सतगुरु जी ने बख्शी अपनी अपार रहमतें -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार कृपा
एसडीओ श्री करम सिंह जी इन्सां पुत्र स. जलौर सिंह जी, निवासी गांव नानकसर जिला फरीदकोट हाल आबाद रोज इनक्लेव फरीदकोट शहर से पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपने पर हुई अपार रहमतों का वर्णन इस प्रकार करते हैं:
मुझे सन् 1972 में परम पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम की अनमोल दात की बख्शिश हुई। सन् 1975 में मुझे टाईफाइड हो गया था। डॉक्टर ने बकरे का सूप पीने का परामर्श दिया और कहा कि फिर ही ठीक हो सकते हो। परंतु मुझे अपने सतगुरु मुर्शिद पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज पर दृढ़ विश्वास था। इसलिए मैंने डॉक्टर को साफ इन्कार कर दिया अर्थात् उनके बताए अनुसार मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। मैंने नाम का सुमिरन करके चने का सूप पीना शुरू कर दिया। पूजनीय सतगुरु जी की रहमत से मैं कुछ ही दिनों में ठीक व स्वस्थ हो गया।
मई 1989 की बात है। एक दिन मैं थाना कोतवाली फरीदकोट के सामने एक साइड में होकर अपने स्कूटर पर बैठा अपने स्टाफ मैम्बर से बात कर रहा था। उस समय गेहूं से भरा एक ट्रक सादिक चौक की तरफ से आया, वह सीधा मेरी तरफ को हो गया। ऐन उसी समय ही पूजनीय परमपिता जी ने मेरी बाजू पकड़कर मुझे साइड में खींच लिया और ट्रक स्कूटर के ऊपर से गुजर कर सीधा आगे दीवार में जा टकराया। वहां पर मौजूद सभी देखने वाले हैरान रह गए कि स्कूटर वाला कैसे बच गया! जबकि पूरा स्कूटर तो बिल्कुल प्रैस यानि खत्म हो गया था। बाद में पता चला कि अचानक ट्रक का टाईराड खुल गया था, जिस कारण उसके ब्रेक नहीं लगे और इसलिए वह बेकाबू हो गया था। मैं अपने प्यारे सतगुरु पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज का कोटि-कोटि धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मेरी जिंदगी बख्शी और मेरा बाल भी बांका नहीं होने दिया।
एक बार मेरी पत्नी को थायराइड हो गया था। वह सुबह, दोपहर और शाम को आठ-आठ गोलियां रोजाना खाती थी। फिर हमें किसी डॉक्टर ने सलाह दी कि पटियाला में जाकर गले के किसी विशेषज्ञ सर्जन से आॅपरेशन करवा लो। उसने डॉक्टर तथा आॅपरेशन की फीस लगभग डेढ़ लाख रुपए बताई और साथ में यह भी कहा कि ‘रिसकी’ भी है। मालिक की रहमत से हमें वहां अस्पताल में एक सत्संगी बहन स्टाफ नर्स मिली। उसने कहा कि आप सत्संगी प्रेमी हो और उसने हमें सलाह दी कि आप डेरा सच्चा सौदा में जाकर पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से बीमारी वाला यानि बीमारी ठीक करने वाला प्रसाद ले लो।
उसी दौरान पूजनीय परमपिता जी के मौजूदा स्वरूप पूज्य हजूर पिता जी ने ब्लॉक फरीदकोट तथा कोटकपूरा ब्लॉक की साध-संगत को सरसा दरबार में बुलाया था। उस समय पूज्य पिता जी ने बीमारों के लिए प्रसाद देते हुए वचन फरमाए कि ‘बेटा, आधा-पौणा घंटा सुमिरन करके दवाई लेनी है।’ पूज्य सतगुरु पिता जी की रहमत से मेरी पत्नी सतविन्द्र कौर इन्सां पूज्य हजूर पिता जी द्वारा बख्शिश प्रसाद व पावन वचनों से से ही ठीक हुई है और आॅपरेशन वगैरह की जरूरत ही नहीं पड़ी।
हम अपने सतगुरु पूजनीय परमपिता जी व उनके मौजूदा स्वरूप पूज्य हजूर पिता जी का कोटि-कोटि धन्यवाद करते हैं और धन्य-धन्य कहते हैं, जिन्होंने हमारी कदम-कदम पर सहायता की और कर रहे हैं। पूजनीय सतगुरु जी, अपनी रहमत हम निमाणों पर इसी तरह ही बनाए रखना जी।