बच्चों से रखें स्वस्थ संबंध
माता-पिता तो सदा से ही बच्चों के करीब एक छत्रछाया की तरह बनकर रहना चाहते हैं पर आाुनिक बच्चों को यह पसंद नहीं कि उनके सिर पर कोई छाया की तरह उनके साथ रहे। आधुनिक समय में माता-पिता की सोच में बदलाव आया है क्योंकि मेट्रो सिटीज में माता पिता दोनों काम पर जाते हैं। अधिक समय घर से बाहर रहने के कारण वो अब हर समय उनके साथ परछाई बन कर नहीं रह सकते। फिर भी उनकी चाहत यही होती है कि बच्चे उनके साथ अधिक से अधिक जुड़े रहें।
कई माता पिता अपने बच्चों के इतने करीब होते हैं कि बच्चे उनसे हर बात शेयर करते हैं पर कई माता पिता के साथ बच्चे इतने करीब नहीं होते कि वे उन्हें कुछ भी शेयर करें। यह गलत है। माता पिता को घर का वातावरण ऐसा बना कर रखना चाहिए कि बच्चे उन्हें अपना सबसे करीबी मानें और खुले वातावरण में हर बात बेिझझक शेयर करें क्योंकि पेरेंटस ही बच्चों के अच्छे मार्गदर्शक और शुभचिंतक होते हैं।
माता पिता को चाहिए कि रात्रि का भोजन और छुट्टी के दिन भोजन बच्चों के साथ खाएं और हैल्दी वार्तालाप बच्चों की उम्र के अनुसार करें। स्कूल, कॉलेज, नौकरी में या संघर्ष वाले समय में बच्चे क्या कर रहे हैं, पढ़ाई कैसी चल रही है। बच्चों की हॉबीज के बारे में जानें और उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करें। इन सबसे वो बच्चों के करीब आएंगे और उन्हें समाने में आसानी भी होगी।
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खाना साथ खाएं
बच्चों के साथ हैल्दी रिलेशंस बनाए रखने के लिए जब भी समय सूटेबल हो, मिलकर भोजन करें ताकि आपसी जुड़ाव बना रहे। इसी दौरान बच्चों से बातें शेयर करें। कुछ उनकी सुनें, कुछ अपनी सुनाएं। ऐसे में बच्चा फ्री फील करता है और अपनी परेशानी या खुशी शेयर करने से िझझकता नहीं है।
कभी-कभी बच्चे अपनी पसंद के टीवी प्रोग्राम देखते हुए खाना खाना चाहते हैं। उन्हें समझाएं कि टीवी और भोजन साथ साथ करना स्वास्थ्य हेतु हानिकारक है और यही समय फैमिली समय भी है। अगर न मानें तो स्वयं भी अपना खाना लेकर उनके साथ बैठकर खाएं। शायद ऐसा देख बच्चे महसूस करें और वे आपके साथ ही खाएं। साथ भोजन करने से आप उन्हें अपने नजदीक पाएंगे।
बच्चों से लें मदद
बच्चों की इंवाल्वमेंट बढ़ाने के लिए उनसे काम में मदद लें ताकि उनका जुड़ाव आपसे और पक्का हो। कई घर के या बाहर के ऐसे काम होते हैं जिन्हें आप अपने बिजी शेडयूल के चलते नहीं कर पाते या देरी से करते हैं। उनसे मदद लेकर तो देखिए। बच्चे उत्साहित होकर आपका साथ देंगे। कुछ सीखेंगे। मदद करना भी उनकी रूटीन में शुमार हो जाएगा, जिम्मेदारी का अहसास भी होगा। आपको उनका, उनको आपका साथ मिलेगा। उनका कांफिडेंस बढ़ेगा।
बच्चों की करें मदद
करीब होने के लिए जैसे हम बच्चों से मदद लेना पसंद करते हैं उसी प्रकार उनकी मदद करने से भी हम उनके करीब होते हैं। कोई काम जो उन्हें मुश्किल लगे या दिल न करे, उस काम को करने में स्वयं उनसे बात कर उनकी समस्या सुलााएं और जहां मदद की आवश्यकता हों उनकी मदद करने से कतराएं नहीं।
बच्चों को होमवर्क, काम की महत्ता बताते हुए कुछ समय उनके साथ लगकर काम करें ताकि उन्हें लगे कि मेरे पेरेंटस मेरे साथ हैं। उन्हें अपने पर निर्भर न बनाएं। सहयोग दें। बच्चों को होमवर्क पूरा कराने में ऐसे मजेदार तरीके अपनाएं कि बच्चा खुशी से काम कर सके।
अधिक डांट डपट न करें
- बच्चों का मन कोमल होता है। उन्हें प्यार तो अच्छा लगता है पर गलत बात पर डांटना बुरा लगता है विशेषकर जब उनको गलती की डांट उनके दोस्तों, संबंधियों के बीच पड़े। बच्चों की गलत आदतों को सुधारने का यह तरीका ठीक नहीं।
- कभी कभी बच्चों पर ध्यान कम होता है पेरेंटस का तो वे गलत हरकतें करते हैं या उटपटांग हरकतें करते हैं।
- ऐसे में अगर आपको लगे कि उसे ध्यान देने की आवश्यकता है तो अपने फ्रेंड सर्कल से माफी मांगकर उन्हें एटेंशन दें। अगर आप काम में बिजी हैं तो कुछ समय उनके साथ बिताकर उन्हें समझाएं कि काम भी जरूरी है जो मुझे करना है। काम खत्म होते ही फिर से हम आपके साथ मस्ती करेंगे। अधिकतर समय बच्चे मान जाते हैं पर कभी-कभी वे जिद्द पकड़ लेते हैं। ऐसे में उन्हें किसी खेल में या बातों में मशगूल करें।
सजा न दें
अक्सर पेरेंटस बच्चों की गलती होने पर उन्हें या तो मारते हैं या कोई सजा देते हैं। मारना या सजा देना बच्चों को और उद्दंड बना देता है। अपनी इच्छाएं पूरी कराने के लिए वे नए नए ढंग ढूंढते हैं। बच्चों को उनके गलत काम के लिए अवश्य बताएं पर प्यार से। कभी कभी हल्की फुल्की सजा दे सकते हैं पर ध्यान दें कि वह शारीरिक या मानसिक न हो। गलत बात के लिए अपनी नाराजगी जाहिर अवश्य करें।
दोस्ती की अहमियत
बच्चों को दोस्ती की महत्ता बतायें ताकि वे हमउम्र दोस्तों से हिलमिल सकें, उनके साथ खेल सकें, शेयर कर सकें, गु्रप में रहने और अपनी उम्र के बच्चों के साथ कैसे मित्रता कायम करनी है, जान सकें। इन सबसे बच्चों का हैल्दी डिवेलपमेंट होता है। बच्चों को दोस्त बनाने के लिए उत्साहित करें और समझाएं कि अच्छे दोस्त का होना जीवन में बहुत जरूरी है।
घुमाने ले जाएं
छुट्टी वाले दिन कभी उन्हें पिकनिक, पिक्चर दिखाने, मॉल्स घुमाने, शॉपिंग कराने ले जाएं। कभी-कभी संबंधियों और मित्रों के परिवार का भी ‘गेट-टू-गेदर’ कर उन्हें संबंधों की महत्ता बताएं। जब कभी कम थके हों, उस दिन उन्हें आइसक्रीम खिलाने ले जाएं या इनडोर गेम उनके साथ खेलें। उनके लिए यह सरप्राइज होगा। कभी-कभी उनकी पसंद का खाना घर पर मंगवा कर मिलकर खाएं या बाहर डिनर पर ले जाएं।
ऐसा करने से नजदीकियां बढ़ती हैं और परिवार में तनाव भी नहीं रहता। बच्चे अपने आपको अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
-नीतू गुप्ता