नजर-अंदाज न करें बच्चे के पीठ दर्द को
अक्सर आपने देखा होगा कि बड़ी उम्र के लोगों में ही पीठ दर्द की शिकायत होती है, परंतु आजकल तो बैक पेन एक तरह की बीमारी बन चुकी है, इस बीमारी ने अपनी जड़ों को इतना फैला लिया है कि अब बच्चे भी इनकी चपेट में आ चुके हैं। जब कोई बच्चा पीठ दर्द की शिकायत करे तो आश्चर्य के साथ चिंता होना भी स्वाभाविक है।
बच्चों में पीठ दर्द होना कोई साधारण बात नहीं है। ऐसी शिकायत मिलने पर शारीरिक जांच करवाएं। अगर बैक पेन के साथ-साथ बच्चे का वजन घटने लगे, पैरों में कमजोरी, पेशाब में दिक्कत, लेटने व उठने पर दर्द होने जैसी परेशानियां आएं तो डाक्टर के परामर्श अनुसार जांच व इलाज करवाएं और उसे बहुत जरूरी समझें।
हर बार रीढ़ की हड्डी की समस्या के कारण ही पीठ दर्द नहीं होता, इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। लगभग 30 प्रतिशत बच्चों में पीठ दर्द का कारण शारीरिक संरचना में आयी विकृति होती है। समय रहते एक्सरे और कुछ हद तक हड्डियों की स्कैनिंग से भी पीठ-दर्द के कारणों की पहचान हो सकती है। हमारे देश में ज्यादातर लोग पौष्टिक भोजन नहीं लेते जिस कारण स्पाइन इंफेक्शन की समस्या भी बढ़ती ही जा रही है। रीढ़ की हड्डियों की टी.बी. भी कुछ वर्षों से उभरकर सामने आ रही है, जिसको रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
इस तरफ जरूर ध्यान दें
बैठने का तरीका: अक्सर देखा जाता है कि बच्चों से बड़ों तक को बैठने की सही अवस्था का ज्ञान नहीं है, पीठ दर्द का यह भी एक प्रमुख कारण होता है इसलिए जरूरी है कि जब कभी आपका बच्चा टी.वी. देख रहा हो या कंप्यूटर पर कार्य कर रहा हो तो उसके पोस्चर पर ध्यान दें। यह जरूरी है कि वह प्रापर बैक रेस्ट के साथ बैठे।
नियमित व्यायाम:
प्रतिदिन नियम से व्यायाम करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और शरीर में चुस्ती भी रहती है, इसलिए अपने बच्चे को भी नियम से वार्किंग करवाएं, इससे भी पीठ दर्द का खतरा कम होगा।
खानपान:
यदि आपका बच्चा सारे दिन कुछ न कुछ खाता रहता है तब भी उसके खान पान पर ध्यान दें, क्योंकि छोटी उम्र में ज्यादा वजन होना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। ज्यादा वजन होने से रीढ़ की हड्डी पर भी दबाव बढ़ता है जो पीठ दर्द का कारण बन सकता है।
स्वस्थ शारीरिक विकास:
यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का स्वस्थ शारीरिक विकास हो तो इसके लिए आपको अपने बच्चे को प्रारंभिक अवस्था से ही पौष्टिक व ताजी फल व सब्जियां खिलानी होंगी। पौष्टिक व ताजे फल व सब्जियों में पाए जाने वाले विटामिंस से बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा जिससे वह पीठ-दर्द की समस्या से बचा रहेगा।
स्कूल बैग्स:
प्राय:
देखा जाता है, जितना बच्चे का वजन नहीं होता उससे ज्यादा भारी उसका स्कूल-बैग होता है। इस वजनदार बैग के वजन को कम करके भी पीठ दर्द से बच्चे को छुटकारा मिल सकता है। बच्चे के वजन का 5 से 10 प्रतिशत वजन ही उसे बैग में ले जाने दें। स्कूल में जरूरत की किताबें ही ले जाने दें।
इसके लिए आप स्कूल की भी मदद ले सकते हैं। रोज काम आने वाली किताबें वहीं पर (स्कूल में) रखी जा सकती हैं, ताकि सिर्फ होम वर्क के लिए ही बच्चा किताबें लेकर जाए।
आखिर यंग पापुलेशन ही हमारे देश की बैकबोन है, इसलिए यदि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे स्वस्थ व चुस्त रहें तो हमें इन सभी बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
-विवेक शर्मा