगुरु ने जो चाहा, जो फरमाया, जीवोद्धार के लिए अपना रहमो-करम करके दिखाया। पूजनीय परम पिता जी का रहमो-करम डेरा सच्चा सौदा में जर्रे-जर्रे में नजर आ रहा है। सतगुरु प्यारे पूजनीय गुरु जी के पावन दिशा निर्देशन में आज विश्व के करोड़ों लोग सतगुरु प्यारे के रहमो-करम को अनुभव कर रहे हैं। सतगुरु बेपरवाह जी की रहमत को अपनी आंखों से सब देख रहे हैं।
28 फरवरी का यह पाक-पवित्र दिन पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का गुरुगद्दी नशीनी दिवस है। आज के दिन, 28 फरवरी 1960 को पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने पूजनीय परम पिता जी को डेरा सच्चा सौदा गुरुगद्दी पर बतौर दूसरे पातशाह विराजमान किया। पूजनीय परम पिता जी ने करीब 31 वर्ष तक डेरा सच्चा सौदा रूपी फुलवाड़ी को अपने रहमो-करम से इस तरह महकाया कि कण-कण में आप जी के रहमो-करम की महक महसूस हो रही है।
पूजनीय परम पिता जी ने 23 सितम्बर 1990 को पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को बतौर तीसरे पातशाह डेरा सच्चा सौदा गुरुगद्दी पर विराजमान करके साध-संगत पर अपना बहुत ही महान रहमोकरम किया है। इसलिए 28 फरवरी का यह पाक-पवित्र दिवस पूजनीय गुरु जी के पावन दिशा निर्देशन अनुसार डेरा सच्चा सौदा में हर साल महा-रहमोकरम दिवस के रूप में, भण्डारे के रूप में धूम-धाम से मनाया जाता है।
यह पवित्र महा रहमोकरम दिवस हर साल साध-संगत के लिए खुशियों की सौगात लेकर आता है। पूजनीय मौजूदा गुरु जी की रहमत से आज देश-विदेश में करोड़ों की गिनती में साध-संगत है। सारी साध-संगत आज महा रहमोकरम दिवस पर खुशी में फूले नहीं समा रही। पवित्र भण्डारे की खुशियां वर्णन से परे हैं।
आज के इस पवित्र दिहाड़े की ढेर सारी मुबारिकें हों जी।