The rule of giving certified certificate is correct, but for mother tongue education, teacher should be of the same field

नई शिक्षा नीति को राष्टÑीय शिक्षक पुरस्कार विजेता मनोज लाकड़ा ने बताया बेहतर नीति
ॅ 5 सितम्बर 2020 को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं शिक्षक मनोज
संजय कुमार मेहरा

बेहद सादगी भरे इंसान, लेकिन उनके भीतर जो ज्ञान का भंडार भरा है। मनोज कुमार लाकड़ा अपने अनमोल ज्ञान को स्कूल में बच्चों के बीच बांटते हैं। अपने पढ़ाए बच्चों की कामयाबी ही उनका पुरस्कार है। सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में वे बच्चों को निपुण बनाते हैं, ताकि जीवन के हर मोड़ पर उन्हें कामयाबी ही मिले। मौलिक मुख्य अध्यापक मनोज कुमार लाकड़ा को 5 सितम्बर 2020 को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मनोज कुमार मूलरूप से झज्जर जिला के छुड़ानी गांव के रहने वाले हैं।

पूर्व राष्ट्रपति एवं महान शिक्षक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम से मनाए जाने वाले राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर सम्मानित करने के लिए देशभर से चयनित 47 शिक्षकों में मनोज कुमार लाकड़ा हरियाणा से अकेले शिक्षक चुने गए। 12 जनवरी 2001 से शिक्षक के रूप में राजकीय उच्च विद्यालय गंगवानी जिला गुरुग्राम (वर्तमान में नूंह जिला) से शुरूआत की। गुरुग्राम जिला से ही अध्यापन का कार्य शुरू करने वाले शिक्षक मनोज कुमार लाकड़ा को इसी जिले में रहते हुए राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड भी मिला है।

हाल ही में जारी की गई नई शिक्षा नीति पर मनोज कुमार लाकड़ा का कहना है कि यह शिक्षा नीति अच्छी है। फिर भी इसमें कुछ बिंदू ऐसे हैं, जिनमें संशोधन करने की जरूरत है। इसमें स्थानीय भाषा (मातृभाषा) में पढ़ाने का जो नियम है, वह लागू तो किया जाए, लेकिन ध्यान यह रखा जाए कि पढ़ाने वाले शिक्षक भी उसी क्षेत्र के हों। तबादला नीति में इस बिंदू को शामिल किया जाए। क्योंकि एक ही प्रदेश में अलग-अलग छोर पर भाषा में फर्क आ जाता है। ऐसे में बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए परेशानी होगी। श्री लाकड़ा के अनुसार नई शिक्षा नीति में खेलों पर कम ध्यान दिया गया है।

इसके लिए वे खुद भी एक ड्राफ्ट तैयार कर रहे हैं। जिसे सरकार को भेजेंगे, ताकि सुधार हो सके। कक्षा 12वीं के बाद उच्च शिक्षा में तो कोर्स पूरा करने से पहले किसी कारणवश पढ़ाई छूट जाती है तो हर कक्षा का प्रमाणित सर्टिफिकेट दिए जाने का नियम भी सही है। वह किसी न किसी रूप में युवाओं के काम आएगा। गुरुग्राम जिला शिक्षा अधिकारी इंदू बोकन व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी पे्रमलता ने मनोज कुमार लाकड़ा को बधाई दी है। साथ ही कहा है कि हर शिक्षक मनोज कुमार से प्रेरणा लेकर अपने सेवाकाल में बेहतर काम करें।

उनके पढ़ाए छात्रों ने बनाया मोबाइल ऐप

वर्ष 2014 में उनके पढ़ाए हुए विद्यार्थियों ने 6 मोबाइल ऐप बनाकर उनका मस्तक ऊंचा कर दिया। अमूमन किसी भी मोबाइल ऐप को बीसीए या एमसीए के विद्यार्थी ही बना सकते हैं, उन ऐप को एक सरकारी स्कूल के 9वीं कक्षा के चार विद्यार्थियों ने बनाया। छात्रों द्वारा मिड-डे-मील हरियाणा ऐप को विकसित व डिजाइन किया, जिससे हरियाणा के हजारों शिक्षकों के साथ-साथ अन्य राज्यों के शिक्षकों को भी काफी फायदा हुआ।

हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों के इस ऐप को अपनाया गया व सभी सरकारी विद्यालयों में लागू किया गया। अध्यापक मनोज लाकड़ा के मार्गदर्शन में इन्हीं छात्रों ने समग्र मूल्यांकन ऐप, फीस रजिस्ट्रार ऐप, फंड व स्टॉक रजिस्टर ऐप, स्कॉउट व गाईड ऐप, प्रगति पथ ऐप को तैयार किया। विद्यालय वेबसाईट, ई-मैगजीन, ब्लॉग एजुकेशनल गेम्स, सरकारी विद्यालयों की गुगल मैपिंग आदि अनेक कार्यों में छात्रों ने नाम रोशन किया।

हरियाली के लिए भी खूब किया काम

अध्यापक मनोज कुमार ने शिक्षा विभाग में कार्य ग्रहण करने के बाद पौधारोपण कार्य कर कई विद्यालयों की सूरत ही बदल दी। जहां-जहां उनकी नियुक्ति रही, उन विद्यालयों में पौधारोपण कर विद्यालयों को हरा-भरा किया। इनकी टीम ने वर्ष 2017 में हरियाणा वन विभाग के साथ मिलकर जिला पलवल में दो लाख पौधों का वितरण कार्य किया, जिसमें हरियाणा वन मंत्री विपुल गोयल द्वारा सम्मानित किया गया।

पेड़ों का क्यू-आर कोड लगा बनाया यादगार

उनके छात्र हिमांशु द्वारा रा.व.मा. विद्यालय बजघेड़ा में लगे हर पेड़ पौधे का क्यू-आर कोड बनाकर चिपकाया गया है, ताकि बच्चे व अभिभावकगण क्यू-आर कोड को मोबाइल से स्कैन कर उस पेड़ से सम्बन्धित सारी जानकारी प्राप्त कर सकें। यह हरियाणा का पहला विद्यालय है, जहां हर पेड़-पौधे पर क्यू-आर कोड लगाए गए हैं। इनके मार्गदर्शन में छात्रों ने जिला व राज्य स्तरीय कला उत्सव, बाल रंग, लीगल लिट्रेसी, रमसा विज्ञान प्रदर्शनी, में संगीत, नाटक, स्किट व सांझी मेकिंग में अनेक पुरस्कार प्राप्त किए।

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