बॉडी शेमिंग एन अनसॉलिसिटेड एडवाइज

बॉडी शेमिंग एन अनसॉलिसिटेड एडवाइज

‘अरे! तूने आजकल बड़ा वेट पुट आॅन कर लिया है। कुछ कर! यूं ही फूलती रही न, तो कोई शादी भी नहीं करेगा! और ये कोई उम्र है मोटापे की। तेरी उम्र में यूं तो मेरा ब्याह होकर, गुड्डू भी मेरी गोद में आ गया था, पर ब्याह से पहले मैं 37 किलो की थी और गुड्डू होने के बाद भी सिर्फ 47 की।’ सरिता अंधाधुंध अपनी भतीजी को देख शब्दों की फायरिंग किए जा रही थी। मोनिका, उसकी भतीजी पहले तो चुपचाप शब्दभेदी बाण सहती रही ये सोचकर कि चलो, साल भर में 10 दिन को ही तो बुआ आती है।

ऐसे में क्या मुंह लगना! पर अब उसकी बर्दाश्त से बाहर हो चला था, क्योंकि तब की 47 किलो, अब 97 किलो की हो चली थी। बॉडी में जगह-जगह छोटे-बड़े चर्बी के टायर ब्यां कर रहे थे कि केवल शादी का मुद्दा एक तरफ रख दिया जाए तो सारी बातें बुआ पर ही लागू होती थी।

मोनिका सुन-सुनकर पूरी तरह भर चुकी थी, इसलिए अनायास ही बोल पड़ी- ‘…हां, और अबकी सरिता बुआ में तबकी दो सरिता बुआ तो आराम से फिट हो जाएंगी, और फिर भी 3 किलो बचेगा! है ना, बुआ?’ सरिता अवाक हो गई और फिर मुंह फुलाकर बैठ गई। ये केवल एक दृष्टान्त है, पर हम सभी या तो कहीं न कहीं यह करते हैं, या हम सभी के साथ कहीं न कहीं ऐसा होता है। इसे ‘बॉडी शेमिंग’ कहा जाता है।

‘बॉडी शेमिंग’ का अर्थ है, सामने वाले पर उसकी शारीरिक संरचना को लेकर इस प्रकार की टिप्पणी करना कि वह अपने शरीर को लेकर शर्मिंदगी महसूस करे। अमूमन हम जानते ही नहीं कि हम बॉडी शेमिंग कर रहे हैं। या यह हमारे साथ हो रही है। हम इसे एक मजाकिया टिप्पणी समझ लेते हैं, किन्तु हमें यह समझना चाहिए कि यह बहुत ही निजी टिप्पणी है, जो किसी के व्यक्तित्व से जुड़ी होती है।

आमतौर पर बॉडी शेमिंग के फबते लड़कियों पर ही कसे जाते हैं, जैसे कि सांवला रंग है, नाटी है, बाल बहुत पतले हैं, होठ मोटे हैं, पेट लटक रहा है वगैरह-वगैरह। आखिर लोग ऐसी टिप्पणियां करते ही क्यों हैं? इसका जवाब मनोचिकित्सक यूं देते हैं कि अमूमन ऐसी टिप्पणियां वही लोग करते हैं, जो स्वयं किसी न किसी कुंठा या कमी का शिकार होते हैं और अवचेतन मन से अनजाने में उस कमी को दूसरे पर थोपकर, वर्णन करने की इच्छा प्रबल होती है, ताकि स्वयं की कमी दिखाई ही न पड़े। यही कारण है कि लोग दूसरों को कमतर महसूस कराकर स्वयं को बेहतर साबित करने की कोशिश करते हैं। वे स्वयं के साथ खड़े होने की कोशिश करते हैं, ताकि उनकी कमी उन्हें लील न जाए।

अकारण बॉडी शेमिंग एक मानसिक रोग है:

हमेशा लोगों को किसी पूर्वाग्रह के तराजू में तोलते रहना और अपना एक निर्णय उनकी बॉडी शेमिंग कर सुना देना, सही नहीं है। इसके प्रतिफल कड़वे भी हो सकते हैं। हो सकता है, सामने वाला आपकी टिप्पणी सोखने की स्थिति में ही न हो, या वो उस पर उग्र हो उठे। ऐसे में आपको बुरी प्रतिपुष्टि का सामना भी करना पड़ सकता है।

इस बात को समझिए कि कुदरत ने हर किसी को अलग बनाया है। रंग-रूप, कद-काठी, चाल सब कुदरत की देन है। इसमें व्यक्ति विशेष का कोई योगदान नहीं। आपकी टिप्पणी यदि सकारात्मक हो, एक सकारात्मक उद्देश्य या भाव लिए हो, तो वह सार्थक है। जैसे आप किसी को सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की ओर ले जाने की कोशिश कर रहे हों तो आप उन्हें अपने अंदर सुधार करने को प्रोत्साहित कर सकते हैं। किन्तु अकारण टीका-टिप्पणी उचित नहीं, क्योंकि एक व्यक्ति जैसा भी हो अपने आप में सबसे अलग है।

वह किसी और जैसा, या किसी की इच्छा के अनुसार हो भी नहीं सकता।
उस पर आजकल कई बार लोग अपनी किसी बीमारी के कारण भी बेडौल हो जाते हैं। या चर्मरोग के शिकार हो जाते हैं। यह संभव है कि वे सामाजिक रूप से इस पर बात न करना चाहते हों। ऐसे में आपके द्वारा की गई बॉडी शेमिंग उन्हें दु:ख पहुंचा सकती है या अगर वे उस बॉडी शेमिंग से सहज न हों, तो प्रत्युत्तर में आपका अपमान भी हो सकता है।

अत:

बोलचाल में हमेशा सार-गर्भित एवं सकारात्मक बातों का ही प्रयोग करें, ताकि शांति व आपसी सम्मान बना रहे। -सांवरी

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