Cultivate black wheat for better earnings -sachi shiksha hindi

बेहतर कमाई के लिए करें काले गेहूं की खेती
बढ़ती जनसंख्या के साथ विश्व में भोजन की कमी और आवश्यकता दोनों तेजी से बढ़ रही है। वहीं अगर गेहूं की बात करें तो गेहूं एक महत्वपूर्ण फसल है, जो विश्व खाद्य आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गेहूं पूरी दुनिया में उगाया जाता है।

लेकिन गेहंू की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सुधार आवश्यक है। आजकल काले गेहूं और काले धान की खेती की तरफ किसानों का झुकाव देखने को मिल रहा है, क्योंकि इससे बेहतर कमाई होती है। देश में गेहूं की कई प्रजातियां मौजूद हैं। काला गेहंू का बीज अपने नाम के अनुरूप काला रहता है।

पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनएबीआई) की वैज्ञानिक डॉ. मोनिका गर्ग ने गेहूं की तीन नई किस्में विकसित की हैं-काली, नीली और बैंगनी। इसे कुछ राज्यों में कठिया गेहूं के नाम से भी जाना जाता है। अपने खास गुणों के चलते इसकी मांग काफी अधिक रहती है।

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वहीं दूसरी ओर इसकी सप्लाई लिमिटेड होने के चलते इसकी कीमत काफी अधिक मिलती है।

भारत में काले गेहूं की खेती

हमारे देश में काले गेहूं की खेती उन सभी राज्यों में की जा सकती है, जहां सामान्य गेहूं पैदा किया जाता है। हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश सहित भारत के सभी गेहूं उत्पादक राज्यों की जलवायु और मिट्टी, इसकी उपज के लिए उपयुक्त है। हाल फिलहाल की बात करें तो उत्तरप्रदेश के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर शुरू भी की जा चुकी है।

रंग का कारण

वर्णक “एंथोसायनिन”, जो फलों और सब्जियां के रंग को भी प्रभावित करता है। ये एंथोसायनिन प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एंटीआॅक्सिडेंट जो अनाज भरने के दौरान एक खेत में बनते हैं। सामान्य गेहूं में एंथोसायनिन की मात्रा 5 पीपीएम (प्रति भाग) होती है, काले गेहूं के दाने में एंथोसायनिन की मात्रा लगभग 100-200 पीपीएम होने का अनुमान है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काला गेहूं एक स्वस्थ विकल्प है।

इस प्रकार का अनाज काले के अलावा बैंगनी और नीले रंग में भी उपलब्ध है। कारण यह है कि, रंग अंतर के अलावा, काले गेहूं के उच्च पोषण संबंधी लाभ होते हैं। एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है। काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं।

यह कैसे उगाया जाता है

काला गेहूं सामान्य गेहूं की तरह ही उगाया जाता है। पौधा और पुष्पगुच्छ काला होता है, लेकिन जब बीज पक जाता है, तो उसकी चमक पर एक काला रंग दिखाई देता है। इसे पकने में 130-135 दिन लगते हैं और बीज छोटे होते हैं।

काले गेहूं की खेती में मुनाफा

काला गेहूं बाजार में ऊंचे दाम पर बिकता है, क्योंकि इसके फायदे बहुत अधिक हैं। काला गेहूं बाजार में 7-8 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकता है। यानी प्रति किलो की लागत करीब 70-80 रुपये। वहीं दूसरी ओर सामान्य गेहूं 1700-2000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकता है। हालांकि, इस गेहूं के उत्पादन में सामान्य गेहूं के मुकाबले लागत थोड़ी अधिक आती है, लेकिन ऊंची कीमत पर बिकने की वजह से मुनाफा काफी अधिक होता है।

बुवाई कब करें

काले गेहूं की खेती भी रबी मौसम में की जाती है, हालांकि इसकी बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। काले गेहूं के लिए नमी बेहद जरूरी होता है। नवम्बर के बाद काले गेहूं की बुआई करने पर पैदावार में कमी आती है। काले गेहूं की बुवाई समय से एवं पर्याप्त नमी पर करना चाहिए। देर से बुवाई करने पर उपज में कमी होती है। जैसे-जैसे बुवाई में विलम्ब होता जाता है, गेहूं की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है।

दिसंबर में बुवाई करने पर गेहूं की पैदावार 3 से 4 कु./ हे. एवं जनवरी में बुवाई करने पर 4 से 5 कु./ हे. प्रति सप्ताह की दर से घटती है। गेहूं की बुवाई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है। काले गेहंू का उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है। इसकी उपज 10-12 क्विंटल/ बीघा होता है।सामान्य गेहूं का भी औसतन उपज एक बीघा में 10-12 क्विंटल होता है।

बीज दर एवं बीज शोधन

पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 100 किग्रा. तथा मोटा दाना 125 किग्रा. प्रति है, तथा छिटकाव बुवाई की दशा में सामान्य दाना 125 किग्रा. मोटा-दाना 150 किग्रा. प्रति हे. की दर से प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले जमाव प्रतिशत अवश्य देख लें। यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें। बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौबैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बुवाई करें। सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किग्रा. तथा मोटा दाना 100 किग्रा. प्रति हे. की दर से प्रयोग करें।

जलवायु व मिट्टी

भारत में काले गेहूं की खेती करने के लिए जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता पर विशेषज्ञों की राय है कि नवंबर माह का मौसम ब्लैक गेहूं की बुवाई के लिए सर्वोत्तम समय है। इस समय खेतों में मौजूद पर्याप्त नमी बीजों के अंकुरण और आगे जाकर बेहतरीन उत्पादन देने में सहायक होती है। मतलब यदि आप सामान्य गेहूं की खेती करते हैं तो आप उसी समय में इसकी खेती कर सकते हैं, क्योंकि अमूमन भारत के अधिकांश हिस्सों में अक्टूबर और नवंबर के दिनों में ही गेहूं की बुवाई की जाती है।

ऐसे करें खेत तैयार

  • इसके बीज की बुवाई करने के पहले खेत में नमी कम है तो उसे पानी दे कर दो बार पलट लें।
  • उसके बाद अंकुरण योग्य नमी होने पर काले गेहूं की बुवाई कर दें।
  • यदि अक्टूबर-नवंबर तक खेतों में प्राकृतिक नमी बनी हुई हो तो उसी नमी के साथ बुवाई की जा सकती है।
  • खेत में जिंक व यूरिया के साथ-साथ डीएपी ड्रिल से डालें।

फसल की सिंचाई

जैसा आप सभी जानते हैं कि अच्छी गुणवत्ता वाली फसल के लिए उसकी समय पर सिंचाई होना भी आवश्यक है। फसल में पहली सिंचाई तीन हफ्ते बाद करें। फुटाव, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से ठीक पहले, दूधिया हालत और दाना पकने के समय सिंचाई का विशेष ध्यान रख आप अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

काले गेहूं की कीमत व कमाई

मंडी में काला गेहूं 5,000 से 7,000 हजार रुपए प्रति क्विंटल की कीमत पर बिकता है, जो कि सामान्य गेहूं से दोगुना है। यदि 2-3 बीघा जमीन से आप 30 से ज्यादा की उपज प्राप्त करते हैं तो दो से ढाई लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं। किसान भाई अपनी उपज को अपने नजदीकी मंडियों या काले गेहूं खरीदने वाली संस्थाओं को सीधे बेच सकते हैं। संस्थाओं के द्वारा भी इसके अच्छे रेट दिए जाते हैं।

स्वास्थ्य लाभ

  • काला गेहूं उच्च रक्तचाप, सर्दी, मूत्र संक्रमण और हृदय रोग जैसी कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
  • इसमें नियमित गेहूं की तुलना में अधिक एंटीआॅक्सीडेंट भी होते हैं, जो हमारे शरीर में एंटीबॉडी और फ्री-रेडिकल्स नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • कैंसर से बचने के अलावा काला गेहूं मोटापा, आंख रोग और रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसे कई तरह के विकारों को भी ठीक करता है।
  • काला गेहूं एक बेहतर आहार पूरक है जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में और निम्न रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर निम्न करने में मदद करता है। इसकी चपाती कब्ज और अन्य पाचन विकार से राहत दिलाने में मदद करती है।
  • काले गेहूं में असंतृप्त फैटी एसिड की उपस्थिति मधुमेह, हृदय संबंधी विकार (उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, परिधीय संवहनी रोग, और कोरोनरी धमनी रोग आदि) के खतरे को कम करती है।

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