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69वें स्थापना दिवस पर… एक हकीकत है सच्चा सौदा :
सच्चा सौदा नाम है सच्चाई का! सच्चा सौदा नाम है अल्लाह-वाहिगुरु राम की भक्ति-इबादत का! ऐसी भक्ति, ऐसी इबादत कि जिसमें कुछ देना नहीं पड़ता। सच्चा सौदा देता ही देता है, लेता किसी से कुछ नहीं। न दान, न चढ़ावा, न किसी के पांव दबाना, न ही कोई पाखण्ड-ढोंग करना है। ‘राम-नाम जपना, पराया माल कभी न तक्कना।’
पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज, जिन्होंने ये सच्चा सौदा बनाया, सच्चा सौदा की स्थापना की, उन्होंने दुनिया के लिए अव्वल दर्जे की सीख दी।
बेपरवाह जी ने हिदायत फरमायी:-
‘अपना राम जपना, अपने राम की गंढ कपना, पराया माल कभी न तक्कना’।
अपना राम, भाव जन्म-मरण की फाही मुकाने वाला वो ‘जिन्दा राम है’। वो मोया राम नहीं है। जब बुलाओ वो बोलेगा, खट-खटाओ, दरवाजा (दरगाह का) खुलेगा। जिस टाईम और जहां भी कोई उसे याद करता है, खाते-समय, काम धंधा करते समय, सोते समय चलते, लेटके, बैठके, बल्कि सच्चे सार्इं जी ने तो यहां तक भी वचन किए हैं कि टट्टी-पेशाब (रफा हाजत) के समय भी अगर उसकी याद आती हे, वह वहां भी अपने नूरे-जलाल की खुशियोंं से उसे मालामाल कर देता है।
एक सूफी फकीर शाह हुसैन जी ने फरमाया है ‘शाह हुसैन गधा,’ जिस हंगदेया रब्ब लद्दा। है कोई इससे आसान मार्ग? है कोई इससे सस्ता सौदा? ‘हिंग लगे न फिटकरी, रंग चौखा आवे।’ हकीकत को देखना है, तो आईए सच्चा सौदा में, यहां वो कुछ मिलेगा कि कल्पना भी नहीं हो सकती।
सच्चा सौदा की स्थापना महान चमत्कार:-
पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज, बिलोचिस्तान से जो कि अब पाकिस्तान में है, जबकि पहले महा-हिंदुस्तान का हिस्सा था, हमारे लिए, जीव-प्राणियों, रूहों के उद्धार के लिए जगत में पधारे। ईश्वरीय कानून के अनुसार आप जी ने पंजाब प्रान्त के ब्यास में पूजनीय बाबा सावण सिंह जी महाराज को अपने गुरु-सतगुरु, अल्लाह मालिक के रूप में पाया और अपने अंदर के सच्चे व प्रबल ईश्वरीय प्यार, सच्चे त्याग से इतना मोहित कर लिया कि पूज्य बाबा जी आपजी के पीछे-पीछे, (जब आप अपने मुर्शिद के प्यार में सच्चा मुजरा करते) ऐसे फिरते जैसे गाय अपने बछड़े के मोह में फिरती है।
और साथ-साथ में पावन वचनों की बौछार आप जी पर करते। मस्ताना तुझे अंदर वाला राम दिया जो तुम्हारे सब काम करेगा। मस्ताना, जा तुझे हमने अपना स्वरूप दिया। तुझे ऐसा सौदा दिया जो कभी खुटेगा नहीं। पूज्य बाबा जी ने आप जी के लिए बख्शिश के जो वचन किए, आज तक इतिहास में शायद ही कोई मिसाल मिलती हो।
जा मस्ताना तुझे बागड़ का बादशाह बनाया। जा, बागड़ को तार। बागड़ तुम्हारे सुपुर्द किया। कुटिया (डेरा) बना, दुनिया को राम का नाम जपा। जिसको भी नाम देगा, इक लत इत्थे, दूजी सचखंड विच। उसकी रूह सीधे सचखंड में होगी, वो रूह कभी जन्म-मरण में नहीं भटकेगी।’
हमारे लिए, दुनिया व इन्सानियत की भलाई के लिए पूज्य सार्इं जी ने अपने मुर्शिदे-कामिल बेपरवाह बाबा सावण शाह जी की इन्हीं बख्शिशों में, ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ नारा भी बख्शिश रूप में मंजूर करवा लिया। मस्ताना शाह, तुम्हारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा दोनों जहानों में मंजूर किया। नारा भी कोई ऐसा वैसा नहीं। सच्चे दिल से जिसने भी, कभी और कहीं भी लगाया, नारें में इतनी जबरदस्त बख्शिश है, कि नारे ने उसे मौत के मुंह से ऐसे निकाल लिया जैसे मक्खन से बाल निकालते हैं। भाव महसूस तक भी नहीं होने दिया। अनेकों अनेक उदाहरण इस सच्चाई से रू-ब-रू करवाती है।
स्थापना :-
अपने प्यारे मुर्शिदे-कामिल की इन अपार बख्शिशों के अनुसार पूज्य बेपरवाह जी ने सरसा के नजदीक 29अप्रैल 1948 को एक छोटी सी कुटिया बनाई और उसका नाम करण किया, उसका नाम रखा सच्चा सौदा। सच अल्लाह, मालिक वाहिगुरु राम गॉड खुदा रब्ब और सौदा उसी सच्चे मालिक का नाम जपना, अल्लाह राम की बंदगी करना। सार्इं जी ने सच्चा सौदा शुरू किया, और इसकी खुशबू, राम-नाम की सच्ची भक्ति की खुशबू धीरे-धीरे चारों दिशाओं में ही महाद्वीपों नहीं, बल्कि दसों-दिशाएं इस खुशबू से महक रही है। पूरे विश्व में आप जिधर भी जाएं, सभी महाद्वीपों में सच्चा सौदा का नाम गूंज रहा है।
क्योंकि ये स्वयं बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज के ही वचन हैं कि इत्थे लहिंदा झुकेगा, चढदा झुकेगा, झुकेगा आलम सारा, कुल आलम इत्थे झुकेगा। चाहे योरपियन कंट्रीस हैं या अरबियन मुल्क हैं, दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पर पावन भंडारों पर पहुंच कर कुल मालिक, खुद-खुदा के नूर को सिजदा करते हैं।
पूज्य बेपरवाह जी का यह सच्चा सौदा रूपी वो नन्हा-सा पौधा आज इतना बड़ा बरगद का पेड़ (वट-वृक्ष) बन गया है, जो पूरी दुनिया को अपने पावन आंचल में संजोय हुए है। चाहे कोई अथवा किसी धर्म-जाति का है, हिन्दू है, मुस्लिम है, सिख है, या ईसाई किसी भी धर्म को मानने वाला है, और चाहे कोई भी है अमीर गरीब, राजा-रंक, सबके लिए सांझा, सबके लिए सत्कार है। जी-आया नूं जी, वैल्कम, मोस्ट वैल्कम। पूज्य सार्इं जी ने, ये सच्चा सौदा, ये डेरा सच्चा सच्चा ऐसा सर्व धर्म प्रिय, सर्वधर्म संगम बनाया है कि सभी धर्मों के लोग एक ही जगह पर इकट्ठे बैठकर अपने-अपने धर्म ईश्ट के अनुसार अल्लाह-मालिक का नाम ले सकते हैं, भक्ति-इबादत करते हैं। सच्चा सौदा, यह ही एक ऐसा दर है जहां लोग बिना झिझक, बिना संकोच के राम-नाम की भक्ति में एक जगह इकट्ठे बैठते हैं और यही इस दरबार डेरा सच्चा सौदा की हकीकत है कि यहां पर किसी को कोई रोक टोक नहीं है।
डेरा सच्चा सौदा को स्थापित हुए आज 68 वर्ष पूरे हो चुके हैं। पूज्य मौजूदा गुरु जी संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (डॉ. एमएसजी) की पावन रहनुमाई ने यह दिन डेरा सच्चा सौदा में रूहानी स्थापना दिवस के नाम से बहुत बड़े भंडारे के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। रूहानियत व इन्सानियत का संगम डेरा सच्चा सौदा पूज्य गुरु जी के मार्ग दर्शन में दिन दोगुनी रात-चौगुनी (दिन-रात) तरक्की कर रहा है। डेरा सच्चा सौदा के 69वें रूहानी स्थापना दिवस की समस्त साध-संगत को बहुत-बहुत बधाई हो जी। मुबारक! मुबारक!