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त्यौहार की सार्थकता को बनाएं रखें – संपादकीय (Keep the importance of festival – Editorial )
हर त्यौहार अपनी-अपनी सभ्यता व संस्कृति को संजोये हुए हैं। इस माह में त्यौहारी सीजन शुरू हो जाएगा। आस्था के प्रतीक दीवाली, दशहरा जैसे मुख्य त्यौहारों के साथ-साथ नवरात्रे तो कहीं धनतेरस।
हालांकि बाजारों में थोड़ी मंदी का आलम है, लेकिन त्यौहारों के इस सीजन में बाजारों का आकर्षण एक विराट रूप ले लेता है, जिसका प्रभाव हर इन्सान पर देखने को मिलता है। सजे-धजे बाजारों में हर किसी का मन खरीरदारी करने का होता है।
ऐसा होना स्वाभाविक भी है, क्योंकि इन दिनों में बाजारी रौनक दिलकश जो नजर आती है। रंग-बिरंगी सुन्दरता से सजे हुए बाजार हर किसी को अपनी ओर मोह लेते हैं। बाजारों में चहल-पहल आम दिनों की अपेक्षा कई गुण बढ़ जाती है। बाजार-व्यापार पूरा त्यौहारी रंगत में रंगा नजर आता है। ं
क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग और युवा वर्ग सब पर त्यौहार रंग नजर आता है। Keep the importance of festival – Editorial
लेकिन इस तड़क-भड़के के बीच हमें सजग रहना होगा। इन दिनों में खान-पान को लेकर लोग अकसर लापरवाह हो जाते हैं, जो बहुत बड़ा खतरा उठाने के समान है। आजकल मिलावटखोरी चरम पर है, खासकर त्यौहारों के टाईम में अपने बाजारों में बने पकवानों को कभी गौर से देखा हो तो आपको उनमें मिलावट का बखूबी मालूम पड़ जाएगा। इस दौरान आपके द्वारा बरती गई थोड़ी-सी भी लापरवाही सेहत के मामले में नुक्सानदायक साबित हो सकती है।
क्योंकि यह सीजन मुनाफाखोरों के लिए एक अवसर होता है जिसका फायदा उठाने में वो कोई चूक नहीं करते। क्योंकि इन दिनों मार्केट में सब धड़ल्ले से चलता है। पैसे कमाने की लालसा में लोगों की सेहत से खिलवाड़ करना मुनाफाखोरों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है।
त्यौहारों के दिनों में खाद्य सामग्री की मांग बढ़ जाती है, जिसकी आपूर्ति के लिए मुनाफाखोर कोई भी हथकंडा अपनाने से गुरेज नहीं करते। वहीं कई लोग सस्ते के चक्कर में पकवानों की गुणवता से समझौता कर लेते हैं, जो कई बार जानलेवा भी साबित हो जाता है।
हालांकि ब्रांड के लेबल मात्र से ही किसी वस्तु या खाद्य पदार्थ में शुद्धता की कसौटी पर खरे नहीं उतर सकते। असली-नकली के फेर में लोग इतने कंफ्यूज रहते हैं कि वास्तविकता का उन्हें आभाष ही नहीं हो पाता। हालांकि खाद्य आपूर्ति विभाग इस सीजन में सक्रीय रहता है, जगह-जगह सैंपल लिये जाते हैं, लेकिन केवल संैपल भरने मात्र से इस समस्या का हल नहीं निकलने वाला।
आवश्यकता है मिलावटखोरी पर पूरी तरह शिंकजा कसने की। ऐसे कड़े कानूनी प्रावधानों की, जिससे मिलावटखोरों को जो लोगों की जान से खेलते हैं उनको पूरी सजा मिले। वहीं आमजन को भी चाहिए कि श्रद्धा एवं सत्कार योग्य त्यौहारों को एक विशेष कार्य योजना के तहत मनाएं। आजकल केमिकलयुक्त चीजें तैयार की जा रही हैं। सेहत के लिए नुक्सानदायक रसायनों को बेहद उपयोग किया जा रहा है।
ऐसे-ऐसे खतरनाक रंग डाले जा रहे हैं, जो तय किए गए मानकों से भी परे होते हैं। जिनके सेवन से चमड़ी के रोग या यादाश्त शक्ति कमजोर हो सकती है। आप मिठाई खरीद रहे हैं या फल फ्रूट, सचेत रहें। इसके अलावा फास्ट फूड या चाईनीज फूड का तो बिल्कुल परहेज करें।
जन-मानस को पता ही नहीं कि वो फल-फ्रूट, मेवे-मिठाइयों या सब्जियों के साथ किस प्रकार के केमिकल निगले जा रहे हैं। ग्राहकों को आकर्षक करने के लिए खाद्य सामग्री को बड़ा चमका कर रखा जाता है।
इन दिनों में इनकी यह चमक-दमक और भी रंगत निखेरती है ताकि ग्राहक को दूर से ही खींचा जा सके। अधिक चमकदार पकवान सोच-समझकर ही सेवन करने चाहिएं। यही नहीं कि खान-पान की ओर ही ध्यान दिया जाए, बल्कि इस सीजन में हर प्रकार की खरीददारी में समझदारी दिखाने की जरूरत होती है। कोशिश करें कि घर पर पकवान बनाए जाएं, आवश्यकतानुसार ही बाजार से खरीददारी करें। त्यौहार हमारे पुरातन संस्कारों की परिपाटी हैं, ऐसे में आमजन का यह भी फर्ज बनता है कि इन विशेष दिनों में लोकहित में कार्य किए जाएं।
गरीब, लाचार, बेसहारा या बेबस व्यक्ति की जितनी हो सके मदद करें।
उसकी जरूरतों का ख्याल रखते हुए उनकी पूर्ति करने का प्रयास करें। सही मायनों में त्यौहार की सार्थकता तभी पूर्ण होगी, जब दूसरों के दिल से आपके के लिए आशीर्वाद के रूप में दुआ निकले। दशहरा, दिवाली, ईद आदि सभी त्यौहार पर आपको मुबारकबाद कहते हैं और परमपिता परमात्मा से दुआ है कि हर त्यौहार आपके लिए खुशनुमा हों। -सम्पादक
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