Amer Fort is a unique gem of Rajputana heritage.

आमेर किला राजपूताना विरासत का अनोखा नगीना

आमेर का किला राजस्थान राज्य की पिंक सिटी जयपुर में अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह किला अपनी वास्तुशिल्प कला और इतिहास की वजह से जाना-जाता है।

आमेर का किला भारत में इतना ज्यादा प्रसिद्ध है कि यहां रोजाना करीब पांच हजार से भी अधिक लोग घूमने के लिए आते हैं। राजस्थान की राजधानी से केवल 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह अंबर किला गुलाबी और पीले बलुआ पत्थरों से मिलकर बना हुआ है। यहां आने वाले पर्यटक रोजाना शाम को इस किले से अद्भुत नजारों को देख सकते हैं।

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आमेर का किला पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग के सामान है, इसलिए आप जब राजस्थान की सैर करने के लिए जाएं, तो आमेर के किले को देखना न भूलें।

आमेर किले का इतिहास:

आमेर पहले कछवाहों के शासन से पहले एक छोटा सा शहर था, जिसको मीनास नाम की एक छोटी सी जनजाति द्वारा बनाया गया था। इस किले को अपना नाम आमेर यानी भगवान शिव के एक नाम अंबिकेश्वर पर पड़ा है। पुराने समय में धुंदर के रूप में प्रसिद्ध इस शहर पर 11 वीं शताब्दी के दौरान कछवाहों का शासन रहा था। 1592 ई में राजा मान सिंह ने किले का निर्माण किया और अगले 150 वर्षों तक उनके उत्तराधिकारियों ने इस किले का विस्तार और नवीकरण का काम किया। पहले इस जगह का नाम कदीमी महल था जो भारत का सबसे पुराना महल है। इस महल में उनकी संरक्षक देवी ‘शीला माता’ को समर्पित एक छोटा मंदिर भी है जिसको राजा मान सिंह द्वारा बनाया गया था।

आमेर किले की वास्तुकला:

आमेर का किला पारंपरिक हिंदू और राजपुताना शैली में बना हुआ है, जिसको संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। यहां आपको प्राचीन शिकार शैलियों और महत्वपूर्ण राजपूत शासकों के चित्र देखने को मिलेंगे। आमेर का किला चार भागों में विभाजित है जिसका प्रत्येक भाग अपने अलग प्रवेश द्वार और आंगन से सजा हुआ है। इस किले के मुख्य द्वार को ‘सूरज पोल’ या सूर्य द्वार कहा जाता है जो मुख्य प्रांगण की ओर जाता है। पूर्व की ओर स्थित इस प्रवेश द्वार का नाम सूर्य द्वार उगते सूर्य के संबंध में इसकी स्थिति की वजह से पड़ा है। इस किले में सीढ़ियों की मदद से आप महल परिसर में ‘जलेब चौक’ नामक एक प्रभावशाली प्रांगण की तरफ पहुंच जाते हैं।

दीवान-ए-आम:

जैसा कि नाम से ही पता चलता है यह आम लोगों का एक हाल है। दीवान-ए-आम इस किले का दूसरा स्तर बनाता है और तीनों तरफ से खुला हुआ है। व्यापक मोजेक ग्लासवर्क से सजा हुआ यह हाल हाथियों के साथ दो स्तंभों के समर्थन पर खड़ा है। दीवान-ए-आम के सामने सुख निवास स्थित है जिसके दरवाजों को हाथी दांत से सजाया गया है।

सुख निवास:

दीवान-ए-आम के पास स्थित सुख निवास चंदन और हाथी दांत से बना है, बताया जाता है कि समय बिताने के लिए इस जगह का इस्तेमाल राजा सबसे ज्यादा करते थे, जिसकी वजह से इस जगह को सुख निवास कहा जाता है।

आमेर फोर्ट के पास खाना और स्थानीय भोजन:

आमेर किला जयपुर भारत के सबसे खास पर्यटक स्थलों में से एक है। जयपुर एक ऐसा शहर है जहां पर आप यहां पर एक से बढ़कर एक व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं। यहां पर कई ऐसे रंगीन स्थानीय भोजन उपलब्ध है जिसका स्वाद चखकर पर्यटक मोहित हो जाते हैं। महाराजाओं और महारानियों द्वारा प्रभावित एक पारंपरिक राजस्थानी थाली आप एक से बढ़कर एक चीजों का स्वाद चख सकते हैं। यहां के दाल बाटी चूरमा, इमरती और घेवर जैसी मिठाइयों और प्रसिद्ध चाट जैसे भव्य व्यंजनों को खाए बिना जयपुर की यात्रा अधूरी है। यहां की मिठाइयां बहुत लोकप्रिय हैं जिसमें घेवर, इमरती, हलवा, चोइर्मा, गजक, मूंग थाल और बहुत कुछ शामिल हैं। हालांकि जयपुर में बढ़िया भोजन के लिए कई विकल्प हैं लेकिन आप जहां के जोहरी बाजार की उत्तम और स्थानीय स्ट्रीट फूड का मजा भी ले सकते हैं।

शीश महल

शीश महल आमेर किले का एक सबसे प्रमुख आकर्षण है जो दर्पणों से मिलकर बना हुआ है। इस हाल का निर्माण इस तरह से किया गया है कि प्रकाश की कुछ किरणों से ही पूरा हाल उजाले से भर जाता है। बताया जाता है कि इस हाल को प्रकाशित करने के लिए सिर्फ एक एक मोमबत्ती की रोशनी ही काफी है।

एम्बर फोर्ट लाइट एंड साउंड शो:

जयपुर के आमेर किले में हर शाम पचास मिनट लंबा लाइट एंड साउंड शो दिखाया जाता है। राज्य के समृद्ध इतिहास, परंपरा और संस्कृति को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से रोजाना आयोजित किया जाता है।

एम्बर फोर्ट लाइट एंड साउंड शो:
अक्टूबर से फरवरी: 6: 30 बजे (अंग्रेजी) / 7:30 बजे (हिंदी)
मार्च से अप्रैल: शाम 7:00 बजे (अंग्रेजी) / 8:00 बजे (हिंदी)
मई से सितंबर: शाम 7:30 बजे (अंग्रेजी) / 8:30 बजे (हिंदी)

आमेर किला कैसे पहुंचें:

आमेर किला जयपुर से 11 किमी उत्तर में स्थित है। जयपुर से किले के लिए हर 30 मिनट में हवा महल से बसें रवाना होती हैं। इसके अलावा आप कैब और टैक्सी की मदद से भी पहुंच सकते हैं। जयपुर रेलवे, वायुमार्ग और रोडवेज के माध्यम से देश के सभी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

हवाई मार्ग:

यदि आप आमेर का किला घूमने के लिए जयपुर जा रहे हैं तो आपको बता दें कि हवाई जहाज द्वारा जयपुर की यात्रा करना आपके लिए सबसे अच्छा रहेगा। सांगानेर हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से नियमित रूप से चलने वाली कई एयरलाइनों से जुड़ा हुआ है। सांगानेर से आमेर किले की दूरी करीब 27 किलोमीटर है जिसके लिए किसी भी टैक्सी या कैब की मदद ले सकते हैं।

सड़क मार्ग:

राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम राजस्थान राज्य के भीतर जयपुर और प्रमुख शहरों के बीच कई लग्जरी और डीलक्स बसें चलाता है। आपको जयपुर के लिए नई दिल्ली अहमदाबाद, उदयपुर, वडोदरा, कोटा और मुंबई जैसे शहरों से नियमित बसें मिल जाएंगी।

ट्रेन से कैसे पहुंचे:

यदि आप आमेर का किला जयपुर ट्रेन से सफर करके जाना चाहते हैं तो बता दें कि जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के अन्य हिस्सों एक्सप्रेस ट्रेनों की मदद से जुड़ा हुआ है। जयपुर रेलवे स्टेशन से आप कैब या टैक्सी की मदद से अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

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