जिंदगी में सफलता हासिल करने के सूत्र
जिंदगी में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है। किसे सफलता पसंद नहीं? पर फिर भी जब भी हम असफल होते हैं तो इसका दोष किस्मत के माथे मंड देते हैं।
जब सफल होते हैं तो उसका सारा श्रेय जाने अनजाने खुद लेते हैं। अगर आपको अक्सर ऐसा लगता है कि सफलता आपके हाथ नहीं आ रही, तो शायद अब आपको अपनी कोशिशों में बदलाव आने की जरूरत है। अपनी असफलता को सफलता की सीढ़ी बना लें।
आप की यहां भी वाह वाह और वहाँ भी। दोनों हाथों में लड्डू होंगे आपके। कहते हैं मन जीते जग जीत। आप यदि हार भी गए हैं, पर अंदर से आपने अपने आप को पकड़ रखा है तो आप गिरेंगे नहीं और यदि गिर भी गए हैं तो बहुत जल्द उठ खड़े होंगे। हमारी शान न गिरने में नहीं है बल्कि जितनी बार गिरें, उठ खड़े होने में है हमारी शान।
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किस्मत की बात भूल जाएँ, करें इरादा पक्का।
सफलता-असफलता तो जिंदगी में लगी ही रहती है। हमें अपने कर्मों को इतना साध लेना चाहिए कि हमसे गलती न हो। पर यदि हो जाए और आप असफल हो जाएँ, तो किस्मत को दोष देने की बजाय बिलकुल सहज हो अपने को टटोलें, कि कहाँ चूक हुई।
जीवन में कुछ बातें या घटनाएं संयोगवश हो सकती हैं। लेकिन आप अगर इस इंतजार में रहेंगे कि सब कुछ अपने आप अकस्मात ही आपको हासिल होगा तो शायद तो आप सारी जिंÞदगी इंतजार ही करते रह जायेगे, क्योंकि संयोग हमेंशा तो नहीं हो सकता। जब तक आप किसी संयोग का इंतजार करते रहेंगे, आप व्यग्र रहेंगे। लेकिन जब आप पक्के इरादे के साथ अपनी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ेंगे तब यह बातें मायने नहीं रखतीं कि क्या हुआ और क्या नहीं हुआ।
आपके साथ जो हुआ कम से कम वह आपके वश में होगा और जो भी परिणाम प्राप्त होगा वह आप के कर्मों का पहल होगा। इससे आप सुकून का जीवन व्यतीत कर पाएंगे। उठें और चल दें। मंजिल व सफलता यदि लक्ष्य है तो आप अपनी यात्रा व्यवस्थित व प्लानिंग से शुरू करेंगे। फिर सफलता तो निश्चित है ही। हम हर पल सफलता के बारे में ही सोचें। मछली की आँख को ही देखने वाली अर्जुन की आँख हो आपके पासं। सफलता निश्चित है।
विफलताओं से कभी निराश न हों:
लक्ष्य के प्रति समर्पित इंसान के लिये विफलता जैसी कोई चीज नहीं होती। अगर एक दिन में आप सौ बार गिरते हैं तो इसका मतलब हुआ कि आपको सौ सबक मिल गए। अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाएँ, तो आपका दिमाग भी उसी तरह सुनियोजित हो जाएगा।
जब आपका दिमाग सुनियोजित रहेगा तो आपकी भावनाएं भी उसी के अनुसार रहेंगी, क्योंकि जैसी आपकी सोच होगी, वैसी ही आपकी भावनाएं होंगी। एक बार जब आपकी सोच और आपकी भावनाएं सुनिश्चित हो जाएंगी, आपकी ऊर्जा की दिशा भी वही होगी और फिर आपका शरीर भी एक लय में आ जाएगा। जब यह चारों एक दिशा में बढ़ें तो लक्ष्य हासिल करने की आपकी क्षमता गजब की होगी। आप अपने भाग्य के रचयिता होंगे।
जो कामयाब होने वाला है मुश्किलें उसकी जिंदगी का हिस्सा है,
और जो कामयाब हो चुका है मुश्किलें उसकी जिंदगी का किस्सा है।
सोचें कि आप मीठा मीठा ही खाते जायेंगे, कब तक हजम कर पाएंगे। नमकीन ही नहीं कुछ खट्टे मीठे, कड़वे स्वाद ही हमारे सफलता रुपी पाचक रस को मजबूत करते हैं।
सदैव स्पष्ट सोच के साथ काम करें:
आत्मविश्वास से अधिक स्पष्ट का होना। यदि आप किसी भीड़ को पार कर कहीं पहुंचना चाहते हैं, आपकी दृष्टि सही जगह पर है और आप देख पा रहें हैं कि भीड़ कहाँ खड़ी है, तो आप बहुत आसानी से बिना किसी से टकराये अपना रास्ता बनाते हुए अपनी मंजिल तक पहुँच जायेंगे। लेकिन आपकी नजर सही जगह पर नहीं है और महज विश्वास है, तो आप हर किसी से टकराते रहेंगे। लोगों को लगता है कि महज उनका आत्मविश्वास ही उनके अंदर की स्पष्टता की कमी को पूरा कर देगा। लेकिन ऐसा कतई नहीं है।
सफलता पाने के लिए मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास के साथ साथ अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्टता भी होना जरूरी है। अगर आप स्पष्ट हैं अपनी सोच में तो उधेड़ बुन में आपकी शक्ति व समय नष्ट नहीं होगा। दिमाग में सटीक योजना होगी तो हाथ स्वत्: ही स्पीड से बिना रुके काम करते चले जाएंगे। फिर काम काम नहीं होगा, एक पूजा हो जायेगी एक खेल हो जाएगा जिसे आप स्वयं महसूस करेंगे। फिर सफलता तो निश्चित है ही।
हर उस व्यक्ति और चीजों को अपनाएँ, जो आपको नापसंद हैं।
जीवन में हमें अलग अलग किरदार निभाने पड़ते हैं। लेकिन अधिकतर लोगों का व्यक्तित्व पत्थर की तरह होता है, जो हमेंशा उन पर हावी रहता है। अगर आप ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं, ऐसे व्यक्ति को साथी बना लें, जिसे आप अब तक नापसंद करते रहे हों। उस व्यक्ति के साथ समय बिताएं, उन कामों को करने की आदत डालें जो आपको अब तक नापसंद थे। एक विचारक संत का कहना है दिन में दो काम ऐसे करें जो आपको नापसंद हों। धीरे धीरे आपके मन के ही सब काम होते जाएंगें।
मुझे क्या मिलेगा का हिसाब किताब करना छोड़ दें
मुझे क्या मिलेगा या मेरा क्या होगा, इसकी चिंता छोड़कर अगर अपने जीवन के लक्ष्य पर ध्यान देंगें तो आप एक असाधारण व्यक्ति बन जाएंगे। बस, अपने दिमाग से ’मेरा क्या होगा’ की चिंता निकाल दें। और अपनी क्षमता के हिसाब से बेहतरीन काम करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें। आप खुद ही असाधारण व्यक्ति हो जाएंगे, क्योंकि तब आपका मकसद अपने आसपास की दुनिया को बेहतर करना होगा। हमेंशा बनिए की तरह हिसाब लगाने की बजाय जीवन को खिलाड़ी की तरह खेलें। जीत हार छोड़ आप सिर्फ खेलें और खेलने का वह आनंद आपको सफलता दिलाएगा ही।
आप देखें कि बच्चे भरी धूप में क्रिकेट खेलते हैं, बीच में ठंडा पानी पी लेंगे। दांत मार अलग पड़ती है, पर क्या मजाल ग्राउंड छोड़ घर आ जाएँ। यही बात जब वह पैसे के लिए खेलते हैं, तो मुंह पिचक जाएगा। क्योंकि अब वह खेल भावना से नहीं, पैसे के लिए खेल रहे हैं। भले सफलता मिल जाए पर चेहरे का सुकून गायब हो जाता है।
सफलता पानी है तो आपके पास जूनून होना चाहिए।
सुनील मेहता
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