घर की बेटी जब बड़ी होने लगे तो मां-बाप को चिंता होना लाजमी है, लेकिन यदि आप इन चीजों का ध्यान रखा जाए, तो यह काम इतना मुश्किल भी नहीं है।
भविष्य की चिंता करने से पहले पैरेंट्स को बेटी के बड़े होने की प्रक्रिया का ध्यान रखना जरूरी होता है।
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कुछ टिप्स जो रिश्ते को और मजबूत बनाने में मदद कर सकती हैं।
ठीक तरह से बातों को सुनें
आमतौर पर पैरेंट्स बेटी को सलाह देते हैं। नए दौर में कोशिश होनी चाहिए कि बेटी के साथ बैठकर चर्चा हो और पैरेंट्स उन्हें फैसला लेने में मार्गदर्शन करें। पैरेंट्स को सुनने की आदत डालनी चाहिए, न कि हर वक्त लेक्चर देने की। बेटियों के हाथ में पहले से तैयार समाधान देने के बजाय परेशानियों के बारे में मिलकर चर्चा करें। ऐसे में वे आपके साथ भविष्य की परेशानियों को लेकर बिना संकोच के खुलकर बात कर सकेंगी। इसके अलावा उनके अंदर बड़े फैसले लेने और गंभीरता से सोचने का हुनर तैयार होगा।
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नियम में बांधें नहीं, चर्चा करें
बेटियों को खुलकर जीने देने की सोच रखना बेहतर है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि नियमों को एकदम हटा दिया जाए। नियमों को तय करते वक्त भी आपस में बातचीत की गुंजाइश होती है। किसी भी तरह की पाबंदी लगाने से पहले बच्चों को यह बताने का मौका जरूर दें कि वे अपने लिए किन चीजों को जरूरी समझते हैं। बड़ी हो रही बेटियों का अपनी इच्छाओं के अनुसार हर प्रकार की जानकारी लेने का अधिकार है, जो आम बात है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें आपके मार्गदर्शन की जरूरत नहीं है।
तारीफ करें
आमतौर पर जब बेटियां बड़ी हो रही होती हैं, तो मां उनके साथ निजी तौर चर्चा करना शुरू कर देती हैं और पिता पीछे हट जाते हैं। जबकि, ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि बेटियों को माता-पिता दोनों से पॉजिटिव फीडबैक की जरूरत होती है, खासतौर से टीनएज में। बेटी को यह बताएं कि आप उस पर गर्व करते हैं। उनकी अक्लमंदी, सोच की तारीफ करें और आत्मविश्वास तैयार करने में मदद करें।
बेटियों को अगुवाई करने दें
बच्चियों के साथ जुड़ने के लिए पैरेंट्स को उनकी पसंद के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। जब भी बात परिवार के साथ अच्छा वक्त बिताने की बात आए तो बेटियों को फैसला करने दें। इससे आप उन्हें अहसास दिला सकेंगे कि आपको उनकी पसंद की चिंता है और आप उनके साथ मिलकर चीजों का मजा लेना चाहते हैं।
साथी बनें
कई बार होता है कि बेटियां परेशानियों का सामना कर रही होती हैं, लेकिन पैरेंट्स उन्हें सलाह नहीं दे पाते। ऐसे में गुस्सा न हों, बल्कि उन्हें बताएं कि आप उनके साथ हैं। यदि वो बाहर किसी तरह का स्ट्रगल कर रही हैं तो उनकी बात को न ही कम समझें और न ही दबाने की कोशिश करें। इसके बजाए उनकी बातों को सुनें और सहज महसूस कराएं। बेटियों को बताएं कि आप उनकी बातों को गंभीरता से ले रहे हैं और किसी भी वक्त उनकी मन की बातों को सुनने के लिए तैयार हैं।
भाषा का ध्यान रखें
बेटी के सामने किसी भी महिला को लेकर जब भी बात करें तो भाषा का खास ध्यान रखें। बेटियां अपने पिता के व्यवहार से ही इस बात का पता लगाती हैं कि पुरुषों को रिलेशन में कैसे बर्ताव करना चाहिए। अगर आप उनके सामने किसी और महिला के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल करेंगे तो वे चिंतित हो जाएंगी। बातचीत के दौरान महिलाओं के सम्मान की बात करें।
गंभीर मुद्दों पर ध्यान से चर्चा करें
जब भी बात किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा की आए तो सीधे नियमों की घोषणा न करें। बेटियों को चर्चा में लीड करने दें। पैरेंट्स के मन में चर्चा को अपने हिसाब से चलाने की इच्छा हो सकती है, लेकिन आपको यह सोचना होगा कि बातचीत को कहां ले जा रहे हैं? हो सकता है कि आप बेटी को असहज महसूस करा दें और वह दोबारा आपसे इस तरह के किसी मुद्दे पर बात करने में संकोच करे। बेटी की बात को ध्यान से सुनें और उन्हें यह अहसास दिलाएं यदि वे चाहें तो घर में किसी से भी बात कर सकती हैं, लेकिन अगर उन्हें आपकी जरूरत है तो आप मौजूद रहेंगे।