याद्दाशत खोने की समस्या, बढ़ाने के कई उपाय -मेंटल हेल्थ
किसी भी बात को दिमाग में याद न रखना कमजोर स्मरण शक्ति के लक्षण हैं। कभी-कभी इससे बहुत नुक्सान उठाना पड़ता है। खासतौर पर विद्यार्थियों को जो पाठ स्कूल में पढ़ाया जाता है, घर लौटते समय वह सब कुछ भूल जाते हैं। यही कारण होता है कि परीक्षा के दिनों में उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ता है। ठीक इसी प्रकार व्यापार करने वाले लोग अपनी भुलक्कड़पन की आदत से व्यापार को नष्ट कर देते हैं। शारीरिक कष्ट, मानसिक तनाव, क्रोध, ईर्ष्या, चिंता आदि से मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिससे याद्दाश्त कमजोर हो जाती है। जब कभी किसी व्यक्ति का मन किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति में लगा रहता है तो वह अन्य वस्तुओं या व्यक्तियों को भूल जाता है; इस प्रकार ध्यान न देने से हमारी याद्दाश्त प्रभावित होती है।
किसी भी बात को दिमाग में याद न रखना कमजोर स्मरण शक्ति के लक्षण हैं। कभी-कभी इससे बहुत नुक्सान उठाना पड़ता है। खासतौर पर विद्यार्थियों को जो पाठ स्कूल में पढ़ाया जाता है, घर लौटते समय वह सब कुछ भूल जाते हैं। यही कारण होता है कि परीक्षा के दिनों में उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ता है। ठीक इसी प्रकार व्यापार करने वाले लोग अपनी भुलक्कड़पन की आदत से व्यापार को नष्ट कर देते हैं।
शारीरिक कष्ट, मानसिक तनाव, क्रोध, ईर्ष्या, चिंता आदि से मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिससे याददाश्त कमजोर हो जाती है। जब कभी किसी व्यक्ति का मन किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति में लगा रहता है तो वह अन्य वस्तुओं या व्यक्तियों को भूल जाता है; इस प्रकार ध्यान न देने से हमारी याददाश्त प्रभावित होती है।
तर्क क्षमता और ज्ञान, दोनों ही स्मरण शक्ति पर आधारित होते हैं। सभी व्यक्ति अपनी क्षीण स्मरण शक्ति की चर्चा तो करते हैं लेकिन उसमें वृद्घि कैसे की जाये? इस पर विचार करने के लिए किसी के पास समय नहीं है। अब यह तो संभव नहीं कि आपकी स्मरण शक्ति एक ही रात में विकसित हो जाए लेकिन यहां आपको विस्तृत जानकारी और कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव दे रहे हैं, जिससे आप अपनी स्मरण शक्ति बढ़ा सकते हैं।
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भुलक्कड़पन के कारण और निदान:
भुलक्कड़पन के मुख्य कारणों में काम की अधिकता, थकान, उचित स्थान पर वस्तुओं को न रखना, जल्दबाजी, काम में अरूचि, क्रोध, भय और चिंता हैं।
भूलने की आदत को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय इस प्रकार हैं :-
- घर, आॅफिस, गाड़ी की चाबी को कार्य समाप्त होने के बाद अपने सूटकेस या किसी निश्चित स्थान पर रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर आसानी से ढूंढा जा सके।
- सभी कार्यों की एक सूची बनाकर कार्य करें और उसे उचित समय पर समाप्त करें।
- प्रत्येक वस्तु को एक निश्चित स्थान पर रखें, इधर-उधर न फेंकें।
- बस, ट्रेन पकड़ने की जल्दबाजी से बचने के लिए अपने आपको उचित समय दें।
- क्रोध, भय और चिंता ये तीनों बीमारियां, मस्तिष्क और शरीर को खोखला बना देती हैं। कहा भी गया है कि चिंता चिता के समान होती है। क्रोध को कम करें और अपने मन से डर को निकालें।
- यदि आपकी किसी काम में रूचि न हो तो उसे न करें।
- जब भी किसी को अपना पेन दें तो उसका ढक्कन अपने पास रखें, ताकि पेन को प्राप्त किया जा सके।
थकान का याददाशत शक्ति पर गलत प्रभाव:
अपनी स्मरण शक्ति को प्रखर बनाए रखने के लिए ‘थकान’ को दूर करना बहुत जरूरी होता है। मस्तिष्क के कार्य से मनुष्य को थकान ‘अनुभव’ नहीं होती, यह कहना बहुत कठिन है। वैज्ञानिकों ने इस विषय पर अध्ययन के पश्चात पाया कि, चेतनावस्था में मस्तिष्क में से जब खून गुजरता है तो उससे जरा भी थकान के लक्षण मौजूद नहीं होते। यदि आप किसी रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति की रगों से खून निकालकर जांच करवाएं तो उसमें थकान उत्पन्न करने वाला एक विषैला पदार्थ दिखाई देगा किंतु दूसरी ओर यदि आप मानसिक कार्य करते हैं, तो आपके रक्त में थकान उत्पन्न करने वाला विषैला पदार्थ नहीं मिलेगा। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हमारा मस्तिष्क दस-बारह घंटे काम करने के पश्चात भी उतनी तीव्रता दिखाता है जितना काम को आरंभ करने के समय दिखाता है। सवाल उठता है, यदि मस्तिष्क नहीं थकता तो ऐसे कौन से कारण हैं जो उसे थकाते हैं?
मानसिक विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि थकान का मुख्य कारण हमारे मस्तिष्क की भावनात्मक अवस्थाएं हैं, जो उसे थका देती हैं। उदाहरण के लिए यदि आप हर समय चिंता में खोए हुए रहते हैं या किसी बात को दिल से लगा लेते हैं तो ऐसी स्थिति में मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिससे धीरे-धीरे स्मरणशक्ति क्षीण होने लगती है। अत्यधिक शारीरिक परिश्रम करने से उत्पन्न थकान अच्छी नींद और आराम करने से दूर की जा सकती है, परंतु मानसिक चिंता और तनाव को दूर करना इतना आसान नहीं होता। यदि ऐसा नहीं हो पाता, तो मानसिक शक्ति का हृास होने लगता है। सिर-दर्द की शिकायत होती है और दिमाग पर जोर डालने के बावजूद कुछ याद नहीं आता।
शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए गहरी नींद की आवश्यकता होती है जिसके लिए निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान दें :-
- रात्रि में सोने का एक निश्चित समय होना चाहिए।
- सोने का कमरा खुला व हवादार होना चाहिए।
- बिस्तर आरामदायक होना चाहिए। गद्दे समतल होने चाहिए।
- रात्रि में ढीले कपड़े पहनने चाहिएं। जहां तक संभव हो सूती कपड़े ही पहनें।
- सोने से पहले चाय या कॉफी का प्रयोग न करें क्योंकि इससे नींद सही नहीं आती है।
- सोते समय दफ्तर की बातों और फाइलों के विषय पर विचार न करें।
स्मरण शक्ति (याददाश्त) बढ़ाने के घरेलू उपचार:
- जिन व्यक्तियों या विद्यार्थियों को स्मरण न रहता हो, उन्हें सेब का प्रयोग करना चाहिए। रोजाना भोजन से पहले एक या दो सेब बिना छिलका उतारे चबा-चबाकर खाने चाहिए। सेब अच्छी तरह धो पोंछकर खाएं।
- गाय के घी की मालिश सिर पर करने से भी स्मरण शक्ति सदैव तेज बनी रहती है।
- सौंफ को हल्की-हल्की कूटकर और उसके छिलके को उतारकर छलनी से छान लें। फिर जितनी छनी हुई सौंफ हो, उसमें उतनी ही पिसी हुई मिश्री मिलायें। सुबह और शाम एक-एक चम्मच गरम दूध के साथ फांकने से कुछ ही दिनों में स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा मस्तिष्क को ठंडक मिलती है।
- शाम को बादाम की गिरी के सात-आठ दाने पानी में भिगो दें और अगले दिन सुबह उसे छीलकर सिल पर दो-तीन काली मिर्च सहित बारीक पीस लें। फिर इसे एक पाव गरम दूध में मिलाएं और आंच पर रखकर दूध में दो उबाल दें। उसके बाद उसे नीचे उतारकर उसमें एक चम्मच देशी घी और दो चम्मच चीनी या बूरा डालकर मिलायें। इसे थोड़ा ठण्डा करने के बाद पी जाएं। रोजाना इसका सेवन करने से एक महीने में ही स्मरण शक्ति की दुर्बलता दूर हो जायेगी।
- रोज सुबह आंवले का मुरब्बा खाने से स्मरण शक्ति में वृद्घि होती है।
- सर्दियों में रोजाना चार अखरोटों का सेवन करें।
- एक प्याला आमरस, एक चम्मच अदरक का रस, चौथाई कप दूध और स्वादानुसार चीनी इन सबको मिलाकर पीयें।
- बादाम की गिरियों को चबा-चबाकर ऊपर से दूध पीते जाएं। गर्मियों में बादाम की ठंडाई पीने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- आठ-दस बादाम रात को पानी में भिगो दें। सुबह उसका छिलका उतारकर बारह ग्राम ताजा मक्खन और थोड़ी सी मिश्री मिलाकर खायें। कुछ ही दिनों में स्मरण शक्ति बढ़ जाएगी।
- उपर्युक्त सभी तरीकों का आवश्यकतानुसार प्रयोग करने से स्मरण शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।