jumping children एक डेढ़ दो दशक पूर्व तक तो माना जाता था कि पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब। अब सोच में कुछ बदलाव आया है। मात्र किताबी कीड़ा बनकर रहने वाले बच्चे आल राउंडर नहीं बन पाते।
उसके साथ ओवरआल पर्सनैलिटी वाले बच्चे जिसमें उनकी सेहत व लंबाई भी शामिल होती है,वही बच्चे भीड़ में अपना अलग व्यक्तित्व रखते हैं, इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी जरूरी है। खेलकूद ऐसा हो जिसमें कुछ फन व एक्सरसाइज भी हो तो बच्चे लंबे समय तक फिट रह सकते हैं।
Table of Contents
खेलने दें बच्चों को पार्क में jumping children
बच्चों को खुलकर भागना दौड़ना पसंद होता है। आजकल शहरों में छोटे फ्लैट होने के कारण घरों में आंगन तो होते नहीं, न ही बढ़ते ट्रैफिक के कारण बच्चों का गलियों में खेलना सुरक्षित है। आसपास के छोटे पार्क ही खेलने के लिए सुरक्षित हैं जहां बच्चों की कुछ देर के लिए आउटिंग भी हो जाती है और बच्चे खेल भी लेते हैं। छोटे बच्चे हैं तो गेंद या ट्राइसिकल लेकर जाएं। थोड़े बड़े हैं तो साइकिल,स्केट्स,स्केट बोर्ड,रोलर स्केटस वगैरह लेकर भी जा सकते हैं। ऐसे में बच्चे शरारत भी करेंगे,इसलिए उनपर नजर रखें नहीं तो कुछ भी दुर्घटना हो सकती है।
बच्चे के साथ खेलें कई खेल jumping children
बच्चों के साथ मिलकर बाल से कैच एंड थ्रो खेल सकते हैं। इससे बच्चों के हाथों और आंखों का व्यायाम भी हो जाता है। मारनपिट्टी भी खेल सकते हैं। हल्की बाल से एक दूसरे पर बाल मारें। ध्यान दें आराम से ही इस गेम को खेलें। फुटबाल और बास्केट बाल भी खेल सकते हैं। वहां एक पोल पर हुक लगाकर बास्केटबाल को लगा सकते हैं। डिटेचेबल बास्केट बाल का स्टैंड हो तो प्रतिदिन ले जा सकते हैं। इस गेम से बच्चों के कद पर भी प्रभाव पड़ेगा और फिट भी रहेंगे।
बच्चों को सिखाएं तैराकी
स्विमिंग करना बच्चों के लिए फन भी है और सेहत के लिए अच्छा भी है। स्विमिंग से बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है और बच्चे ताजगी भी महसूस करते हैं,विशेषकर गर्मी के दिनों में। स्विमिंग सीखकर बाद में बच्चे स्कूल लेवल पर कंपीटिशन के लिए भी जा सकते हैं।
बच्चों को सिखाएं पैदल चलना
बच्चों को शाम के समय पास की मार्केट में पैदल लेकर जाएं और घर का छोटा मोटा सामान खरीदें और उन्हें साथ-साथ बताते जाएं कि कौन सी सब्जी या फल या दाल ले रहे हैं। बच्चों का शब्द ज्ञान और चीजों के प्रति पहचान भी बढ़ेगी और पैदल चलना भी हो जाएगा। साल में एक या दो बार छुट्टी वाले दिन उन्हें लोकल ट्रेन और लोकल बस में भी सैर करा दें। बस स्टाप और रेलवे स्टेशन अधिक दूर न हो तो पैदल ले जाएं। बच्चे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मजा भी ले लेंगे और बस और रेलवे स्टेशन की पहचान भी कर लेंगे।
अगर स्कूल पास हो तो
अगर बच्चे का स्कूल घर से वाकिंग डिस्टेंस पर है और आपके मोहल्ले के तीन चार बच्चे एक ही आयु वर्ग के हैं तो उन्हें आप स्कूल पैदल छोड़ सकते हैं और वापिस भी ले सकते हैं। माता-पिता मिलकर लेने छोड़ने की योजना बना लें । बारी-बारी बच्चों को माता-पिता ले जाएं। बच्चे रास्ते में बातें करते हुए जाएंगे और उनका मूड भी फ्रेश रहेगा।
बच्चों को जोड़ें स्पोटर्स से
बच्चों को टीवी व कंप्यूटर से दूर रखने हेतु उन्हें कुछ स्पोर्टस एक्टीविटीज से जोड़ सकते हैं जैसे रस्सी कूदना व जंपिंग करना उनके हदय को भी स्वस्थ रखेगा। इसके अलावा किक्रे ट और टेनिस अकादमी में भी बच्चों को भर्ती करवाया जा सकता है ताकि आगे चलकर किसी एक खेल को अपना शौक या कैरियर के रूप में अपना सकते हैं। इसके अलावा बच्चों को डांस, एक्टिंग, पेंटिंग की क्लासेज में भी भेजा जा सकता है। इससे बच्चे अनुशासित भी रहेंगे और समय का सदुपयोग भी होगा।
-सारिका
सच्ची शिक्षा हिंदी मैगज़ीन से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook, Twitter, और Instagram, YouTube पर फॉलो करें।