‘beta! apane pati ka Aadhar card lekar jaana.

‘बेटा! अपने पति का आधार कार्ड लेके जाना।’
पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
सत्संगियों के अनुभव
बहन परमजीत कौर इन्सां पत्नी प्रेमी जगराज सिंह इन्सां सुपुत्र बलदेव सिंह गांव जलालाबाद पूरवी जिला मोगा (पंजाब) हाल आबाद उपकार कालौनी गांव शाह सतनामजीपुरा जिला सरसा (हरियाणा) प्यारे सतगुरु परम पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने पर हुई रहमत का वर्णन इस प्रकार करती है:-

मैंने सन् 1991 में बचपन में ही पूज्य हजूर पिता जी से नाम शब्द ले लिया था। उस वक्त परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज भी हजूर पिता जी के साथ ही मौजूद थे, बैठे हुए थे। मैं उस समय जिला होशियारपुर के गांव खुण-खुण में अपने मां-बाप के घर रहती थी। उसके बाद मेरी शादी हो गई। मेरे पति ने भी हजूर पिता जी से नाम-शब्द लिया हुआ था। हम दोनों प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी के भण्डारे पर सात दिनों की सेवा करके जाते। पूजनीय हजूर पिता जी की दया-मेहर से मेरे पति 15 मैंबर भी बन गए थे।

परन्तु अचानक एक दम उन पर बहुत बड़ा कर्म आगे आ गया। वह किसी बीमारी के कारण बीमार रहने लगे। कुछ समय के बाद उनकी मृत्यु हो गई (चोला छोड़ गए)। जब साल 2018 का जनवरी महीना चढ़ा, तो मेरा फिर से डेरा सच्चा सौदा में भण्डारे की सेवा करने को दिल किया। मैं 13 जनवरी को डेरे आने के लिए तैयार हो गई। परन्तु 12 जनवरी रात्रि 12.30 बजे पूज्य हजूर पिता जी ने मुझे जगाया और गुझे कहा, ‘बेटा, कल को डेरे आना तो अपने पति का आधार कार्ड लेकर आना।’ मेरे मन ने विश्वास नहीं आने दिया कि यह हजूर पिता जी की आवाज है, मैं सो गई। फिर पिता जी ने एक बजे जगाया व फरमाया, ‘बेटा, अपने पति का आधार कार्ड लेकर जाना।’

मैं फिर मन की चाल समझ कर सो गर्ई। फिर पिता जी ने मुझे 2 बजे जगाया और आधार कार्ड के बारे ही वचन फरमाए। हजूर पिता जी ने मुझे इतना मजबूर कर दिया कि मैंने उठ कर आधार कार्ड अपने बैग में डाल लिया। मैं 13 तारीख को शाम 5 बजे सरसा के बस स्टैंड पर पहुँच गई। मैं डेरे जाने के लिए बस स्टैण्ड से टैम्पू (आॅटो) में बैठ गई। टैम्पू में और भी सवारियां बैठी हुई थी। जगह-जगह पर पुलिस के नाके लगे हुए थे। सवारियां रास्ते में उतर गई। मैं अकेली रह गई। टैम्पू वाले ने मुझे पूछा, बहन! तूने कहां जाना है? मैंने कहा, बाई जी मुझे शाह सतनाम जी धाम बहनों के गेट पर उतार देना। टैम्पू वाले ने टैम्पू रोक दिया और पूछने लगा, बहन, तू क्या करने आई है? मैंने कहा, बाई जी, मैं सेवा पर आई हूं। वह कहने लगा, बहन, आगे तो पुलिस के नाके लगे हुए हैं, क्योंकि प्रेमियों को आगे जाने नहीं देते।

तू तो मुझे भी मरवाएगी। बहन, तू शाह मस्ताना जी धाम (पुराना डेरा) उतर जा। मैंने कहा, ठीक है, बाई जी, मुझे वहां उतार देना। जब मैं शाह मस्ताना जी धाम आई तो सेवादारों ने मुझे अन्दर जाने से मना कर दिया। उन्होंने मुझे पूछा, बहन तू कहां से आई है? मैंने कहा, बाई जी, मैं होशियारपुर, पंजाब से आई हूं। सेवादार मुझे कहने लगे कि बहन, तू इतना लम्बा सफर करके यहां आई है, तुझे पता नहीं, हालात कितने खराब हैं। मैंने कहा, बाई जी, मैं तो सेवा पर आई थी। मुझे भी यहां आकर पता चला, क्योंकि जगह-जगह पर पुलिस खड़ी है। बाई जी कहने लगे, बहन, तू वापिस चली जा। मैंने कहा, बाई जी, अब तो रात हो गई, अब मैं कहां जाऊं? आप मुझे आज की रात यहां रख लो, मैं सुबह छ: बजे चली जाऊंगी। सेवादार कहने लगे, बहन, हम तुझे नहीं रख सकते। क्योंकि पुलिस किसी भी वक्त डेरे के अन्दर छापा मार सकती है। मैंने सेवादारों के आगे हाथ जोड़े कि भाई जी, मुझे एक रात रख लो।

 मैं सुबह चली जाऊंगी। सेवादारों को मुझ पर तरस आ गया। परन्तु वहां खड़ा एक भाई मुझे कहने लगा, बहन, तू पहले भी कभी सेवा पर आई है? मैंने कहा, हां, बाई जी, मैं पहले अपने पति के साथ आती थी। वह कहने लगे कि वह अब नहीं आए? मैंने कहा, भाई जी, उनकी मृत्यु हो गई है। कहने लगे, तुम्हारे बच्चे कितने हैं? मैंने कहा, बाई जी, मेरे कोई बच्चा नहीं है। सेवादारों को मेरी बातों पर विश्वास नहीं आया। फिर भाई जी कहने लगे, बहन, हम तुझे रात रख लेंगे, तू अपने पति का आधार कार्ड दिखा दे। जब भाई जी ने इतनी बात कही तो मेरी आंखों से आंसू बहने लगे। मुझे पता चला कि वह पिता जी (हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) की ही आवाज थी जो मुझे बार-बार आधार कार्ड बारे वचन कर रहे थे। सेवादारों ने आधार कार्ड देखा।

उसके उपरान्त भाई जी मुझे एक बहन के पास ले गए जो पल्लियां सीने की सेवा कर रही थी। भाई जी उस बहन को बोले कि इस बहन को आप आज की रात रख लो। बहन मुझे लंगर घर में ले गई और मुझे बड़े प्यार से लंगर छकाया। उसके बाद मैंने एक घण्टा लंगर पकाने व एक घण्टा सब्जी काटने की सेवा की। फिर मुझे दो बहनें अपने कमरे में ले गई। रात 10.30 बजे मैं सो गई।

बहनों ने मुझे पांच बजे उठाया और मुझे लंगर घर ले गई। बहनों ने मुझे लंगर छकाया, चाय पिलाई, दो लंगर पैक भी कर दिए कि रास्ते में खा लेना, लम्बा सफर है। मैंने बहनों को नारा लगाया व वापिस चल पड़ी व बिना किसी परेशानी के घर पहुँच गई।

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