हंसते-मुस्कुराते निभाएं अपने रिश्ते

हंसते-मुस्कुराते निभाएं अपने रिश्ते
हमारे जीवन में हंसने-मुस्कुराने की क्या अहमियत है, इस बात से हम भली-भांति परिचित हैं। सोचिए, रिश्तों में भी यह बात शामिल हो, तो ये कितने खुशहाल बन जाएंगे। माहौल को सदा हल्का-फुल्का बनाये रखें। हालाँकि छोटी-मोटी नोक-झौंक से थोड़ी बहुत खट्टी-मीठी टकराहट भी कभी-कभी रिश्तों को मजबूती देने के लिए जरूरी है।

जीवन अनमोल है और उससे भी अनमोल हैं, हमारे रिश्ते। हमारी कोशिश रहती है कि अपने रिश्तों को स्नेह, प्रेम से सींचते रहें, हमारे अपने हमेशा खुश रहें। लेकिन रिश्ते तभी खुशहाल बनते हैं, जब हमारी और हमारे अपनों की जिंदगी में हंसी-मुस्कुराहट बनी रहती है, हमारा जीवन हंसते- मुस्कुराते हुए बीतता है। ऐसा तभी मुमकिन है, जब हर रिश्ते में हंसी-ठिठोली शामिल रहे। साथ-साथ हंसते-मुस्कुराने से रिश्तों में अपनापन और प्यार बढ़ता है, हमारा और हमारे अपनों का जीवन खुशहाल बना रहता है।

हर रिश्ते में हो हंसने-मुस्कुराने की गुंजाइश:

कुछ रिश्ते स्नेह के धागे से बंधे होते हैं, कुछ प्यार के, कुछ-कुछ आदर के। हर रिश्ते की अपनी मर्यादा और स्वंत्रता होती है। फिर भी हर रिश्ते में इतनी गुंजाइश होती है कि उनके साथ कुछ खुशनुमा पल बिताए जा सकें। लेकिन इसके लिए कोशिश आपको ही करनी होती है, यानी पहला कदम आपको ही बढ़ाना होता है। जैसे अपने बड़ों, खासकर अपने सास-ससुर के साथ बैठें, उनके साथ समय बिताएं। उनके बचपन की शरारतों को सुनें, उनके साथ हंसे-मुस्कुराएं, आपके ऐसा करने पर उन्हें बहुत अच्छा लगेगा और आपका रिश्ता और गहरा हो जाएगा।

इसी तरह घर के छोटों के साथ शरारत करें, उनकी शरारतों का भी आनंद लें। अपनी ननंद, देवरानी, जेठानी की दोस्त बनें और दोस्तों की तरह ही उनके साथ हंसी-मजाक करें। अगर आपके आपसी रिश्तों में हंसने-मुस्कुराने के लिए जगह रहेगी तो परिवार का वातारवण भी खुशनुमा होगा, कोई भी मुश्किल आपके जीवन में नहीं आएगी। हंसी-हंसी में इन रिश्तों से बहुत कुछ हासिल होता है। खट्टे-मीठे अनुभव भी मिलते हैं। जो किसी भी पाठशाला में नहीं सिखाया जाता, वह हमारे रिश्ते हमें आसानी से सिखा जाते हैं।

तलाश लें हंसी के पल:

अपने परिवार के सदस्यों के साथ हमेशा हंसना-मुस्कुराना चाहती हैं, तो सबसे पहले उन्हें खास महसूस करवाएं। उन्हें महत्ता दें। बहुत कुछ बदला-बदला लगने लगेगा। इसके लिए आपको कुछ बड़ा करने की जरुरत नहीं है, बस कुछ छोटी-छोटी बातों को, पलों को अहमियत दें, जिससे आपके अपनों के चेहरे पर मुस्कान आ जाए। अगर आपके घर में कोई फंक्शन है या आप परिवार के साथ किसी फंक्शन में जा रही हैं तो कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, लेकिन अपनी देवरानी, ननद, सासु मां या पतिदेव को इशारे से यह बताना कभी न भूलें कि वे कितने अच्छे लग रहे हैं, अगर आपको उनके लुक में कोई कमी लगे तो उसे भी बड़े प्यार से जता दें।

अगर जल्दबाजी में वो कुछ लाना या करना भूल गए हैं तो बस प्यार से मुस्कुराते हुए कह दीजिए, कोई बात नहीं सब हो जाएगा। उन घबराहट के पलों में आपके धीरज और स्नेह से अपनों की परेशानी कम हो जाएगी और उनके मन में आपके लिए प्यार, सम्मान बढ़ेगा। आगे जब भी आप लोग इन बातों को याद करेंगे, तो चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी।

रखें सकारात्मक नजरिया:

खुशहाल जिंदगी का यह मूल मंत्र है कि छोटी-छोटी बातों को दिल से ना लगाएं। अगर रिश्तों में कुछ ऐसा हुआ है, जिसने आपको आहत किया है तो उसे अवश्य जताएं लेकिन उसे लेकर सोचते न रहें। जो हो चूका उसे जाने दें। हर बात को स्वयं से जोड़कर ना देखें। जब परिवार के अन्य लोग आपकी अनुपस्थिति में आपस में बात कर रहे हों तो यह जरूरी नहीं है कि वे लोग आपके ही बारे में बात कर रहे हों।

रिश्तों में शक ना करें, क्योंकि यही शक आपकी खुशियों और मुस्कुराहट का सबसे बड़ा दुश्मन बन सकता है। अपने रिश्तों को पूरी आजादी दें, उन्हें खुलकर सांस लेने दें, जिससे वे स्वस्थ रूप से विकसित हो सकें। सार यही है कि अपने रिश्तों को जिम्मेदारी या बोझ की तरह ना लेकर हंसते और मुस्कुराते हुए निभाएं, फिर देखिये जिंदगी कितनी खूबसूरत हो जाएगी।

करते रहें चुहलबाजियां:

पति-पत्नी का रिश्ता बेहद खास होता है, क्योंकि इस रिश्ते में दोस्ती भी शामिल होती है। पति-पत्नी, एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त बन सकते हैं। लेकिन अपने रिश्ते को खूबसूरत बनाए रखने के लिए, आपको एक-दूसरे के लिए कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए, जैसे-पति के साथ जब खाना खाएं तो प्लेट पर चटनी या सॉस से स्माइली या हार्ट बना दें या इसी तरह की चुहलबाजी और शरारतें पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार को और गहरा करती हैं।

कभी-कभी हम अपने बहुत करीबी रिश्तों में लापरवाह हो जाते हैं कि यह तो अपने हैं, बुरा नहीं मानेंगे। इसकी बजाय हम बाहरी रिश्तों में ज्यादा ध्यान देने लग जाते हैं। जब आंख खुलती है, तो अपने पराये हो चुके होते हैं और फिर परायों को अपना बनाने में ही जिंदगी बीत जाती है। इन रिश्तों की गर्मी को कभी ठंडा न होने दें। रिश्तों को पूरी शिद्द्त से जीएं। बहुत अच्छा है सबको अपना बनाना, पर कभी भी सब को अपना बनाने की दौड़ में ‘अपनों को’ दरकिनार न करें। अपने अपने ही होते हैं। मारेंगे तो पुचकारेंगे भी। सौ बातों की एक बात, रिश्तों को सहज भाव से जीएं। जीवन में आनंद आ जाएगा। -कमल मेहरेजा

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