धरा के अनमोल तोहफे को बचाएं बिन पानी सब सून… सम्पादकीय
जीवन में जल का महत्व क्या है, जरा उससे जानें जिसे पानी के लिए तरसना पड़ रहा हो। कल्पना कीजिए कि अगर ऐसे हालात से वास्ता हो जाए कि जिंदगी बचाने के लिए दो घूंट पानी भी न मिल पाए तो क्या होगा? क्योंकि गर्मी के दिनों में बहुत लोगों को ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ता है।
गर्मी के इस भयंकर मौसम में किसी के पास अगर पानी का बेहतर स्त्रोत है तो वो किस्मत का धनी ही कहलाएगा। क्योंकि देश के कई राज्यों में गर्मी के तीखे तेवरों ने आम जनमानस का जीना मुहाल कर रखा है। ऐसे विकराल मौसम में लोगों को पीने के पानी के लाले पड़े हुए हैं। लोगों को हर रोज पीने के पानी की व्यवस्था से दो चार होना पड़ रहा है और दूर-दराज से जैसे-तैसे पानी का जुगाड़ कर काम चलाना पड़ रहा है।
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ये हाल तो उत्तर भारत के उन स्थानों का है जिन्हें पानी के लबालब स्त्रोत माना जाता है या मैदानी इलाके कहा जाता है, इससे इतर अगर राजस्थान जैसे दुर्गम रेगिस्तानी इलाके की बात करें तो वहां के हालात अति दयनीय दिखाई देंगे। क्योंकि दूर-दूर तक कहीं कोई स्त्रोत नहीं मिलेगा। गर्मी के प्रखर तेवर जान निकालने वाले लगते हैं। आम जन मानस के साथ पेड़-पौधे व पंछी-परिंदे, जानवर पानी को तरस जाते हैं। पशु, पक्षी या जंगली जानवर पानी की बूंद के लिए भटकते रहते हैं और इसी भटकन में कई अपनी जान गंवा जाते हैं। ऐसा हाल साल-दर-साल बढ़ रहा है।
गर्मी के मौसम में प्रत्येक वर्ष हालात नाजुक होते जा रहे हैं। ऐसा आखिर क्यों हो रहा है। क्या कभी इस ओर ध्यान गया है? इसका जवाब भी हां ही है! मगर फिर भी ऐसे हालातों से क्यों गुजरना पड़ रहा है? यही विचारणीय है।
क्योंकि इस समस्या को हम गंभीरता से नहीं ले रहे। जब मौका निकल जाता है तो हम फिर लापरवाह हो जाते हैं। फिर पानी का वही अंधाधुंध इस्तेमाल कर इसके दुरुपयोग को नहीं रोकते। इसका महत्व नहीं समझते। पानी को संग्रह करके रखना नहीं जानते। अगर जानते भी हैं तो रखते नहीं।
भविष्य के लिए इसे सहेज कर रखने प्रति अलर्ट नहीं होते। सरकारें बहुत योजनाएं बनाती हैं, लागू भी करती हैं। लेकिन जब तक आम जन-मानस इसके लिए तैयार नहीं है तो सरकारों के प्रयास उतना रंग नहीं दिखा पाते। जब तक आम मनुष्य पानी के महत्व को समझेगा नहीं, इसे बचाएगा नहीं तो हम हर वर्ष पानी के लिए तरसते रहेेंगे। यही नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढियों को पानी के बिना अकाल, सूखा इत्यादि त्रासदियों को झेलना पड़ेगा।
अत: अभी भी वक्त है कि पानी के महत्व को समझा जाए और संभला जाए। आम जन-मानस इस समस्या को अस्थाई न समझकर जल के चिरस्थाई उपलब्ध रहने का बीड़ा उठाकर हर किसी को जल को सहेजना होगा, संभालना होगा ताकि आने वाला कल इस विभिषिका से बचा रहे। बेशक इसके प्रति बहुत संस्थाएं अग्रसर हैं, लेकिन डेरा सच्चा सौदा का जल को बचाने में बेहतरीन सहयोग है। डेरा सच्चा सौदा के करोड़ों अनुयायी देश-विदेश में रहते हुए धरा के इस अनमोल तोहफे को बचाने में प्रयासरत हैं। अपने संदेशोें के जरिए या रैलियों के द्वारा जन-जागरण से अन्य समाज भलाई कार्याें के साथ-साथ पानी को बचाने की मुहिम भी चलाए हुए हैं जो एक प्रशंसनीय कार्य है।
अत: आज भी वक्त है संभलने का, अगर लोग नहीं चेते तो बिन पानी जिंदगियां सून होना कोई दूर नहीं है।
-सम्पादक