सम्पादकीय
सृष्टि जगत को सुख पहुंचाना ही संतों का एकमात्र उद्देश्य… Editorial
पवित्र ग्रन्थों में दर्ज धर्माेंपदेश के अनुसार समाज में बुराइयों की जब अति होती है, पाप, जुल्मो-सित्तम, बुराइयां जब समाज में बढ़ जाती हैं, लोग बल-बुद्धि से हीण हो जाते हैं, इन्सान भगवान से दूर होने लगता है, तो ईश्वर को स्वयं किसी पूर्ण संत, गुरु, पीर-फकीर के रूप में सृष्टि पर अवतरित होना पड़ता है। रूहानी पीर-फकीर का सृष्टि पर शुभ आगमन जीव-जगत और हर-प्राणी मात्र के लिए हमेशा सुखकारी सिद्ध होता है। संतों का वचन है:-
सुख देवें दु:ख को हरें, मेटें सब अपराध।
कहिं कबीर कब इह मिलें, परम सनेही साध।।
दुनिया में बेशक हमदर्द व परमार्थी इन्सान मिल जाते हैं क्योंकि बीज नाश तो कभी किसी चीज का होता ही नहीं, जो अपनी बुद्धि और सामर्थ्य-शक्ति के अनुसार जरूरतमंदों की मदद करते हैं। कई ऐसे भी भले इन्सान हैं जो दुखियों के दु:ख दूर करने का उपाय बताते हैं और जहां तक संभव हो उनका दु:ख दूर करने की कोशिश भी करते हैं, लेकिन ऐसा मिलना मुश्किल है जो दूसरों के दु:ख आप ले ले। केवल रूहानी संतों, पीर-फकीरों में ही यह सामर्थ्य है जो अपने दर पर आए दुखियों के दु:ख को हर ही नहीं लेते, दूर ही नहीं करते बल्कि उनके दु:ख-परेशानियों को स्वयं पर लेकर उन्हें जन्म-मरण के दु:ख संताप से मुक्त कर देते हैं और सुख प्रदान करते हैं। इतिहास में इस सच्चाई के अनेक उदाहरण हैं।
महापुरुषों के रूहानी प्रताप से चोर, ठग्ग, डाकू, कौडा राक्षस, गनका वेश्या अपनी बुरी प्रवृतियों को छोड़कर ईश्वर के भक्त बन गए। वास्तव में सच्चे संत, पीर-फकीर सृष्टि पर आते ही जीव-सृष्टि को सुख पहुंचाने के लिए हैं। मालिक स्वरूप पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने ऐसे दो, चार नहीं, लाखों जीवों को अपनी कृपा-दृष्टि से नवाज कर देवताओं से बड़ा दर्जा प्रदान किया है। अपने ऐसे पीरो मुर्शिदे-कामिल का पावन अवतार दिवस साध-संगत, मुरीदों के लिए खुशियों का संचार करता है। गुरु, मुर्शिद का पावन अवतार दिवस साध-संगत के लिए ढेरों खुशियां लेकर आता है।
मुरीदों के चेहरे खुशियों व हर्षोल्लास से खिल उठते हैं। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का इस पवित्र माह में सृष्टि उद्धार के लिए शुभ आगमन हुआ। पूजनीय सतगुरु परम पिता जी के शुभ आगमन पर अधिकारी रूहों ने कुल मालिक परम पिता परमात्मा का कोटि-कोटि धन्यवाद किया, क्योंकि उनके उद्धार का समय आ गया था। पूजनीय परम पिता जी ने सृष्टि-जगत के लिए जो अपना रहमो-करम किया, समूचा सृष्टि-जगत सतगुरु का आभारी हैं और रहेगा।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 25 जनवरी 1919 को पूज्य पिता जैलदार सरदार वरियाम सिंह जी के घर पूजनीय माता आस कौर जी की पवित्र कोख से श्री जलालआणा साहिब में अवतार धारण किया। आप जी पूजनीय माता-पिता की इकलौती संतान थे।
पूज्य माता-पिता जी ने आप जी का नाम सरदार हरबन्स सिंह रखा था, उपरान्त पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने आप जी का नाम सरदार सतनाम सिंह जी (पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज) रख दिया।
आप जी ने डेरा सच्चा सौदा में गुरगद्दी पर 28 फरवरी 1960 को बतौर दूसरे पातशाह विराजमान होकर 31 वर्ष से अधिक समय तक जीवोद्धार का पवित्र कार्य किया।
आप जी ने लाखों रूहों का उद्धार किया, उन्हें बुराइयों से मुक्त किया। आप जी ने सामाजिक बुराइयों, रूढ़िवादी कुरीतियों के प्रति सुचेत करके साध-संगत का इनसे पीछा छुड़ाया। आप जी के परोपकार साध-संगत कभी भुला नहीं सकती। आप जी ने 23 सितम्बर 1990 को पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को बतौर तीसरे पातशाह डेरा सच्चा सौदा में अपने पवित्र कर-कमलों से विराजमान किया। पूजनीय मौजूदा गुरु जी ने आप जी की पावन शिक्षाओं को देश व दुनिया के करोड़ों लोगों तक पहुंचाया है। पूज्य गुरु जी की पाक पवित्र प्रेरणाओं से डेरा सच्चा सौदा का नाम रूहानियत के साथ-साथ मानवता व समाज भलाई के कार्याें में विश्व प्रसिद्ध है।
नव-वर्ष एवं पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन अवतार महीने, अवतार दिवस की सभी साध-संगत को बधाईयां हों जी।