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How to Entertain The Patient Child
यदि कोई बीमार पड़ जाए तो उसकी स्थिति बड़ी विकट हो जाती है, क्योंकि उस पर कई तरह की बन्दिशें लग जाती हैं। इस स्थिति में रोगी अपने-आपको ऊबा हुआ महसूस करता है। यदि बन्दिशों का पालन न किया जाए तो रोग का खतरा बढ़ जाता है। अत: संयम और परहेज डॉक्टर की राय के अनुसार करना बहुत जरूरी है, खासकर बच्चों की बीमारी की अवस्था में, किन्तु बच्चों की बीमारी में नियम और संयम का पालन आसान काम नहीं है, खासकर मां के लिए, क्योंकि मां ही बच्चे की देखभाल ज्यादा करती है, अत: उनका दायित्व बढ़ जाता है। (How to Entertain The Patient Child)
बच्चे प्राकृतिक रूप से चंचल और ना-समझ होते हैं। बीमारी की अवस्था में भी वे खेलना-कूदना या अपनी मनपसंद चीजें जैसे-च्यूंगम, आइसक्रीम, चाकलेट आदि खाना ज्यादा पसंद करते हैं। अत: उनके प्रति सावधानी और समझदारी से काम लेना पड़ता है। यदि सावधानी और समझदारी से काम न लिया जाए तो उन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है जिससे वे चिड़चिड़े और सुस्त हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के मां-बाप को चाहिए कि वे बच्चों को डांटें नहीं, बल्कि उन्हें भरपूर प्यार दें और समझाएं। बच्चों को डांटने से या प्यार से न समझाने पर उनकी मन:स्थिति बुरी हो सकती है और इससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। खासकर यह बात मां को ही समझनी चाहिए। क्योंकि बच्चे मां के निकट अधिक रहते हैं।
क्रोध और सुस्ती कारण
रोग तथा डॉक्टर के कहने के अनुसार मां अपने बीमार बच्चे पर रोक लगाती है। इस कारण बच्चे घर से बाहर नहीं जाते, वे बिस्तर पर पड़े रहते हैं। इसके अलावा खाने पर भी बन्दिशें लग जाती हैं। इससे बच्चा ऊब और सुस्ती महसूस करता है। उसके अन्दर क्रोध की भावना जागृत हो जाती है। वे दवा लेने में भी आनाकानी करने लगते हैं, क्योंकि बच्चे चंचल स्वभाव के होते हैं और उन्हें बन्दिशों में बांधा नहीं जा सकता।
अत: इस स्थिति में चाहिए कि आप उनका भरपूर मनोरंजन करें तथा उनका मन बहलाएं क्योंकि बच्चा स्वयं अपना मन बहलाव नहीं कर सकता। वह चाहता है कि लोग उसे प्यार करें, उससे मीठी बातें करें। ऐसी स्थिति में चाहिए कि बच्चे को अधिक से अधिक समय दें। उससे सहानुभूति प्रकट करें। उसे कहानियां सुनाएं। बच्चों का दिल बहलाने के लिए वैसे तो बहुत से साधन हैं जैसे-वीडियो, रेडियो, टी. वी. टेपरिकार्डर आदि। कॉमिक्स या कहानियों की किताबें भी बच्चों के पास रख सकते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वे इनका उपयोग कर सकें।
इसके अतिरिक्त बच्चों का मन बहलाव निम्न तरीकों से भी किया जा सकता है:-
चित्रकला:-
बहुत से बच्चों को चित्रकला में बहुत रूचि होती है। वे हमेशा पेन्सिल या कलर पेन्सिल से कुछ न कुछ बनाते रहते हैं, अत: बच्चों को व्यस्त रखने का यह एक अच्छा माध्यम है किन्तु बिस्तर पर कोई प्लास्टिक की शीट अवश्य डाल दें ताकि बिस्तर गन्दा न हो।
शतरंज, लूडो:-
ये खेल मनोरंजक तो होते ही हैं, साथ ही इनमें कम से कम एक साथी की भी आवश्यकता होती है जिनसे उनका मनोरंजन होता है।
वीडियो गेम:-
आजकल इसका प्रचलन अधिक हो गया है। बच्चे इसमें ज्यादा रूचि लेने लगे हैं। इसको देखने से बच्चों का मनोरंजन तो होता ही है साथ ही वे अपनी बीमारी को भी भूल जाते हैं।
बुनाई-कढ़ाई:-
कुछ लड़कियां बुनाई-कढ़ाई में ज्यादा रुचि लेती हैं। अत: उनके मन बहलाव के लिए बुनाई-कढ़ाई का सामान लाकर दें। अच्छे-अच्छे डिजाइन, प्रिंट उनके पास रखें, ताकि वे भी कोशिश करेंगे।
किताबें व पत्रिकाएं:-
कुछ बच्चे किताबें और पत्रिकाएं पढ़ने के बड़े शौकीन होते हैं। पत्रिकाओं और किताबों के अन्दर बने रंगीन चित्र उन्हें बड़े अच्छे लगते हैं। अत: उन्हें ऐसी किताबें या पत्रिकाएं अवश्य दें ताकि उनका मन बहल सके।
खिलौना:-
यदि बच्चा बहुत छोटा है तो कई तरह के खिलौनों द्वारा उसका मन बहला सकती हैं। इस प्रकार यदि आप बीमार बच्चे का मनोरंजन करती रहेंगी तो बच्चा ऊबेगा भी नहीं। स्वस्थ भी जल्दी होगा और आपके लिए कोई समस्या भी पैदा नहीं होगी।
-अनिल कुमार श्रीवास्तव