बेटी को हर बात समझाए मां : माँ-बेटी का रिश्ता बड़ा ही प्रेम से भरपूर व विश्वासी होता है।
बेटी अपने सबसे करीब मां को ही मानती है लेकिन इसी बेटी को दूसरे घर जाना होता है और वह वहां नए-नए सपने लेकर जाती है।
उसे उन लोगों के बीच शुरू-शुरू में सब कुछ अजीब-सा लगता है व अपनेपन का अभाव महसूस होता है लेकिन अगर आप अपनी बेटी को उचित शिक्षा व मार्गदर्शन देती हैं तो वह जल्दी ही ससुराल में अपना स्थान बना लेती है।
आप अपनी बेटी को ससुराल जाने से पहले कुछ विशेष बातें समझाएं, क्योंकि मां ही बेटी का उचित मार्गदर्शन व उसे दूसरे घर जाने के लिए शिक्षा दे सकती है।
इसके लिए आपको अपनी बेटी को निम्न बातों से परिचित कराना चाहिए व उसमें सद्गुण पैदा करने चाहिए
- अपनी बेटी को समझाएं कि वह ससुराल में जाकर मायके का गुणगान न करे और यहां आने की जिद भी न करें।
- बेटी को संयमी व सहनशील बनाएं। छोटी-छोटी बातों को सहने की शक्ति होनी चाहिए क्योंकि गुस्से में कहा गया एक शब्द आपके जीवन का सुख नष्ट कर सकता है।
- बेटी को ससुराल जाकर कम बोलने को कहें। कम बोलने से मतलब है कि बड़ों से व छोटों से बहसबाजी आदि से बचना चाहिए।
- अगर घर में अशांति का वातावरण पैदा हो ही जाए तो सामान बांध कर मायके आने की बजाए वहीं रहना चाहिए। माहौल ठीक होने पर पति के साथ ही आएं।
- ससुराल में जाकर वहां अपने कानून लागू करने की बजाए उनके रंग में रंगना ही बेहतर होगा, वरना मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
- घर में दूसरे व्यक्तियों की शिकायतें पति से न करें। हर समय खुशी का माहौल बनाएं रखें।
- पति की बात पर नाराजगी हो तो मनाने पर जल्दी ही मान जाना चाहिए। मन में तलाक आदि के विचार नहीं लाने चाहिएं।
- ससुराल में मायके की तरह देर से नहीं बल्कि जल्दी उठकर घर के काम करने चाहिएं।
- ससुराल को अपना घर मान कर काम काज करने से जी नहीं चुराना चाहिए।
- अगर ननद काम करने से इंकार करे तो झगड़े की बजाय स्वयं काम निपटा लेना चाहिए। आखिर उन्हें तो एक दिन ब्याह कर जाना ही है।
- अपने मायके के घर के नियम, बातों, उपहार या आर्थिक बातों का जिक्र न करें।
- अगर किसी बात पर घर में झगड़ा होता हो तो वैसी परिस्थितियां पैदा न होने दें।
- ससुराल के लोगों को प्रेम के भाव से जीतें।
- सास से माँ जैसा व्यवहार करें। सास जैसा भी चाहती हो, वैसा ही करने की कोशिश करें।
- अपनी चीजें घर में किसी के द्वारा प्रयोग करने पर ना मत कहें व गुस्सा न करें बल्कि स्वयं ही इस्तेमाल करने को दें।
माँ अपनी बेटी को विवाह से पहले ही अगर इन सब बातों के बारे में बता दे तो उसका जीवन सुखी बन सकता है और वह मायके आने की बजाए ससुराल को ही अपना घर समझेगी।
आपको भी बेटी को सहयोग देना चाहिए व उसे आत्मविश्वासी व सद्गुणी बनाना चाहिए। इससे आपको भी सुकुन मिलेगा।
– श्वेता कोहली ‘गुरूदासपुरी’