समाज में आज भी लिंग असमानता का दुष्प्रभाव देखने को मिल जाता है। Self Defence बेशक बेटियां आज अपनी क्षमता एवं कौशल के बलबूते आसमां में नई उंचाइयां छू रही हैं, लेकिन लड़कियों व महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा, छेड़खानी और बुरा बर्ताव सालों से इस समाज का कड़वा सच बने हुए हैं और दुर्भाग्य से आज भी चिंता का विषय बना हुआ है।
कुछ दिनों पहले मीटू मूवमेंट ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया था। इस मूवमेंट से पता चला कि, न सिर्फ आम व गरीब लड़कियों को छेड़खानी, यौन हिंसा, प्रताड़ना आदि से गुजरना पड़ता है, बल्कि इससे दुनिया की मशहूर व शक्तिशाली महिलाएं तक सुरक्षित नहीं रह पाई हैं। सभी को किसी न किसी मोड़ पर किसी तरह की हिंसाओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें यौन उत्पीड़न व शारीरिक हिंसा काफी आम हैं।
इस स्थिति से निकलने के लिए बालिकाओं व महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेंस काफी जरूरी हो जाता है। जो लड़कियां खुद को सुरक्षा के मद्देनजर इतना संबल बना लेंगी कि समाज में बुरे बर्ताव का मुंह तोड़ जबाव देना आ जाए तो अभिभावक के मन से बसा वह संकोच भी समाप्त हो जाएग जो उन्होंने बेटियों को लेकर पाला हुआ है।
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महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेंस कैसे मददगार होगा?

Self Defence आत्मरक्षा सिखा रही सरकार
देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के बढ़ते हुए मामले देखकर सरकार ने महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग रक्षा की शुरूआत की। इसमें सभी सरकारी स्कूलों व अन्य स्कूलों में छठी क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक की लड़कियों को सेल्फ डिफेंस तकनीक सिखाई जा रही है। जिससे वह अपनी व्यक्तिगत चीजों, जैसे चाबी का गुच्छा, दुपट्टा, स्टॉल, मफलर, बैग, पेन-पेंसिल आदि को अपना हथियार बनाकर आत्मरक्षा कर सकती हैं और किसी भी प्रकार की हिंसा व छेड़खानी का मुंहतोड़ जवाब दे सकती हैं।
राज्य सरकारें भी इस तरह कई प्रोग्रामों का आयोजन करती रहती हैं, जैसे- ओडिशा की 2013 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं व लड़कियों को सशक्त करने, किसी भी प्रकार की शारीरिक हिंसा से आत्मरक्षा करने का तरीका सिखाने व उनमें आत्मनिर्भरता व समाज में अपनी पहचान खुद बनाने का साहस बढ़ाने के लिए एक यूथ पॉलिसी बनाई गई थी।
महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेंस टिप्स
यदि किसी महिला या लड़की के लिए कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की शारीरिक हिंसा का कारण बन रहा है, तो वह इन आसान, लेकिन खतरनाक टिप्स की मदद से उसको मुंहतोड़ जवाब देकर आत्मरक्षा कर सकती हैं। आइए, इन मददगार टिप्स के बारे में जानते हैं।
ग्रोइन किक
Self Defence अगर किसी महिला पर कोई व्यक्ति सामने से हमला करने की कोशिश करता है, तो ग्रोइन किक उसे धराशायी करने के लिए काफी है। इससे न सिर्फ आप उसके हमले से बच पाएंगी, बल्कि वहां से दूर भी जा पाएंगी। क्योंकि, इस तकनीक से वह कुछ सेकेंड तो उठ नहीं पाएगा। आत्मरक्षा के लिए इस टिप का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले खुद को जितना हो सके, स्थिर कर लें।
अब जो पैर आपका डोमिनेंट है, उसके घुटने को ऊपर की तरफ उठाएं और तेजी से अपने पैर को आगे फैलाते हुए सामने वाले व्यक्ति के ग्रोइन एरिया पर मारें। ग्रोइन एरिया पेट और जांघों के बीच का हिस्सा होता है। ध्यान रखें, व्यक्ति आपके पैर के रडार में होना चाहिए और आपके पैर की गति तेज होनी चाहिए।
महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेंस टिप-एल्बो हिट

इसके बाद थोड़ा-सा आगे की तरफ कमर झुकाएं और घूमकर अपनी कोहनी से पीछे खड़े हमलावर के मुंह, गले या ठुड्डी पर हमला करें। इससे उसकी पकड़ ढीली होगी और उसके बाद उसके पेट में कोहनी मारें, इससे वह जमीन पर गिर पड़ेगा।
फिंगर्स स्वोर्ड
यह टिप उस खतरनाक स्थिति में काफी मददगार साबित होता है, जब कोई हमलावर आपको किसी कोने में दबोच लेता है और आपके पास भागने या बचने के लिए कोई रास्ता नहीं बचता। लेकिन, आपको भागने या बचने की क्या जरूरत है, जब आप उसे उसकी भाषा में ही जवाब दे सकती हैं।
इसके लिए सबसे पहले अपने शरीर को सीधा व बैलेंस्ड करें। अब अपनी इंडेक्स व मिडिल फिंगर से सामने वाले व्यक्ति की आंखों में सीधा मारें या फिर उसकी कॉलरबोन के बीचोबीच जहां दोनों कंधों की हड्डी मिलती है, वहां मारें। इससे वह अस्थिर हो जाएगा और फिर उसकी पसलियों या ग्रोइन एरिया में तेज और जोरदार मुक्का मारें।
आत्मरक्षा: हाथ कैसे छुड़ाएं Self Defence

बोनस सेल्फ डिफेंस टिप्स Self Defence

डेरा सच्चा सौदा भी बेटियों को सिखा रहा आत्मरक्षा का गुर
डेरा सच्चा सौदा ने हमेशा ही बेटियों को बेटों के समान Self Defence अधिकार की पैरवी की है। यही वजह है कि बेटियों को आत्मरक्षा के योग्य बनाने के लिए बकायदा प्रशिक्षण शिविर भी समय-समय पर चलाए जाते रहे हैं।
पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दिशा-निर्देशन में लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए शिविरों का आयोजन होता है, जिसमें लड़कियों को अचानक आने वाली मानवकृत परेशानियों से निपटने के गुर सिखाए जाते हैं। बेटियों को कराटे जैसे इवेंट सिखा कर इतना योग्य बनाया जाता है कि वे किसी भी परिस्थिति में मुंह तोड़ जवाब दे सकें।
क्या कहते हैं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विनय कुमार गर्ग का कहना है कि आईपीसी की धारा 96 से लेकर 106 तक राइट टू सेल्फ डिफेंस का प्रावधान है। इसके तहत हर व्यक्ति अपनी सुरक्षा, अपनी पत्नी की सुरक्षा, अपने बच्चों की सुरक्षा, अपने करीबियों और अपनी संपत्ति की सुरक्षा कर सकता है। कुछ परिस्थितियों में यदि आत्मरक्षा में किसी की जान चली जाती है तो राइट टू सेल्फ डिफेंस के तहत रियायत मिल सकती है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य विनय कुमार गर्ग का कहना है कि आत्मरक्षा का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के अधिकार के तहत आता है। यह सिर्फ कानूनी अधिकार ही नहीं बल्कि हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। आप राइट टू सेल्फ डिफेंस यानी आत्मरक्षा के अधिकार के तहत सामने वाले को उतनी ही चोट या नुकसान पहुंचा सकते हैं, जितनी वह आप को पहुंचाना चाहता है।

































































