ईएमआई पेमेंट का रखें सही बैलेंस

आज के समय में आपकी छोटी से छोटी आवश्यकता के लिए प्रत्येक कंपनी एवं ब्रांच आपको ईएमआई की सुविधा देती है जोकि बहुत से लोगों के लिए लाभदायक होती है। कई बार ईएमआई हमें लाभ की जगह नुकसान में डाल सकती है। एक बार ईएमआई की लत लग जाए तो उसे छुड़ाना मुश्किल हो जाता है

और आप कर्जे में डूब सकते हैं। बहुत से लोगों को मजबूरी के कारण ईएमआई लेनी पड़ती है, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो फिजूल की चीजों के लिए ईएमआई का रास्ता चुनते हैं। आज हम आपको बताएंगे की ईएमआई के क्या नुकसान हो सकते हैं। कहीं ईएमआई के चक्कर में आपका बैंक बैलेंस न बिगड़ जाए। हम आपको कुछ ऐसे संकेत बताएंगे

जिनसे आप जान सकते हैं कि आप किस तरह ईएमआई के जाल में फंस कर कर्जे में डूब रहे हैं:

70 फीसदी से ज्यादा खर्चा:

हमारे रोजमर्रा के खर्चों में बहुत से खर्च शामिल होते हैं जैसे कि पानी का बिल, बिजली का बिल, राशन, सोसाइटी मेंटेनेंस इत्यादि। इन्हीं में से एक हिस्सा होता है ईएमआई। यदि आपका सारा खर्च मिलाकर आपकी आय से 70 प्रतिशत ज्यादा हो रहा है तो आप कर्जे में डूब रहे हैं। आपका मासिक खर्च किसी भी स्थिति में आपकी आय के 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। तभी आपका बैंक बैलेंस स्थाई और संतुलित रहेगा।

ईएमआई इनकम से ज्यादा:

आजकल बहुत से ऐसे लोग हैं जो कि इजी ईएमआई, सेल्स और डिस्काउंट के जाल में फंसकर बहुत बड़ी राशि की ईएमआई बनवा लेते हैं। जिससे उन्हें बेहद नुकसान हो सकता है। यदि किसी भी महीने आप अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं कर पाए तो आपका सामान तक वापस लिया जा सकता है। बहुत से लोग तो एक नहीं बल्कि कई सारी ईएमआई ले लेते हैं। अलग-अलग देखा जाए तो यह छोटी-छोटी राशि की ईएमआई होती है लेकिन अगर आप इन्हें इकट्ठा देखें तो यह एक बड़ी राशि बनाती है। जो कि बहुत जल्द ही आपका बैंक बैलेंस बिगाड़ सकती हैं।

समय पर भुगतान न कर पाना:

बहुत से ऐसे लोग हैं जिनकी एक स्थाई आमदनी नहीं होती है। इसके बावजूद भी वह ईएमआई पर उत्पाद खरीद लेते हैं। शुरूआत के कुछ महीनों की ईएमआई देने के लिए उनके पास धनराशि इकट्ठा होती है। लेकिन जब यह धनराशि खत्म हो जाती है तब उनकी ईएमआई डगमगा जाती है। तब उनके पास पैसों की कमी हो जाती है जिससे कि वह ईएमआई भर सके।

पहले से लोन होने के बावजूद ईएमआई लेना:

बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्होंने होम लोन, एजुकेशन लोन जैसे कई लोन लिए होते हैं। इसके बाद भी वे अपने घर के उत्पादों के लिए ईएमआई का जरिया चुनते हैं। इसे आसान शब्दों में समझा जाए तो यह एक कर्जे के ऊपर एक और कर्जा लेने जैसा है। इसमें कोई समझदारी वाली बात नहीं है कि आप लोन के ऊपर ईएमआई लें। यदि आप ऐसा करने की सोच रहे हैं तो अभी ही भूल जाएं और यदि आप ऐसा कर चुके हैं तो दोबारा ऐसी गलती करने की सोचें भी ना। क्योंकि कर्जा कभी रुकता नहीं है और वह बढ़ता ही चला जाता है।

ईएमआई चुकाने के लिए लोन:

कई बार हम इतनी सारी ईएमआई ले लेते हैं कि उससे एक बड़ी ईएमआई बन जाती है और उन ईएमआई को चुकाने के लिए हमारे पास पैसों की कमी हो जाती है। ऐसे में हम अपने रिश्तेदारों, मित्रों या परिचत लोगों से लोन लेते हैं। जिससे हम वह ईएमआई चुका सकें। कई बार लोग ईएमआई को चुकाने के लिए बैंक से भी लोन लेते हैं। यहां तक कि ईएमआई की राशि बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर लोग अपने घर का सोना गिरवी रख देते हैं। यह एक और संकेत है कि आप कर्ज में डूबते जा रहे हैं और एक कर्ज को चुकाने के लिए आप दूसरा कर्जा ले रहे हैं।

क्रेडिट कार्ड से ईएमआई का भुगतान:

आजकल क्रेडिट कार्ड की सुविधा बहुत आसान हो गई है। हर बैंक अपने कस्टमर को क्रेडिट कार्ड दे देती है। इसमें बैंक का तो कोई नुकसान नहीं होता लेकिन आपको जरूर उसकी बुरी लत लग जाती है। यदि कभी आपके पास इतनी धनराशि ना हो कि आप ईएमआई चुका सकें तो बहुत से लोग अपने क्रेडिट कार्ड के जरिए ईएमआई का भुगतान करना शुरू कर देते हैं। लेकिन वे नहीं जानते कि वे एक जहर के बदले दूसरा जहर ले रहे हैं। आपकी बुद्धिमता इसमें ही है कि आप किसी भी स्थिति में क्रेडिट कार्ड का उपयोग न करें।

रेपो दर क्या है? आसान शब्दों में अगर बात हो तो रेपो रेट का मतलब है रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर। बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि ग्राहक अब कम दामों में भी होम लोन और व्हीकल लोन जैसे लोन के कर्ज के दर सस्ते हो जाएंगे।

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