Editorial संपादकीय:
रूहानियत में एक उदाहरण अक्सर दी जाती है एक ऐसे जीव की, जो किसी दूसरे जीव को अपनी शरण में लेकर और अपनी आवाज सुना-सुना कर अपना रूप बना लेता है। गुरु का महापरोपकार अवर्णीय है। ‘ऐसा बब्बर शेर बनाएँगे मुँह तोड़ जवाब देगा।’ ये वचन पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 23 सितम्बर 1990 को पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के बारे गुरुगद्दी बख्शिश करते समय फरमाए।
पूजनीय परम पिता जी ने यह भी वचन साध-संगत में किए कि ‘जवान बण के आवांगे’ इस संबंधी अनेक सत्संगी प्रेमियों ने रूहानी करिश्में भी अपने अभ्यास दौरान देखे व महसूस किए हैं जब उन्होंने पूजनीय परम पिता जी के नूरी स्वरूप को पूजनीय गुरु जी के स्वरूप में समाते हुए देखा।
यह एक ऐतिहासिक तब्दीली का समय कहा जा सकता है जब पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 23 सितम्बर 1990 को साध-संगत और पूरे समाज, देश व दुनिया के भले के लिए अपने युवा रूप पूजनीय गुरु संत डॉ.गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपना जानशीन बनाया और इस असलियत का भेद साध-संगत में स्पष्ट किया कि आज से ये (पूजनीय गुरु जी) हमारा रूप हैं।
पूजनीय परम पिता जी ने पूजनीय गुरु जी को अपना वारिस (डेरा सच्चा सौदा की गुरुगद्दी का वारिस) बनाया और इतने बड़े-बड़े वचन किए और साध-संगत को शरेआम बता भी दिया कि अब साध-संगत की सेवा, संभाल और समाज व लोग भलाई के कार्य दिन-दोगुनी रात-चौगुनी तूफान मेल गति से होंगे और असीं इस जवान रूप (पूजनीय गुरु जी के रूप) में खुद सब करेंगे, अपने इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर सतगुरु परम पिता जी ने ऐसा बदलाव किया। सतगुरु की महानता की यही निशानी है जो वह करते हैं, उनके परोपकार से पूरे देश, समाज, पूरे विश्व व पूरी मानवता की भलाई का उद्देश्य उनका होता है। पूजनीय परम पिता जी के वचनानुसार आज देखते हैं कि पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने मानवता हित में कितने ही समाज भलाई के कार्याें की शुरूआत की है। करोड़ों की गिनती में साध-संगत पूजनीय गुरु जी द्वारा दिखाए इन परमार्थी कार्याें को करने में लगी हुई है।
करोड़ों ड़ेरा श्रद्धालु अपने महान गुरु के वचननुसार समाज व मानवता भलाई के कार्य से समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा साध-संगत पूजनीय गुरु जी द्वारा दिखाए व सुझाए समाज भलाई कार्यों के लिए दिन-रात प्रयत्नशील है।
इतिहास में 23 सितम्बर का दिन एक महान व पवित्र दिहाड़ा है। इस दिन इन्सानियत के मसीहा पूजनीय गुरु जी डेरा सच्चा सौदा गुरुगद्दी पर विराजमान हुए और रूहानियत के साथ-साथ इन्सानियत भलाई के कार्याें को तूफानमेल गति से आगे बढ़ाया। डेरा सच्चा सौदा परिवार का बच्चा-बच्चा, हर सत्संगी प्रेमी आज इन्सानियत की सेवा में जुटा हुआ है। कहीं जरूरतमंदों के लिए रक्तदान हो रहा है,
कहीं पर्यावरण सुरक्षा के लिए पौधारोपण किया जा रहा है और इस तरह पूज्य गुरु जी द्वारा निर्देशित 134 मानवता भलाई के कार्य साध-संगत की तरफ से किए जा रहे हैं। साध-संगत पूरी तरह इन्सानियत के प्रति समर्पित है। और कहा जा सकता है कि आज करोड़ों लोग जिस समर्पित भावना से समाज में एक नए व बेहतर बदलाव के प्रेरक बने हैं, यह सब इस ऐतिहासिक दिहाड़े 23 सितम्बर की बदौलत ही मुमकिन हुआ है।
पूजनीय गुरु जी के पावन आशीर्वाद व पाठकों के हार्दिक प्यार व सहयोग से सच्ची शिक्षा ने 23वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। इसके साथ ही महापरोपकार दिहाड़े की समस्त साध-संगत को लाख-लाख बधाई हो जी।
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