बेटा, मालिक सुनेगा.. : सत्संगियों के अनुभव पूजनीय परम पिता जी का रहमो करम
प्रेमी मस्त राम/ लीलाराम इन्सां सुपुत्र श्री हरीराम निवासी रासलाना तहसील भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान)।
प्रेमी अपने पूज्य सतगुरु कुल मालिक परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की उपरोक्त अनुसार अपार रहमत का वर्णन (एक करिश्मा लिखित) में इस प्रकार करता है।घटना दिसम्बर 1986 की है।
मैं अपने गांव के कुछ प्रेमियों के साथ जिनमें नेकचंद इन्सां, महावीर इन्सां आदि शामिल थे, डेरा सच्चा सौदा सरसा दरबार में सत्संग सुनने के लिए गया।
सत्संग के उपरान्त कुछ दिन दरबार में सेवा के उद्देश्य से हम वहां रूक गए कि दो चार दिन या जब तक यहां पे हैं, कुछ न कुछ सेवा कर लेंगे और सुबह शाम पूज्य सतगुरु जी के दर्शन भी हो जाया करेंगे।
बल्कि अगले ही दिन रूहानी मजलिस के दौरान पूज्य दयालु शहनशाह जी जब साध-संगत में मौजूद प्रेमियों की दु:ख तकलीफें सुन कर उन्हें उनका तसल्ली बख्श समाधान बता रहे थे, उसी दौरान मैंने भी पूज्य पावन हजूरी में खड़े होकर, अपनी (गांव ही नहीं, बल्कि पूरे एरिया की सांझी) समस्या अर्ज कर दी कि शहनशाह पिता जी, हमारे गांव रासलाना व एरिया में पिछले तीन चार वर्षों से बड़ा सूखा पड़ रहा है जी। पूरे एरिया भर में कहीं भी वर्षा की बूंद तक नहीं गिरी।
पूरे एरिया में ही जबरदस्त सूखे (अकाल) की स्थिति बनी हुई है और हमारे यहां सभी छप्पड़ तालाब (जोहड़) आदि सब सूखे पड़े हुए हैं, बल्कि कूओं का पानी भी नीचे जा चुका है। पशु तो पशु बंदे भी प्यास से बेहाल हैं जी। साथ में मैंने यह भी अर्ज कर दी कि पिता जी, अपनी दया मेहर बख्शो जी और पशुधन जो भूख प्यास से तड़फ रहे हैं और मानव भी बेहाल हैं, अपनी दया दृष्टि से बरसात करवा दीजिए जी।
मैंने यह भी कह दिया कि जैसे इधर (सरसा एरिया में) तो बड़ी नहरें हैं, रजबाहे आदि हैं, कृप्या हमारे गांवों (एरिया) को कोई एक आध छोटा-सा खाला (नहरी पानी का) भेज दो जी, कहीं हम एरिया के लोग पीने वाले पानी की कमी के कारण प्यास से न मर जाएं।
सतगुरु परम दयालु शहनशाह जी ने मेरी इस पूरी प्रार्थना को (सारे गांव की समस्या के बारे) बहुत ही गौर से सुना। उपरान्त मुझे अपना पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए वचन फरमाया, ‘बेटा! मालिक सुनेगा। पूज्य दाता प्यारे ने यह भी वचन फरमाया कि खाले नाल की होवेगा। आप दे वड्डी नहर भेजांगे बेटा। (अर्थात छोटे से खाले से क्या होगा? आपके बड़ी नहर भेजेंगे।)
इसके दो तीन दिनों के बाद मैं अपने साथी-प्रेमियों के साथ पैदल ही गांव जा रहा था। उन दिनों यातायात के साधन बहुत सीमित हुआ करते थे हमारे एरिया में, मालिक की ऐसी दया-मेहर का प्रत्यक्ष प्रमाण देखा कि गांव पहुंचने से पहले ही बारिश शुरू हो गई और खूब मूसलाधार बारिश। पूज्य परम पिता जी की दया-मेहर से हमारे पूरे एरिया में पानी ही पानी भर गया, इतनी जबरदस्त बारिश हुई कि सूखे का कहीं भी नाम-निशान नहीं रहा।
हाड़ी की भरवीं फसल (तारा मीरा की फसल) हुई। चार वर्षों से सूखे की चपेट में आए पीड़ित एरिया भर के लोग भरपूर फसल पाकर बहुत खुश थे। बेटा, मालिक सुनेगा, सतगुरु प्यारे के वचन ज्यों के त्यों पूरे हुए और वह भी ज्यादा समय भी नहीं पड़ा, मात्र दो-तीन दिन में ही पूज्य शहनशाह जी ने चार वर्षों का सूखा खत्म कर दिया।
समय गुजरा, पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी दाता रहबर पूज्य मौजूदा हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (डॉ. एमएसजी) को बतौर तीसरे पातशाह गुरगद्दी पर विराजमान कर स्वयं कुल मालिक में जोति-जोत समा गए। हमें यह याद भी नहीं रहा था कि पूज्य सतगुरु परम पिता जी ने बड़ी नहर का भी वचन किया था?
कि आपके बड़ी नहर भेजेंगे, जब सिधमुख नहर की रासलाना ब्रांच हमारे गांव रासलाना से ही गुजरी तो सतगुरु प्यारे के वो अटल वचन मुझे एकदम याद आ गए जो सच्चे सतगुरु जी ने अपने पवित्र मुख से फरमाए थे, कि खाले से क्या होगा, आपके बड़ी नहर भेजेंगे बेटा! सतगुरु प्यारे की रहमत से हमारा पूरा इलाका खुशहाल है। खूब फसल होती है।
पानी की बिल्कुल भी कहीं कमी नहीं है, पीने का फसलों के लिए यानि चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है (रबी-खरीफ) की खूब भरपूर फसल लेते हैं हम लोग पूज्य गुरु जी के वचनानुसार, यानि जो मेहनत परिश्रम करते हैं।
सतगुरु प्यारे का देन तो कोई दे ही नहीं सकता। तभी तो कहा कि सतगुरु हलत-पलत संवारे। सतगुरु मालिक अपने जीव को दोनों जहानों में खुशियां प्रदान करते हैं।