Indescribable benevolence

अवर्णनीय परोपकार (Indescribable benevolence )
सच्चे सतगुरु-मुर्शिदे-कामिल के मानवता के प्रति परोपकारों की गणना हो ही नहीं सकती। सतगुरु के इतने अनगिणत परोपकारों को कोई बयान नहीं कर सकता।

जो सतगुरु जीवन ही बख्श दे, मुर्दे को जिन्दा कर दे, जो चौरासी के कैदखाने में बंदी रूहों को अपने रहमो-करम से मुक्त कर दे और उन्हें एक-एक को, सबको अपने घर निज देश, सतलोक, सचखण्ड में पहुंचा दे, क्या इससे बड़ा कोई परोपकार हो सकता है? और शिष्य-प्रेमी अपने ऐसे गुरु, पीरो-मुर्शिद सच्चे सतगुरु के उन तमाम रहमो-करम के हकदार बन जाया करते हैं जो अपने गुरु मुर्शिद के वचनों पर अमल किया करते हैं। रूहानियत में हर कड़ी गुरु से शुरू होती है और गुरु मुर्शिदे-कामिल से ही जुड़ी रहती है।

सामाजिक व दुनियावी क्षेत्र में देखा जाता है कि गुरु हर क्षेत्र में जरूरी है।

गुरु के साथ ही इन्सान हर क्षेत्र में सफलता हासिल करता है और बगैर गुरु के उस जीव की हालत तिलों के उस पौधे की तरह होती है जोकि उजाड़ में अकेला ही होता है, फलता-फूलता तो है पर कोई संभाल करने वाला नहीं होने के कारण अपने-आप ही मिट्टी में मिल जाता है। गुरु साथ है और उसके वचनों के अनुसार जीव चलता है तो शिष्य के पौ बारां पच्ची। हर क्षेत्र में सफलता उसके आगे-पीछे रहती है। सतगुरु अपने शिष्य का कभी भी और किसी क्षेत्र में अकाज नहीं होने देता। बच्चा नन्हा है माता-पिता उसकी उंगली थाम चलना सिखाते हैं।

बच्चा बड़ा हो गया, अपने पैरों से चलना सीख गया तो मां-बाप बेफिक्र हो जाते हैं लेकिन सतगुरु हर पल अपने शिष्य की उंगली थामे रखता है कि कभी वह गंदगी में फिसल न जाए। इसलिए सच्चा गुरु , पीरो-मुर्शिद अपने शिष्य को हर पल गाईड करता है, समझाता और संवारता रहता है। वो अपने रूहानी सत्संग के वचन सुनाकर भगवान से दुआ, प्रार्थना करके उसके रास्ते के कांटों, उसके कर्माें, उसकी मुश्किलों को हटाता रहता है। शिष्य का हाथ वह हमेशा थामे रखता है। मां-बाप बेशक अपने बच्चे को दुनिया में अकेला(बड़ा हो जाने पर) छोड़ सकते हैं पर सतगुरु अपने जीव को कभी अकेला नहीं छोड़ता।

परम पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज की अपार रहमत जो उन्होंने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को आज के दिन (28 फरवरी को) डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह के रूप में गद्दीनशीन किया और उन्हीं की रहमत है जो डेरा सच्चा सौदा सर्वधर्म संगम के रूप में जगत प्रसिद्ध हुआ है। पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज दाता रहबर ने जीवों पर जो अपना रहमो-करम किया है प्रत्यक्ष रूप में हम सब दुनिया में देख भी रहे हैं। उसकी मिसाल जग-जाहिर है। ‘सतगुरु रूप वटा के है आया’।

पूज्य सतगुरु जी ने जो चाहा, जो फरमाया, और जीवोद्धार के लिए अपना करम करके दिखाया। पूजनीय परम पिता जी का रहमो-करम डेरा सच्चा सौदा में जर्रे-जर्रे में प्रदर्शित है। पूजनीय परम पिता जी का रहमो-करम पूजनीय मौजूदा गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के स्वरूप में सबके सामने है। पूज्य गुरु जी के पावन दिशा निर्देशन में विश्व-भर के करोड़ों लोग पूज्य सतगुरु जी के रहमो-करम को अपनी आंखों से देख रहे हैं।

28 फरवरी का यह पाक पवित्र गुरुगद्दी दिवस पूज्य गुरु जी के पावन दिशा निर्देशन में डेरा सच्चा सौदा में महा ‘रहमो-करम दिवस’ के रूप मेें भण्डारे के तौर पर धूम-धाम से मनाया जाता है। हर साल यह पवित्र दिन साध-संगत के लिए खुशियों की सौगात लेकर आता। सभी साध-संगत इस दिन आपस में मिलकर सतगुरु जी के महा रहमो करम को खुशियां से मनाते, गाते हैं।

पावन दिवस की ढेरों मुबारकबाद हो जी।

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