Be active for a happy life

सुखी जीवन के लिए क्रियाशील बनें Be active for a happy life
जो लोग किसी न किसी काम में अपने शरीर और मन को लगा सकते हैं, वे जीवन खुशी-खुशी व्यतीत करते हैं। इसके विपरीत कामचोर, लापरवाह, स्वार्थी और निकम्मे आदमी तरह-तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों के शिकार होकर असमय मौत के ग्रास बनते हैं।

क्रियाशीलता, जागरूकता और चेतना, तीनों शब्द ‘जीवन’ के ही पर्याय हैं। जिस आदमी में शरीरगत क्रियाशीलता, मानसिक जागरूकता एवं आत्मिक स्तर की चेतना न हो तो उसे जीवित नहीं मान सकते। आदमी चाहे आस्तिक हो या नास्तिक, हिन्दू हो या ईसाई, जीवन के इस सत्य को झुठला नहीं सकता।

वस्तुत:

क्रियाशीलता का दूसरा नाम ही जीवन है।

आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में यूं तो सारा संसार सक्रि य व सचेत नजर आता है किंतु यह विनाशकारी चेतना है। यह दौड़धूप मात्र शिश्नोदर पूर्ति तक सीमित है और इसलिए आज का आदमी अपने आप से ही असंतुष्ट और दु:खी है।
सुख पाने के लिए तीनों तरह से यानी शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से क्रियाशील होना आवश्यक है।

यह इस प्रकार संभव होगा:-

  • सुबह-सुबह सोकर उठते ही अपने मन मस्तिष्क को शुभ एवं लाभकारी विचारों से भर लें। ऐसा विचार करें कि आपके भीतर परमात्मा की शक्ति का अनन्त भण्डार भरा हुआ है। आप समर्थ पिता की समर्थ संतान हैं।
  • चिंतन करें कि यह शरीर नाशवान है, इसलिए इसकी ज्यादा रंगाई पुताई न कर के इसको स्वस्थ और बलिष्ठ बनाये रखने का प्रयास करें।
  • योगासन, प्रार्थना और दान-पुण्य के साथ दिन का शुभारंभ अनेक विपत्तियों से बचाता है लेकिन यह सब दिखावे के लिए न करें। पुण्य आप अपने सुख के लिए कर रहे हैं, इसलिए किसी पर एहसान न जतायें।
  • अपने शरीर की सफाई, कपड़ों की धुलाई, दाढ़ी बनाना, बूट पॉलिश, जूठे बर्तन स्वयं धोना एवं अपने व्यक्तिगत कार्य स्वयं करें।
  • आप भले ही असमर्थ हों अथवा बेरोजगार हों, अपने घर-परिवार में जो भी संभव कार्य हो, करते रहें। सिलाई, कढ़ाई, पेटिंग, बागवानी, गृहसज्जा, रोगी परिचर्या, बच्चों की देखभाल, वृद्धों की सेवा आदि अनेक ऐसे कार्य हैं जिन पर अमीर लोग काफी पैसा खर्च करते हैं। आप अपनी मेहनत और लगन से अपना घर संभाल सकते हैं, साथ ही कुछ पैसा भी कमा सकते हैं।
  • आजकल अधिकांश लोग मुफ्त का माल खाना अपनी शान समझते हैं लेकिन यह भ्रष्ट आचरण है। कुछ न कुछ कामकाज हर एक को करना चाहिए भले ही उससे नगद न आता हो। रुपया ही सब कुछ नहीं होता। शरीर की सामर्थ्य भी कोई चीज है। बिना काम किये शरीर कभी मजबूत भी नहीं बन पाता।
  • बेकार न बैठें। अच्छे लोगों से सम्पर्क बनायें। आपको आपके स्तर के अनुरूप काम अवश्य मिल जायेगा।
    दुनिया में जितने भी महान नेता, विचारक, महात्मा एवं सफल पुरुष हुए हैं वे सभी के सभी विपरीत परिस्थिति और बदहाली में पैदा हुए थे किंतु वे अपनी क्रियाशीलता के बल पर नया इतिहास रच गये हैं। आप भी कर सकते हैं। शर्त एक ही है कि आप सक्रिय व सचेत हो कर जागृत और जीवंत हों।
    -जी पी साहू
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