वनमहोत्सव: जुलाई माह का पहला सप्ताह। पेड़ हवा, मिट्टी और पानी को साफ करते हैं, जिससे पृथ्वी एक जीवंत जगह बन जाती है। और हम इस तरह से समझ सकते हैं, पेड़ों के बिना, हम जीवित नहीं रह सकते। Ped Bachao!!
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां कहते हैं कि औलाद आप का साथ दे न दे, पेड़ आपको जरूर लाभान्वित करेंगे और केवल आपका ही नहीं, आपकी आने वाली पीढ़ी को भी सुख देंगे।
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Ped Lagao Paryavaran Bachao
Ped lagao dharti bachao: पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है, मौसम में भी पिछले कुछ समय से आमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इसकी मूल वजह है ग्लोबल वार्मिंग, जिसके कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिये सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैस हैं। ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण गैस कार्बन डाइआॅक्साइड है, जिसे हम जीवित प्राणी अपने साँस के साथ उत्सर्जित करते हैं।
पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी पर कार्बन डाइआॅक्साइड गैस की मात्रा लगातार बढ़ी है। इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, जो चिंताजनक है। तापमान की इस वृद्धि से विश्व के सारे जीव-जंतु बेहाल हो जाएँगे और उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा। यह खतरा तृतीय विश्वयुद्ध या किसी क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉइड) के पृथ्वी से टकराने से भी बड़ा माना जा रहा है।
एक पेड़ को दूसरी जगह रोपित करवाते हुए डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां।
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का एकमात्र हल है कि हमें अपनी पृथ्वी को सही मायनों में ग्रीन बनाना होगा। कम होते वन क्षेत्र को बचाना होगा, पौधारोपण के अभियानों को और रफ्तार देनी होगी। औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ हानिकारक है और इनसे निकलने वाला कार्बन डाइआॅक्साइड गर्मी बढ़ाता है। इन इकाइयों में प्रदूषण रोकने के उपाय करने होंगे।
वाहनों में से निकलने वाले धुएँ का प्रभाव कम करने के लिये पर्यावरण मानकों का सख्ती से पालन करना होगा। उद्योगों और खासकर रासायनिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे को फिर से उपयोग में लाने लायक बनाने की कोशिश करनी होगी और प्राथमिकता के आधार पर पेड़ों की कटाई रोकनी होगी और जंगलों के संरक्षण पर बल देना होगा। आमजन को भी पौधारोपण जैसे अभियानों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में हम उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगे।
आधुनिक समय में मनुष्य ने अपने हितों के लिए धरा की इस रौणक को अंधाधुंध काटना शुरू कर दिया है। मनुष्य ने कुदरती जंगलों को खत्म करके कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिए हैं। खेतों से कीमती पेड़-पौधे खत्म हो गए हैं। कई प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर हैं। आज बड़े-बड़े बरगद, लसोड़े, सहजने के पेड़ ढूंढने पर भी इक्का-दुक्का ही दिखाई देते हैं। कवि रहिमन की ये पंक्तियां पेड़ों की इस हालत को ब्यां करने के लिए काफी हैं। उन्होंने अपनी टीस को इस प्रकार उजागर किया है ‘रहिमन वे बिरछ अब कहां, जिनकी छांव गंभीर। बागन बिच-बिच देखियत, सेंहुड़-कंज-करीर।।’ वर्तमान में बढ़ता औद्योगिक विकास इन पेड़ों के लिए आफत बन चुका है।
जगह-जगह कुकरमुतों की तरह पनप चुकी कालोनियां पेड़-पौधों के अस्तित्व को मिटा रही हैं। जिसका खामियाजा मनुष्य को कई प्रकार के प्रदुषण के रूप में भुगतना पड़ रहा है। अगर पेड़-पौधों का कटना इसी प्रकार जारी रहा तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए बीमारियों का भंडार छोड़ कर जाएंगे। बेशक औधोगिक विकास आज की मांग है और घर निर्माण एक जरूरत है। आप जो बनाना चाहें, बनाएं, लेकिन पेड़ों का कत्ल करके नहीं। उन्हें भी सलामत रखें। इसके लिए हमें सिर्फ सजग होने की जरूरत है। पेड़ों को बचाने के तरीके खोजने होंगे। पेड़ों की अहमियत को समझना होगा।
ताकि जिंदा रहे हरियाली
आप जो कुछ निर्माण करने जा रहे हैं, करें, बस पेड़ों को काटें नहीं। उन्हें जैसे भी हो दूसरी जगह रोपित करने के प्रयास करें। मान लो, यदि आपको पेड़ काटना भी पड़ रहा है, तो एक पेड़ के बदले आप दस पेड़ जरूर लगाएं। मगर आप हैं कि इस बारे ज्यादा सोचते नहीं। झटपट जंगल को साफ किया और अपना बसेरा आदि बनाकर बैठ गए। लेकिन इस आदत को छोड़ना होगा। पेड़ों के बारे सोचना होगा, अपने स्वास्थ्य के बारे सोचना होगा, आने वाली पीढ़ी के बारे सचेत रहना होगा। सोचो, आपने जो पेड़ काट दिए, उन जैसे पेड़ तैयार करने के लिए कितना लंबा वक्त इंतजार करना पड़ेगा? इसलिए पेड़ों को हर हाल में बचाने के भागीदार बनें।
डेरा सच्चा सौदा ने दी नायाब तकनीक
पेड़ों को काटने की बजाये दूसरी जगह रोपित करके उनको जीवन देना आप डेरा सच्चा सौदा से बखूबी सीख सकते हैं। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां पेड़ों के मामले में बड़े संजीदा हैं। नए पेड़-पौधे लगाने के उनके अभियान को दुनिया जान चुकी है। पौधारोपण में कई रिकार्ड डेरा सच्चा सौदा के नाम पर दर्ज हैं। यही नहीं, पूज्य गुरु जी ने पेड़ों को दूसरी जगह रोपित करने की नायाब तकनीक विकसित की है। डेरा सच्चा सौदा में बड़े पेड़-पौधों को किसी निर्माण स्थल से काटने की बजाए दूसरी जगह लगाने का काम बड़ी संजीदगी से होता है।
कहीं-कहीं आप आश्रम में देख भी सकते हैं कि पेड़ को बिना हटाए ही सड़क को उसके ईर्द-गिर्द से निकाल दिया है या बनने वाली इमारतों में ज्यों के त्यों खड़े हैं। बहुत ही कम मामलों में उन्हें हटाया जाता है। जब कहीं हटाने पड़ते हैं, तो पूज्य गुरु जी स्वयं मौजूद रहकर उन पेड़ों को अपनी तसल्ली से सही-सलामत हटवाकर दूसरी जगह रोपित करवाते हैं। यह एक अनुकरणीय कदम है। जो हर किसी को अपनाना चाहिए, क्योंकि पेड़ हमारी अमूल्य संपत्ति हैं। पेड़ हमारे स्वास्थ्य के घनिष्ट मित्र होते हैं। नीम तो हमारे स्वास्थ्य का चौकस पहरेदार है। दिन में भी और जब हम रात को सो जाते हैं तब भी हमारे स्वास्थ्य के दुश्मन कीटाणुओं से लड़ता रहता है। तुलसी और नीम तो घर-घर में होना चाहिए।
मौसम के अनुकूल हो पौधारोपण
पेड़ों को रोपित करने का सही समय बरसात का मौसम है। इस समय आप किसी भी पेड़ को आसानी से कहीं भी रोपित कर सकते हैं। इसके लिए आप समयपूर्व ही प्लान बना लें, ताकि आपका समय भी बच सके और पेड़ को भी सही मौसम में लगाकर उसे हरा भरा किया जा सके। अगर आपने एक पेड़ को बचा लिया है तो समझो 100 लोगों का जीवन बचा लिया। यह बहुत बड़ा पुण्य का काम है।
पेड़ों के लाभ और महत्व के बारे हमारे वेद-पुराण व कई धर्मों में विस्तार से लिखा गया है। ऋषि-मुनि, संत, अवतारों ने पेड़ों की बहुत स्तुति की है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां कहते हैं कि औलाद आप का साथ दे न दे, पेड़ आपको जरूर लाभान्वित करेंगे और केवल आपका ही नहीं, आपकी आने वाली पीढ़ी को भी सुख देंगे। तो आइये, हम सब मिलकर इस धरती को फिर से हरा-भरा बनाने का संकल्प लें, नए पौधे लगाएं और जो खड़े हैं उनको बचाने के प्रयास करें। सही मायनों में तभी वनमहोत्सव सफल हो पाएगा।
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