सावधान रहें इनके डंक से
मच्छरों के डंक से व्यक्ति को होने वाली एक खास बीमारी है डेंगू। यह संक्रमण पूरी दुनिया के 100 से अधिक देशों में होने वाली एक आम बीमारी है और तकरीबन 3 बिलियन से अधिक लोग डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं। इनमें भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य भाग, चीन, अफ्रीका, ताइवान और मैक्सिको शामिल हैं।
नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में सिर्फ भारत में डेंगू के 67,000 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद 2022 तक डेंगू के मरीजों की संख्या में अत्याधिक इजाफा हो चुका है, जिनमें से सैकड़ों की अकारण मौत हो चुकी है। ऐसे में मच्छरों के डंक से सावधान रहना बहुत जरूरी है।
हर साल अगस्त माह से लेकर दिसम्बर तक डेंगू वाले मच्छरों का प्रकोप शुरु हो जाता है। बरसात व सर्दी के मौसम में डेंगू का लारवा का फैलाव होता है। इससे बचाव के लिए ही समय-समय पर प्रशासन द्वारा फोगिग की जाती है, जिससे कि मच्छर न पनप पाए। पूरे भारत में ही डेंगू प्रकोप ऐसे मौसम में फैल जाता है। इसलिए ऐसे समय में ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
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क्या है डेंगू:
डेंगू एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन है। डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं। डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ होने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें भारी रक्तस्राव, ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है। अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है, वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है।
डेंगू के लक्षण:
डेंगू हल्का या गंभीर दोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में तेज बुखार के अलावा ये लक्षण भी शामिल हैं,
जैसे- सिरदर्द, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी, जी मिचलाना, आंखों में दर्द होना, त्वचा पर लाल चकत्ते होना, ग्लैंड्स में सूजन होना। हालांकि, गंभीर मामलों में रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ के होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में, रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त में प्लेटलेट काउंट की कमी होने लगती है।
ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:-
- गंभीर पेट दर्द
- लगातार उल्टी होना
- मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
- मूत्र, मल या उल्टी में खून आना
- त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, जो चोट जैसा नजर आ सकता है
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान महसूस करना
- चिड़चिड़ापन या बेचैनी
डेंगू के जोखिम कारक:
विभिन्न कारक होते हैं, जो डेंगू से संक्रमित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं-
डेंगू पीड़ित क्षेत्र में रहना:
यदि आप उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां एडीज मच्छरों का प्रकोप अधिक है, तो आपके डेंगू से संक्रमित होने की संभावना स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।
पहले डेंगू संक्रमण होना:
जिन लोगों को एक बार डेंगू हो जाता है, उनमें इस वायरल संक्रमण से प्रतिरक्षा नहीं हो पाती है। ऐसे में जब आपको दूसरी बार डेंगू होता है, तो अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना:
जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें भी डेंगू होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में बुजुर्ग लोग डेंगू के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। साथ ही, मधुमेह, फेफड़ों के रोग और हृदय रोग से पीड़ित लोगों में भी डेंगू होने की आशंका बढ़ जाती है।
लो प्लेटलेट काउंट:
डेंगू तब और अधिक गंभीर हो जाता है, जब पीड़ित व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट (थक्का बनाने वाली कोशिकाएं) काउंट काफी कम होने लगता है। ऐसे में यदि आपका प्लेटलेट काउंट का स्तर पहले से ही कम है, तो दूसरों की तुलना में डेंगू से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं।
डेंगू से बचाव:
डेंगू से बचने का एकमात्र तरीका है खुद को मच्छरों से बचाकर रखना। जितना हो सके आप मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को शाम होने से पहले बंद कर दें। शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े पहनें। निम्न दिए गए उपायों को भी आप अपना सकते हैं:
मच्छर को भगाकर डेंगू से बचें:
इस बीमारी से बचने का सबसे सरल तरीका है मच्छरों को घर से बाहर भगाना। इसके अलावा बाजार में कोइल मिलते है, जिनके धुएं से मच्छर भाग जाते है, किंतु कोइल जलाने पर विशेष ध्यान रखें। आसपस कोई वस्तु न हो या छोटे बच्चों के हाथ न लगें। कुछ उत्पाद इलेक्ट्रिक से चलते हैं, जिनको लगाकर छोड़ दें, तो आपको मच्छरों से छुटकारा मिलेगा।
मच्छरदानी का उपयोग करें:
बहुत पुराने समय से मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग किया जाता है। मच्छर के काटने से बचने के लिए नेट वाली मच्छरदानी का उपयोग कर सकते है। कई लोगों के अनुसार मच्छरदानी पर मच्छर बैठकर काट लेते हैं। यदि आप मच्छरदानी पर कीटनाशक का उपयोग करेंगे, तो मच्छर नहीं बैठेंगे। मच्छरदानी केवल डेंगू को नहीं, बल्कि अन्य कीट को रोकने का काम भी करती है।
डेंगू से बचने के लिए कपड़े:
डेंगू एक विषैला मच्छर है, जिसके काटने से डेंगू बुखार होता है। यदि स्वस्थ व्यक्ति को डेंगू मच्छर काटता है, तो उसके शरीर में डेंगू के वायरस प्रवेश कर लेते हैं। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति को कोई मच्छर काटकर दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो संक्रमण मच्छर और व्यक्ति दोनों में फैलता है। आप फुल कपड़े पहनें जैसे- पैंट, पूरी बाजू की शर्ट, मोजे का उपयोग करे। अपने घर के परिसर को हमेशा साफ रखें, ताकि मच्छर पनपने ना पाए।
किसी भी प्रकार सुगंधित उत्पाद के उपयोग से बचें:
डेंगू बुखार से सुरक्षा रखने के लिए सुगंधित उत्पाद का उपयोग करने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक सुगंधित गंध मच्छरों को और आकर्षित करती है। डेंगू रोगी के आस-पास सुगंधित चीजों का प्रयोग न करें और डेंगू संक्रमण का जोखिम होने पर इत्र या सेंट का उपयोग बिलकुल भी न करें।
खिड़कियों में जालियां लगाएं:
डेंगू से बचने के लिए घर की खिड़की और जगलों में जाली होनी चाहिए, ताकि कोई भी मच्छर अंदर प्रवेश न कर सके। इसलिए घर में खिड़की और दरवाजों में जालियां जरूर लगवा लें। साथ ही कमरे में रोशनी होनी चाहिए, क्योंकि अंधेरे में मच्छर अधिक रहते हैं और आसानी से छिप जाते हैं। यदि जरूरत न हो तो बार-बार दरवाजे और खिड़की को न खोलें।
घर के आसपास पानी न जमा होने दें:
अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दें। बहुत से लोगों को लगता है कि डेंगू केवल गंदे पानी में पनपता है, लेकिन ऐसा नहीं है। साफ पानी में आसानी से डेंगू मच्छर पनप सकता है। इसलिए पानी को जमा न होने दें और अपने घर में साफ-सफाई बनाये रखें।
डेंगू से बचने के लिए सुबह शाम टहलने से बचें-
जैसा कि आपको पता है सुबह शाम टहलना सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन डेंगू संक्रमण का खतरा अधिक होने पर सुबह शाम टहलने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सुबह और शाम मच्छर अधिक आक्रमक हो जाते है और सुबह-शाम मच्छर का प्रभाव अधिक रहता है।
इसलिए ऐसे समय घर में व्यायाम कर लें और जितना हो सके घर से सुबह और शाम बाहर न निकलें। इसके अलावा कोई बहुत जरूरी कार्य है तो पूरी बाहों के कपड़े पहनकर निकलें, ताकि मच्छर आपको काट न पाएं। इस तरह आप डेंगू से खुद की रक्षा कर सकते है।’