लापरवाही न पड़े जिंदगी पर भारी -चिंता का विषय हैं सड़क हादसे
जब हमें कहीं दूर हुए सड़क हादसे के बारे में पता चलता है तो यह हमारे लिए एक खबर ही बन कर रह जाती है, चाहे इसमें कितनी जानें गई हों और ऐसी ख़बर दो-चार मिनट के बाद आई-गई हो जाती है और जब कहीं आस-पास कोई हादसा हुआ हो तो वो हमें जरूर विचलित कर जाता है जो हमें निराशा से भर देता है। ये हमारे लिए खबर नहीं एक सबक की तरह होती है। हमारी संवेदना का लावा फूट पड़ता है। पता नहीं हर रोज कितने लोगों को ऐसे दर्दनाक सड़क हादसों से गुजरना पड़ता है। कभी सोचते हैं हम? और सोचे भी कौन? ‘जाके पांव ना फटे बुवाई, वो क्या जाने पीड़ पराई।’ यही कारण है कि इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
हम बेशक गंभीर न हों, लेकिन हाल ही में एक रिपोर्ट ने सड़क हादसों के जो आंकड़े पेश किए हैं, वो बड़े चिंताजनक हैं। दिल्ली के सेंटर फार ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड र्इंजरी प्रिवेंशन द्वारा सड़क दुर्घटनाओं में होेने वाली मौतों पर चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट बताती है कि सड़क दुर्घटनाओं में प्रत्येक 3 मिनट में एक मौत हो रही है, जो हमारी सोच से परे है, क्योंकि हम रोजाना एक-दो हादसों के बारे में जान पाते हैं, जबकि रिपोर्ट के अनुसार स्थिति बड़ी विषम हो रही है। सड़क हादसे देश में प्रत्येक 3 मिनट में एक जिंदगी को निगल रहे हैं, जो बहुत अफसोसजनक है।
रिपोर्ट ने बताया कि वर्ष 2023 में देश में 4.8 लाख हादसे हुए जिसमें 1.72 लाख लोगों की जान गई। इनमें सबसे ज्यादा मौतें मानवीय चूक या लापरवाही से हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार, इनमें 35000 पैदल यात्री और 10000 बच्चे जान गंवाने वालों में शामिल हैं। हेल्मेट न पहनना और सीट बेल्ट न बांधने जैसी लापरवाही भी जान गंवाने का कारण बन रही है, क्योंकि इनमें बिना हेल्मेट के 54000 और बिना सीट बेल्ट के मरने वालों में 16000 लोग थे। सड़क दुर्घटनाओं में इतनी मौतों का होना दुखदायी स्थिति है। ये आंकड़े सिर्फ पढ़ने-सुनने को नहीं हैं। इनकी गहराई तक जाएं तो दिमाग की बत्ती गुल हो जाती है। हर 3 मिनट में एक मौत का होना मतलब हर 3 मिनट में कितने परिवार इस पीड़ा से गुजर रहे हैं।
कितनी अनमोल जानें असमय मौत के मुंह में जा रही हैं। जो गुजर गए सो गुज़र गए और उनके स्वजनों पर इन हादसों से जो चोट पड़ती है, उससे वो जिंदगी भर उभर नहीं पाते। इस रिपोर्ट में इन मौतों का बड़ा कारण जो मानवीय चूक या लापरवाही सामने आई है, उससे पार पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। एक छोटी-सी लापरवाही बहुत बड़े हादसे का कारण बन सकती है। हादसों को जन्म देती इन लापरवाहियों पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी हो गया है। बेशक इसके लिए बड़े अभियान चलाए जाते हैं। बड़े नियम बनाए गए हैं।
ट्रैफिक नियमों की पालना के लिए भी बड़े सख्त कदम उठाए जाते हैं। कठोर कार्यवाही भी की जाती हैं, लेकिन फिर भी मानवीय भूल का खतरा जिंदगी पर ज्यों का त्यों बना रहता है। इन सड़क दुर्घटनाओं से लगता है कि सड़क मार्ग सुरक्षित मार्ग नहीं रह गया है। जब तक अपने गंतव्य तक पहुंच नहीं जाते, लगता है कि जिंदगी दांव पर लगी हुई है, क्योंकि हम कितने भी सुरक्षित तरीके से जा रहे हैं किसी का क्या पता वो कितनी लापरवाही से आ रहा है।
हमें ये बात अच्छे से पल्ले बांध कर रखनी होगी कि सड़कों का मजबूत नेटवर्क हमारी यात्रा को सुगमय बनाने के लिए है, न कि लापरवाही भरे हादसों को जन्म देने के लिए सड़कों का जाल बिछाया गया है। रफ ड्राईविंग, ओवर स्पीड, ओवर टेकिंग, रांग साइड ड्राईविंग, ओवरलोडिंग इत्यादि ऐसे ये लापरवाही भरे नतीजे हैं जो हादसों को जन्म देते हैं और प्रत्येक तीन मिनट में परिवारों के चिराग बुझा रहे हैं।
ये भी 2023 की रिपोर्ट है। साल दर साल मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं, क्योंकि 2020 में 1.38 लाख, वर्ष 2021 में 1.53 लाख और 2022 में 1.68 लाख मौतें हुई थी इन हादसों में। इससे पता चलता है कि हर साल यह ग्राफ बढ़ रहा है। अभी भी हम न चेते तो आगे यह और भी डरावना होने वाला होगा।
हर किसी को इसके प्रति गंभीरता से सोचना होगा। एक जिम्मेवार नागरिक की तरह सबको अपना फर्ज़ निभाना होगा, ताकि आज जो किसी हादसे की खबर है, वो कल को अपने लिए दर्द भरा मंजर ना बन जाए। खतरे का भोपूं बज रहा है। हमारा सावधान होना नितांत जरूरी हो गया है।
सुरक्षित यातायात में डेरा सच्चा सौदा अपना अहम् योगदान दे रहा है। पूज्य गुरु संत डॉ. एमएसजी सेफ जर्नी (सुरक्षित यात्रा) को लेकर समय-समय पर अलर्ट करते रहते हैं। सिर्फ अलर्ट ही नहीं करते, बल्कि प्रैक्टिकली जीअ-तोड़ प्रयास करते हैं। यहां के करोड़ों श्रद्धालू नशों से रहित हो चुके हैं। सेफ ड्राइविंग के लिए नशा रहित होना जरूरी है। वहीं पूज्य गुरु जी का आह्वान है कि कभी भी जल्दबाजी न करें। आप घंटा-आध घंटा लेट पहुंच जाओगे, कुछ नहीं होता। स्पीड लिमिट में रखनी चाहिए। गाड़ियों के कागजात वगैरह पूरे व सही होने चाहिए। सवारियां सीट के हिसाब से बैठानी चाहिए। हमेशा सीट बेल्ट लगाकर बेठो। ड्राईवर को नींद न आए, इसके लिए उसके पास वो ही बैठे जो इसका पूरा ध्यान रखे।
अगर ड्राईवर को नींद आ रही हो तो उसे आराम के लिए समय दे दो। दुपहिया वाहन चलाने वालों को हैल्मेट पहनकर रखने के लिए पूरा जोर देकर कहा जाता है, ताकि कभी कुछ हो भी जाए, तो सिर की गंभीर चोट से बचा जा सके। आज करोड़ों अनुयायी पूज्य गुरु जी के वचनों पर अमल करके अपने-आपको व दूसरों से सेफ मोड में लेकर चलते हैं। वहीं डेरा के सेवादार घायलों को तुरंत ईलाज करवाने में अपनी अथाह भूमिका निभा रहे हैं। आवारा पशु भी रोड एक्सीडेंट का एक बड़ा कारण बनते देखे जाते हैं। डेरा की साध-संगत इनसे बचाने के प्रयास में लगी रहती है।
जहाँ भी सड़क किनारे आवारा पशु दिखते हैं, उनको वहाँ से हटाया जाता है और उनके गले में रिफ्लेक्टर बांधे जाते हैं, ताकि होने वाले किसी हादसे से लोगों को बचाया जा सके। डेरा श्रद्धालुओं को यातायात के नियमों का पालन करने का पूरा सबक पढ़ाया जाता है। यातायात नियमों के प्रति अनुयायियों का अनुशासन पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणाओं सदका ही है। यातायात के नियमों के प्रति ऐसी सजगता, सतर्कता का समाज हित में बड़ा कदम है।
यातायात के नियमों का करें पालन
सड़क हादसों को रोकने के लिए यातायात नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। इन यातायात नियमों को अपनाकर हम सड़क दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं और खुद के साथ-साथ दूसरों की जान भी बचा सकते हैं।
- गति सीमा का पालन करें: निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से वाहन चलाने से दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।
- सीट बेल्ट और हेलमेट पहनें: वाहन चलाते समय सीट बेल्ट और मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट पहनना अनिवार्य है।
- शराब पीकर गाड़ी न चलाएं: नशे में गाड़ी चलाने से आपकी निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।
- ट्रैफिक सिग्नल का पालन करें: ट्रैफिक सिग्नल का पालन करना जरूरी है, जैसे कि लाल सिग्नल पर रुकना और हरी सिग्नल पर आगे बढ़ना है।
- मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें: वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह आपके ध्यान को भटका सकता है।
- जेब्रा क्रॉसिंग से पैदल यात्रियों को पार करने दें: पैदल यात्रियों को जेब्रा क्रॉसिंग से पार करने दें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।
- सड़क के बायीं ओर चलें: पैदल चलने वाले और वाहन चलाने वाले दोनों को सड़क के बायीं ओर चलना चाहिए।
- अपनी लेन में चलें: अपनी लेन में ही चलें और लेन परिवर्तन से पहले सिग्नल दें।
- वाहन की नियमित जांच करें: ब्रेक, टायर, और लाइट्स की नियमित जांच करें ताकि आपका वाहन अच्छी स्थिति में रहे।