आया दिन प्यारा-प्यारा… सम्पादकीय
जब से सृष्टि की रचना हुई है सच्चे रूहानी संत-महापुरुष, गुरु, पीर-फकीर भी तब से ही रूहों के उद्धार और संसार व समाज के कल्याण के लिए सृष्टि पर अवतार धारण करते आए हैं।
वह सृष्टि तथा समाज के उद्धार का उद्देश्य लेकर संसार में आते हैं। वह अपना पूरा जीवन सृष्टि तथा मानवता हित को समर्पित कर देते हैं। धरती का चप्पा-चप्पा, कण-कण महक उठता है, जब पूर्ण युग पुरुष, संत-महापुरुष अवतार धारण करके धरती पर चरण टिकाते हैं।
अधिकारी रूहें मंगल गीत गाती हैं, खुशियां मनाती हैं कि युगों से तड़पती उन रूहों के उद्धार का अब समय आ गया है। मालिक से मिलाने वाला खुद सच्चा रहबर उन्हें अपने वतन को ले जाने के लिए आ गया है। देश निकाला की सजा पाने वाले व्यक्ति की उस समय की खुशी का वर्णन किस तरह हो सकता है जब उसकी केवल उस जलावतनी की ही माफी न हो जाए, बल्कि उसकी देश वापसी और फिर से वह अपने घर-परिवार में विचरने लग जाए।
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माफी देने वाला और उसको वापिस अपने देश लाने तथा उसके परिवार से मिलाने वाला कोई और नहीं बल्कि उनका अपना वही बादशाह हो, जिसने उन्हें देशनिकाला दिया था। इस तरह बिछुड़ी रूहों को वापिस ले जाने के लिए परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज खुद मालिक स्वरूप धरत पे आए। आप जी ने आज के दिन 25 जनवरी को श्री जलालआणा साहिब जिला सरसा में अवतार धारण किया।
आप जी ने अपने अधिकार की सब उन रूहों को, जहां-जहां भी वह थी, खुद ढूंढ-ढूंढ कर, जगह-जगह सत्संग लगा-लगाकर निजघर पहुंचाया और उन्हें कुल मालिक से मिलाया। जब उन रूहों को पता चला कि इन्सानी चोले में उन्हें लेने के लिए खण्डों-ब्रह्मडों का बादशाह सतगुरु शाह सतनाम जी खुद रब्ब आया है तो वह शुक्र करती, शगुन मनाती, मंगल गीत गाती हैं।
पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपने एक भजन में फरमाते हैं:-
आया दिन प्यारा-प्यारा, प्यारा-प्यारा।
खुशियों में झूमे आलम सारा, सारा-सारा।
इस असलियत का भेद पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने दुनिया को बताया कि इन्हें (परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को) बंदा न समझ लेना, ये खुद-खुदा, कुल मािलक स्वरूप हैं। सच्चे रूहानी संत हमेशा जीव-सृष्टि की भलाई का उद्देश्य ले कर अवतार धारण करते हैं। इन परोपकारी संतों, रूहानी महापुरुषों के शुभ आगमन पर तमाम सृष्टि-जगत, सृष्टि का कण-कण, हर प्राणी पूरे हर्षाेल्लास के साथ अपने पीर-ओ-मुर्शिद का स्वागत करता है और ढोल-ढमाकों से नाच-गाकर इस पवित्र दिन, पवित्र महीने की खुशियां मनाता है।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने अपने सच्चे मुर्शिद-ए-कामिल बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज द्वारा स्थापित डेरा सच्चा सौदा सर्व-धर्म संगम, राम-नाम तथा परमार्थी सेवा कार्याें को अपने रहमो-करम से इस तरह जोर-शोर से आगे बढ़ाया कि डेरा सच्चा सौदा का नाम आज पूरे विश्व में सच्ची श्रद्धा का सूचक बना हुआ है।
आप जी का ही यह अपार रहमो-करम है कि देश-विदेश में आज डेरा सच्चा सौदा के छ:करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु, साध-संगत है जो पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में आप जी के रहमो-करम से मालामाल हो रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा में दिन दोगुनी रात चौगुनी बेपरवाही रहमत बरस रही है।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पवित्र अवतार दिहाड़े, अवतार महीने जनवरी और नए साल की समूह पाठकों व साध-संगत को शुभकामनाएं और लख-लख बधाई हो जी।