Uttarakhand farmer bags Guinness record for growing organic apples and world’s tallest coriander plant - Sachi Shiksha

पहाड़ के एक प्रगतिशील किसान ने एक ऐसी शानदार उपलब्धि हासिल की है, जिसकी सालों तक मिसाल दी जाएगी। इस किसान का नाम है गोपाल दत्त उप्रेती। अल्मोड़ा के ताड़ीखेत विकासखंड में एक गांव है बिल्लेख। आज वे आठ एकड़ जमीन पर फल व मसालों की खेती कर रहे हैं। वार्षिक 12 लाख रुपए का टर्नओवर है।

वे देश के पहले ऐसे किसान हैं, जिन्हें आॅर्गेनिक फार्मिंग के लिए गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है। यही नहीं, उन्होंने इसी गांव में दुनिया का सबसे ऊंचा धनिया का पौधा उगाकर गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है।

47 वर्षीय गोपाल बताते हैं कि 2012 में कुछ मित्रों के साथ वह यूरोप गया था। इस दौरान वहां सेब के बगीचों में जाना हुआ। वहां का मौसम, बर्फबारी, जमीन बहुत हद तक मुझे अपने क्षेत्र जैसी लगी। मैंने सोचा कि जब यहां पर सेब उगाए जा सकते हैं तो उत्तराखंड में भी उगाए जा सकते हैं। मेरे लिए ये टर्निंग पॉइंट था। भारत वापिस आने के बाद उनके मन में सेब की खेती करने को लेकर असमंजस की स्थिति थी। धीरे-धीरे मैंने इसकी खेती संबंधी जानकारी जुटानी शुरू की। इसकी टेÑनिंग कहां से मिलेगी और इसका पूरा प्रोसेस क्या होगा। जानकारी मिलते-मिलते ही मैं नीदरलैंड चला गया। वहां कृषि विशेषज्ञ से मिला और सेब की खेती करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी ली। इसी दौरान कुछ दिनों के लिए फ्रांस भी जाना हुआ था। वहां भी सेब की खेती को देखा और बकायदा ट्रेनिंग भी ली।

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गोपाल बताते हैं कि इसके बाद मैंने अपना मन पक्का कर लिया कि अब मुझे सेब की खेती करनी है। जैसे ही उसने अपने परिवार में खेती करने की जानकारी दी तो सभी ने विरोध किया। पत्नी ने कहा कि जमा जमाया काम छोड़ के रिस्क लेना ठीक नहीं है। मैंने उन्हें समझाया और खेती के फायदे के बारे में बताया। इसके बाद मैं 2014-15 में दिल्ली से रानीखेत शिफ्ट हो गया। परिवार व बच्चे दिल्ली में ही रहते थे। यहां आने के बाद किराए पर थोड़ी जमीन ली और खेती का काम शुरू किया। मैंने विदेशों से प्लांट मंगाने की बजाय हिमाचल प्रदेश से ही प्लांट मंगाए। तीन एकड़ जमीन पर करीब 1000 पौधे लगाए। एक साल बाद उन प्लांट्स में फ्रूट तैयार हो गए।

वह बताते हैं कि फ्रूटस तैयार होने के मुझे चिंता थी कि इसे बेचा कहां जाए। चूंकि, लोकल मंडियों में हमारे सेब की कीमत सही नहीं मिलती। फिर मैंने गूगल की मदद से ऐसे स्टोर और कंपनियों के बारे में जानकारी जुटाई जो आॅर्गेनिक सेब की डिमांड करती हैं। उन्हें फोन कर अपने प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दी। अधिकतर लोग तो भरोसा नहीं किए, लेकिन जिन लोगों ने शुरूआती दौर में हमसे सेब लिया उनका रिस्पॉन्स बहुत अच्छा रहा। अगली बार से ग्राहक व डिमांड दोनों बढ़ने लगे। कई ग्राहकों ने तो बुकिंग भी एडवांस में करवाई। गोपाल अभी सेब के साथ ही हल्दी, लहसुन, धनिया सहित कई मसालों की भी खेती करते हैं। वो कहते हैं कि एक इंच भी जमीन खाली नहीं जानी चाहिए।

गोपाल के साथ अभी पांच लोग काम करते हैं। फल और मसाले की फार्मिंग के साथ वे प्रोसेसिंग पर भी काम कर रहे हैं। पिछले साल एक टन से ज्यादा सेब खराब हो गए तो उन्होंने जैम बनाकर मार्केट में सप्लाई किया। इसमें भी अच्छी कमाई हुई। अब वे हल्दी और दूसरे मसालों की भी प्रोसेसिंग यूनिट तैयार करने वाले हैं। वो कहते हैं कि अब हमारी खेती का दायरा बढ़ गया है। हम आगे और ज्यादा जमीन किराए पर लेकर खेती करेंगे।

सबसे ऊंचा धनिया उगाने का भी बनाया रिकॉर्ड

गोपाल ने फल व मसलों की खेती को अपना शौक बना लिया है। उन्होंने सात फुट एक इंच यानि 2.16 मीटर का धनिया का पौधा उगाया है। इससे पहले सबसे ऊंचा धनिया का पौधा (1.80 मीटर) उगाने का रिकॉर्ड जर्मनी के नाम पर था। इस धनिया की विशेषता ये है कि इसमें प्रोडक्शन नॉर्मल धनिये से करीब 10 गुना ज्यादा होता है और क्वालिटी भी अच्छी होती है। गिनीज बुक में नाम दर्ज होने से गोपाल दत्त के साथ-साथ पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन हुआ है।

कैसे करें सेब की खेती

गोपाल बताते हैं कि सेब की खेती के लिए सबसे जरूरी चीज है इसकी ट्रेनिंग। किसी एक्सपर्ट किसान से सेब की खेती को समझना चाहिए। जरूरत पड़े तो कुछ दिन किसानों के साथ रहकर हर छोटी बड़ी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। दूसरी सबसे अहम बात है कि इसकी खेती के लिए ठंडी जगह होनी चाहिए। पहाड़ी बर्फीली इलाके में सेब की अच्छी खेती होती है। इसके साथ ही धैर्य और डेडिकेशन की भी जरूरत होती है। प्लांट्स की अच्छे तरीके से देखभाल की जरूरत होती है।
मेरे गांव के बगल के गांव में किसान गोपाल की खेती को देखकर खुशी हुई। अब सवाल यह है कि हम लोग गोपाल दत्त उप्रेती के जैसे सेब, धनिये के फार्म हाऊस क्यों नहीं विकसित कर सकते हैं? उत्तराखंड में आर्गेनिक खेती की अपार संभावनाएं हैं।
– त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड (अपने फेसबुक पोस्ट से)

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अल्मोड़ा जिला में धनिये की काफी पैदावार हो रही है, लेकिन जिस तरह से जीएस आॅर्गेनिक एप्पल फॉर्म विल्लेख में धनिये की पैदावार हुई है वह बहुत ही आश्चर्यजनक है। धनिये की इस जैविक पैदावार ने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है, उत्तराखंड के लिए बहुत गर्व की बात होगी।
– टीनएन पांडे, मुख्य उद्यान अधिकारी जिला अल्मोड़ा।

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