मेहमानों से शिष्टाचार निभाएं

मेहमानों से शिष्टाचार निभाएं
शिष्टाचार जीवन के लिए एक निहायत जरूरी चीज है। इसके अभाव में उत्तम समाज, आदर्श परिवार तथा सफल और संतुलित जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।

यह अधिकार और कर्तव्य को आपस में मिलाकर संतुलित व्यावहारिक जीवन की नींव रखता है जिससे अच्छे समाज का निर्माण होता है।

यूं तो शिष्टाचार की शिक्षा बचपन से ही परिवार में दी जाती है जिसके द्वारा बताया जाता है कि शिष्ट व्यवहार ही शिष्टाचार है। यह व्यक्ति के शारीरिक सौंदर्य को और भी आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करता है।

जीवन में विभिन्न अवसरों पर शिष्टाचार का अलग अलग रूप देखने को मिलता है लेकिन मेहमानों के समक्ष इसका महत्त्व ही कुछ और है।

मेहमान तो सभी के यहां नित्य प्रति आते रहते हैं और समय समय पर हम भी एक दूसरे का मेहमान बनते हैं।

कुछ लोग मेहमानों के आने पर नाक भौं सिकोड़ लेते हैं, तो कुछ लोग जरूरत से ज्यादा स्वागत सत्कार करने लग जाते हैं लेकिन ये दोनों ही बातें बिलकुल गलत हैं।

मेहमानों के आने पर हम क्या करें, कैसे रहें, उनके साथ कैसा व्यवहार करें, यह जानना बहुत जरूरी है।

तो आइए, इस बारे में हम आपको कुछ महत्त्वपूर्ण बातें बताते हैं –

  • सर्वप्रथम मेहमानों के आने पर भारतीय परंपरा के अनुसार अभिवादन करें तथा उसके बाद बैठने के लिए कहें।
  • अगर मेहमान चिरपरिचित हो या घनिष्ठ संबंधी हों और कुछ दिन रहने के लिए आये हो तो उन्हें उन का कमरा और बाथरूम दिखा दें।
  • जो बात आपके परिवार और माहौल के विपरीत है, उसके बारे में मेहमान को अवश्य बता दें। हो सकता है कहीं अज्ञानतावश मेहमान से किसी प्रकार की गलती हो जाये और उसका खामियाजा आपको भुगतना पड़े।
  • मेहमानों के समक्ष आप अपने परिवार के किसी सदस्य, रिश्तेदारों तथा पड़ोसियों की बुराई न करें, यह घोर अशिष्टता है और इसके अलावा ज्यादा बड़ाई भी शोभा नहीं देती।
  • यदि मेहमान दूर से आ रहे हैं और उसकी जानकारी आपको पहले से ही है, तो आप आवश्यक कामकाज निपटा कर उन्हें स्टेशन, बस-स्टैण्ड या एयरपोर्ट से लेकर आयें। मेहमानों से मर्यादानुसार आदरसूचक शब्दों का प्रयोग करें।

बच्चों से प्यार से बात करें।

  • मेहमानों के समक्ष अपने बच्चे को उपेक्षित कर ‘अरे’, ‘अबे’, ‘कहा गया था रे’, ‘चल बैठ कर पढ़ ले’, आदि घटिया शब्दों का प्रयोग कभी न करें। ऐसा करके वो आप अपने बच्चे को अपमानित तो कर ही रहे हैं, साथ ही आप अपनी असभ्यता का परिचय भी मेहमानों को दे रहे हैं। ऐसे बर्ताव से आप के बच्चे कुंठित हो सकते हैं। उनमें आत्महीनता की भावना पैदा हो सकती है, जो आप और आपके बच्चे, दोनों के लिए खतरनाक है।
  • मेहमानों के रहने तक इस बात का बिलकुल ध्यान रखें कि परिवार के किसी सदस्य द्वारा मेहमान का अपमान न हो जाये, यह घोर अशिष्टता है! मेहमान यदि आपकी रीतियों के अनुकूल व्यवहार नहीं करे तो हंसी या मजाक न उड़ाये।
  • मेहमान को अकेले खाना न खिलायें, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही खिलायें, क्योंकि अकेले खाने से लज्जावश हो सकता है वह कम ही खाये! साथ ही, मेहमान को ठूंस ठूस कर भी न खिलायें कि उनका स्वास्थ्य ही खराब हो जाये और खुशियों के मधुर पलों में समस्याओं से दो-चार होना पड़े।
  • मेहमानों के मनोरंजन का ख्याल अवश्य करें। उनके लिए पत्र-पत्रिकाओं का प्रबंध करें। घर में रेडियो, टेपरिकार्डर या टेलीविजन हो तो मेहमान के शौक को अवश्य पूरा करें।

मेहमान अगर दूर से आए हों तो उन्हें अपने शहर के महत्त्वपूर्ण स्थलों की सैर अवश्य करायें।

अंत में, जब मेहमान वापस जाने लगे तो परिवार के सभी सदस्यों का यह कर्तव्य है कि वे एक बार दरवाजे पर आकर उनकी हाथ जोड़कर विदाई करें।

तथा इन शब्दों का प्रयोग अवश्य करें ‘मौका मिले तो पुन: जरूर तशरीफ लाइएगा’, लेकिन घर पहुंच कर एक खत डालना न भूलिएगा-इस कथन से संबंधों में मधुरता बनी रहती है।

अगर आप इन महत्त्वपूर्ण बातों को अमल में लायेंगे तो आपसे मेहमानों को कोई शिकायत नहीं रहेगी। तब आप एक अच्छे मेजबान बन सकेंगे।
– सुधीर कुमार सिन्हा

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