सतगुरु रूप धार जगत में आए -संपादकीय
संत-सतगुरु जीवों के उद्धार का मकसद लेकर जगत में आते हैं। संत जीवों को अपना अपार रहमो-करम बख्शते हैं कि उनकी कुलों का भी उद्धार हो जाता है। जीवात्मा जन्मों-जन्मों से जन्म-मरण के चक्कर में फंसी हुई है। वह कभी भी अपने आप इससे छुटकारा नहीं पा सकती।
जीवात्मा को जन्म-मरण से आजाद करवाने और उसके जन्म-मरण के चक्कर को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए परम पिता परमात्मा ने खुद ही विधि बनाई। वह खुद सतगुरु का रूप धार कर जगत में आया। संत सृष्टि पर जीवोंद्धार के लिए देही धारण करते हैं। अब जन्म से ही भेड़-बकरियों में पला, बड़ा हुआ ‘शेर का बच्चा’ कैसे अपने आप को शेर माने? वह तो यही कहेगा कि यही मेरे बहन-भाई, मेरा परिवार, मेरा वंश है। अपने इन बहन-भाईयों के साथ ही मैं रहता हूं, मैंने इनका दूध पिया है, इनके साथ ही खेलता हूं। मेरा बचपन इन्हीं में ही बीता है।
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वह शेर का बच्चा तब तक ही अपने आप से, अपनी हस्ती से बेखबर रहता है, जब तक कि खुद शेर आकर उसको उसकी असलियत से वाकिफ नहीं करवा देता, उसे उसकी अपनी हस्ती से रू-ब-रू नहीं करवा देता और जब वह जान लेता है, अपनी हस्ती को पहचान लेता है तो अपने असल में जा मिलता है।
परम पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने कलियुगी जीवों, दुनियावी वासनाओं से आसक्त, वासनाओं में खोए जीवों के उद्धार के लिए मनुष्य चोला धारण किया। परम पिता परमात्मा ने सृष्टि के उद्धार के लिए पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी के रूप में मनुष्य शरीर धारण किया। सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी ने परम पिता परमेश्वर का सच्चा संदेश दिया परम पिता परमात्मा को मिलने का सच्चा रास्ता, नाम-शब्द, गुरुमंत्र लोगों को बताया। आप जी ने सच्ची रब्बी वाणी लोगों को बताई कि ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ नारा बोलो, चढ़ जाओ राम-नाम की बेड़ी पर और पार हो जाओ भवसागर से। ‘इक लत इत्थे दूजी सचखण्ड विच।’ कि एक टांग अगर यहां है तो दूसरी हो सचखण्ड में तेरी।
तो पूज्य बेपरवाह जी ने जीवात्मा की मुक्ति का सीधा व सरल उपाय लोगों को बताया। आप जी ने अपने मुर्शिदे कामिल हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज के वचनानुसार ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ का ऐसा महा कल्याणकारी नारा साध-संगत को दिया जो सच्चे दिल से पूरा नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ बोल दे तो मौत जैसा भयानक कर्म भी पलक झपकते ही टल जाएगा। और ऐसा बहुत से स्थानों पर सतगुरु के प्रेमियों के साथ हुआ बताया गया है। बेपरवाही वचनों में बहुत महान शक्ति है।
सच्चा सौदा का प्रेमी कोई गरीब न रहे उसे किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े अर्थात वह अंदर-बाहर से माला-माल रहे अगर वह वचनों का पक्का हो, थोड़ा-बहुत सुमिरन करता हो अपने मुर्शिदे-कामिल सार्इं सावण शाह जी से लिए वचनों के अनुरूप ये सच्चाई भी डेरा सच्चा सौदा के प्रेमियों में देख सकते हैं। और यह भी वास्तविकता देखने में आती है कि जिनके यहां पहले टूटा-फूटा साईकिल भी नहीं होता था, आज उनकी हवा में उडार है, मर्सडीज गाड़ियों से पैर भी नीचे नहीं रखते, ये सब सच्चे सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज के वचनों का ही कमाल है।
पूरे सतगुुरु के वचन युगों-युग अटल होते हैं। ‘इक लत इत्थे, दूजी सचखण्ड विच’ इसमें भी कोई दो राय नहीं है। वह वचन ज्यों के त्यों सौ फीसदी पूरे होते हैं, होते रहे हैं और पूरे होते रहेंगे। लेकिन जो एक लत (टांग) यहां मातलोक में है, वह भी सही सलामत रहे, कभी आंच न आए तो इसकी सुरक्षा के लिए भी सच्चे सतगुरु पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज, पूज्य गुरु हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने नाम सुमिरन का आसान रास्ता बताया है कि चलते, बैठके, लेटके जैसे मर्जी जपो दरगाह में मंजूर है।
पूज्य सार्इं जी ने जो रास्ता दिखाया आज करोड़ों अनुयायी इस पर चलते हुए मालामाल हो रहे हैं। जैसा कि पूज्य सार्इं जी ने तीसरी बॉडी के लिए वचन फरमाया कि वो तूफानमेल ताकत होगी, आज उनके वचन सबके सामने सच हो रहे हैं। दुनिया देख रही है कि मौजूदा पूज्य गुरु संत डॉ. एमएसजी के मार्गदर्शन में आज डेरा सच्चा सौदा समाज सेवा के हर क्षेत्र में बुलंदियों को छू रहा है। पूज्य गुरु संत डॉ. एमएसजी के पावन सान्निध्य में विश्वपटल पर डेरा सच्चा सौदा का नाम गर्व से लिया जाता है। हर कोई बखूबी जानता है कि मानव भलाई कार्यों में डेरा सच्चा सौदा का कोई सानी नहीं है।