Serving food. -sachi shiksha hindi

खाना खिलाने का भी होता है सलीका

जीने के लिए जितना जरूरी है हवा और पानी, उतना ही जरूरी है भोजन। भोजन के बिना तो जिन्दगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लोग जीने के लिए तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए तो खाते ही हैं लेकिन ऐसा भी देखा जाता है कि कुछ लोग सिर्फ खाने के लिए ही जीते हैं। ऐसे लोग न तो अपने स्वास्थ्य पर ही कुछ ध्यान देते हैं और न ही उचित अनुचित तथा शिष्टता और सभ्यता का ही। ऐसे लोग अपना तो नुकसान करते ही हैं, साथ ही दूसरों की भावनाओं का भी मजाक उड़ाते हैं जो नैतिक दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता।

प्राय: ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग खाते और खिलाते तो हैं लेकिन खाने और खिलाने के तौर तरीकों पर कोई ध्यान नहीं देते। ऐसे लोग खुद तो जैसे-तैसे खाते ही हैं, साथ ही अतिथियों को भी गलत ढंग से या असभ्यता से खिलाते हैं तथा उनके परिवार के किसी सदस्य की उपेक्षा कर देते हैं जो हास्यास्पद तो है ही, साथ ही घोर अशिष्टता भी है। ऐसा कर वे मेहमानों की नजर में तो गिर ही जाते हैं, साथ ही परिवार के छोटे-बड़े सदस्य सदस्यों के द्वारा भी उपेक्षित हो जाते हैं जो स्वाभाविक है।

यहां पर यह बता देना जरूरी है कि आदमी हो या जानवर, भूख तो सभी को लगती है और खाते भी सभी हैं लेकिन जानवर जैसे तैसे अपना पेट तो भर ही लेता है। वह एक जानवर है जबकि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। उसे क्या करना है? कैसे करना है? यह सब सोचने और समझने की शक्ति उसमें होती है। इसके बावजूद अगर वह कोई त्रुटिपूर्ण कार्य करता है या असभ्यता प्रदर्शित करता है, तो इससे वह अपनी विवेकशीलता की हत्या ही तो करता है। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो आज से ऐसा करना छोड़ दें।

खाने पीने का जहां तक सवाल है, इस सम्बन्ध में तो विशेष सफाई और सभ्यता बरतनी चाहिए। अगर आप खुद जैसे तैसे खाते हैं तो कम से कम दूसरों की भावनाओं, स्तर तथा इज्जत का ख्याल अवश्य करें। ऐसा कर आप दूसरों की नजर में तो ऊपर उठेंगे ही, साथ ही आपका भी जीवन स्तर ऊंचा उठेगा तथा आप सभ्य भी कहलायेंगे।
इसलिए जरूरी है खाना और खिलाने के स्तर को बनाये रखने की मगर कैसे? यही सवाल शायद आप पूछ रहे होंगे।

तो आइए हम बतायें खाना खाने और खिलाने के कुछ तौर तरीके-

  • आप खाना परिवार के सदस्यों को खिलायें या मेहमानों को, खिलायें तो सलीके से ही वरना जैसे तैसे खिलाकर आप अपनी असभ्यता ही प्रदर्शित करेंगे। आप खाना जमीन पर खिलायें या टेबल पर लेकिन भोजन परोसने से पूर्व उस जगह की सफाई अवश्य कर लें। ऐसा नहीं करने पर खाना कितना भी अच्छा क्यों न बना हुआ हो, उसका मजा तो बिलकुल ही नहीं मिल सकेगा क्योंकि सफाई में और गन्दगी में खाने का असर दिमाग पर अलग अलग पड़ता है। अगर सफाई पसन्द लोग गन्दगी में खाना खायेंगे तो वे भूख लगने पर भी खाना तो कम खायेंगे ही, साथ ही इसका स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ेगा। इसलिए खाना परोसते वक्त इस बात का विशेष ध्यान दें।
  • प्राय: ऐसा देखने में आता है कि खाना तो लोग टेबल पर परोस देते हैं लेकिन पानी देना भूल जाते हैं। कुछ लोग तो ऐसा जानबूझ कर करते हैं। बच्चों के साथ तो ऐसी बातें होती ही रहती हैं। बड़े लोगों के साथ भी ऐसी बातें अक्सर होती रहती हैं जो उचित नहीं कही जा सकती, इसलिए खाना खिलाने के क्र म में पानी देना न भूलें। हो सके तो पानी गिलास के साथ जग में भी रख दें ताकि आपको बार-बार दौड़ना न पड़े।
  • खाना खिलाते समय संकोच न बरतें। मेहमानों को तो खाना ठीक से खिलायें ही लेकिन जबरदस्ती न करें। कभी-कभी तो ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग खाना तो परोस देते हैं और खुद कहीं गायब हो जाते हैं। ऐसे में खाने वाले ठीक से खा भी नहीं पाते। ऐसा करना आपकी अशोभनीय हरकत मानी जायेगी, इसलिए ऐसा कदापि न करें।
  • कुछ लोगों को देखा जाता है कि खाना एक ही थाली में परोस देते हैं चाहे वह परिवार का सदस्य हो या मेहमान। ऐसा बर्तनों की कमी के कारण तो किया जा सकता है लेकिन बर्तनों के रहते हुए इस ढंग से कोई खाना खिलाये तो इसे नादानी ही माना जायेगा। खाना परोसें भी तो थाली और प्लेट में सजाकर नहीं तो देखने में भी भद्दा लगेगा।
  • कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि मेहमानों के आने पर परिवार के ही कुछ सदस्य जब साथ खाने बैठते हैं तो उन्हें कुछ न देकर कह देते हैं जो कुछ लेना है, आकर ले जाओ। ऐसा कर मेहमानों के समक्ष उस व्यक्ति की उपेक्षा तो होती ही है, साथ ही वे भी मेहमानों की नजरों में असभ्य प्रतीत होते हैं। अगर यही बर्ताव आप के साथ भी किया जाये तो कैसा लगेगा।
  • कुछ लोगों को देखा जाता है कि वे खाना तो टेबल पर परोस देते हैं लेकिन खाने के बाद बर्तन ले जाना भूल जाते हैं। इसलिए भुलक्कड़ बनने की कोशिश न करें।
  • कई लोगों को देखा जाता है कि अपने घर में खाने के बाद थाली में ही हाथ मुंह धोकर पानी गिरा देते हैं और थाली को पानी से भर देते हैं। ऐसा करने से घृणा तो बढ़ ही जाती है, साथ ही थाली उठाकर ले जाते समय पानी जमीन पर भी गिर जाता है। इसलिए यदि मेहमानों का भोजन हो तो खाने के बाद हाथ मुंह बेसिन में ही धोयें तो अच्छा रहेगा। यह सभ्यता की निशानी है।
  • अन्त में, एक बात का ध्यान अवश्य रखें। मेहमान अगर खा रहे हों तो खाने के बाद हाथ मुंह पोंछने के लिए तौलिया अवश्य रखें ताकि उन्हें रूमाल न निकालना पड़े। हो सके तो नेपकिन होल्डर में नेपकिन रखें
  • सब बातों को ध्यान में रखने के बाद आप इस सम्बन्ध में अपने आपको त्रुटिहीन पायेंगे जो आपके लिए गर्व की बात होगी तथा खाने वालों को भी प्रसन्नता होगी।
    -सुधीर कुमार सिन्हा ‘मुरली’

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