Save Human Life: दुर्गम पहाड़ों पर इंसानी जीवन को बचाने की जद्दोजहद
Save Human Life कुछ विरले शख्स ऐसे होते हैं जो खुद की सुरक्षा के बजाय दूसरों की सुरक्षा को ज्यादा अहमिसत देते हैं। अमरनाथ,...
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स | पेरियॉडिक टेबल | 7 वर्षीय | पर्लमीत इन्सां
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज india book of records
पेरियॉडिक टेबल में 7 वर्षीय पर्लमीत इन्सां ने बनाया रिकॉर्ड
‘होनहार बिरवान के होत चिकने...
सुख-समृद्धि का पर्व है बैसाखी
सुख-समृद्धि का पर्व है बैसाखी
रत को यदि पर्वोत्सवों की खान कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। अभावों के साये में जीने के बावजूद...
गुरू पापा की प्रेरणा का अनूठा उदाहरण बनी नेहा इन्सां
65 प्रतिशत लीवर दान कर बोली, मुझे खुशी हुई कि मैं इन्सानियत के काम आई
गुरू पापा की प्रेरणा का अनूठा उदाहरण बनी नेहा इन्सां...
केन्द्रीय बजट 2020-21
केन्द्रीय बजट 2020-21 Union Budget 2020-21
रोजगार, मजबूत कारोबार, महिला कल्याण का लक्ष्य निर्धारित
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020...
ऐसे मनाएं holi जो सबके लिए हो खास
ऐसे मनाएं happy holi जो सबके लिए हो खास उत्तर भारत में होली का त्यौहार बड़े उत्साह और खुशी से मनाया जाता है। होली...
पैर कटे, पर जीवन को फिर पटरी पर ले आए अमर सिंह
जिंदगी में हमारी अगर दुश्वारियां ना होती तो लोगों को हमपे यूं हैरानियां ना होती। यह बात उस इंसान पर सटीक बैठती है, जिसने एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गंवा दिये। इतनी अधिक शारीरिक अक्षमता के बाद भी उसने जीवन को नये सिरे से शुरू किया। आज वह बिना पांव के न केवल शरीर का बेहतर बैलेंस बनाकर रखता है,
अपनी शक्ति का सदुपयोग करें युवा
हर पल कुछ नया करने का जुनून, नई बातें जानने की जिज्ञासा, कुछ कर गुजरने का जज्बा और जिंदगी, जिंदादिली से जीने की इच्छा। कुछ इसी तरह की शक्तियों का मिला-जुला रूप है युवा वर्ग। युवाओं को अपनी शक्ति को सही दिशा में लगाने की आवश्यकता है।
सुर्खियों में है ‘रूही’
सुर्खियों में है ‘रूही’ 69 इंची ऊंचाई वाली खास है यह घोड़ी मक्खन खाकर अपनी कद-काठी से बनाई अलग पहचान खास बातें
अवर्णनीय परोपकार
जो सतगुरु जीवन ही बख्श दे, मुर्दे को जिन्दा कर दे, जो चौरासी के कैदखाने में बंदी रूहों को अपने रहमो-करम से मुक्त कर दे और उन्हें एक-एक को, सबको अपने घर निज देश, सतलोक, सचखण्ड में पहुंचा दे, क्या इससे बड़ा कोई परोपकार हो सकता है?