walk at all ages - sachi shiksha hindi

क्या आप व्यायाम के रूप में दैनिक वाकिंग कर रहे हैं? यदि नहीं तो आज से ही शुरु कर दीजिए । गालिब का शेयर गौर फरमाएं ‘सैर कर दुनिया की गाफिल, फिर यह जिंदगानी कहां, जिंदगानी गर रही भी, तो फिर यह जवानी कहां‘ । अब गालिब जैसे तजुर्बेकार व्यक्ति ने यूं ही तो नहीं कहा होगा यह शेयर, इसके लिए कोई तो बात रही होगी । अपनी सेहत के लिए दूरदराज की सैर न सही आसपास के इलाके में आप चहल कदमी तो कर ही सकते हैं । यदि स्वस्थ रहना है तो यह चहल – कदमी बहुत जरूरी भी है। (Walk at all Ages)

सुबह-शाम सैर बहुत जरूरी: पूज्य गुरु जी

तंदुरूस्त रहने के लिए सैर का महत्व समझाते हुए पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने कई बहुमूल्य टिप्स बताए हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि भोजन के बाद प्रतिदिन 1 कि.मी. सैर करनी चाहिए। रोज सुबह और शाम कम से कम 15 मिनट सुमिरन जरूर करें और इसी प्रकार दो समय सैर करना बहुत जरूरी होता है, एक सुबह खाली पेट और दूसरी रात को खाना खाने के कुछ समय बाद। यदि आप सैर की इस दिनचर्या को अपनाते हैं तो बहुत सी बीमारियों से बचे रहेंगे।

बड़े काम की चीज है वाकिंग

भले ही आप जवान हो या न हों, लेकिन पैदल चलना कतई नहीं भूलें क्योंकि पैदल चलने का मतलब है डाक्टर से दूर जाना, पैदल चलने का मतलब है शरीर से मोटापे को दूर रखना, पैदल चलने का मतलब है पाचन शक्ति को सही रखना और बुढ़ापे को जल्दी आने से रोकना। तो अब आप समझ सकते हैं कि वाकिंग यानी पैदल चलना कितने काम की चीज है।

आइए, वाकिंग एवं पैरों के व्यायाम से जुड़ी हुई कुछ जानकारियां शेयर करते हैं । यदि आप गौर से पढेÞगें तो निश्चित रूप से इस लेख को पढ़ने के साथ ही आप घूमने निकल पड़ेंगे। इससे आंखों को भी सुकून मिलेगा और मन को भी तन तो मजबूत होगा ही।

एक व्यक्ति की हड्डियों का 50 प्रतिशत और मांसपेशियों का 50 प्रतिशत दो पैरों में हैं। मानव शरीर के सबसे बड़े और सबसे मजबूत जोड़ और हड्डियां भी पैरों में हैं। इसलिए इन जोड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए 3000 से 7000 कदम प्रतिदिन चलें।

वाकिंग मतलब एनर्जी बर्निंग

मजबूत हड्डियां, मजबूत मांसपेशियां और लचीले जोड़ आयरन त्रिकोण बनाते हैं जो सबसे महत्वपूर्ण भार यानी आपके शरीर को वहन करते हैं।जीवन में मानव गतिविधि का 70 प्रतिशत और ऊर्जा का जलना दो पैरों से चलकर ही किया जाता है। यदि इस एनर्जी की बर्निंग न हो तो फिर शरीर मोटा और थुल थुला होने के साथ-साथ भारी तथा निष्क्रि य भी होता चला जाता है इसलिए पैरों को थोड़ा कष्ट देते रहिए और चलते रहिए।

कितना चलें?

आप यह जान लीजिए कि पैर शरीर के लोकोमोशन का केंद्र हैं। दोनों पैरों में एक साथ मानव शरीर की नसों का 50 प्रतिशत, रक्त वाहिकाओं का 50 प्रतिशत तथा रक्त का 50 प्रतिशत उनके माध्यम से बह रहा है। ्रयह सबसे बड़ा संचार नेटवर्क है जो शरीर को जोड़ता है। इसलिए तंत्र को मजबूत करने के लिए बिना नागा कम से कम 30 से 40 मिनट या फिर 3 से 5 किलोमीटर तो जरूर रोजाना टहलें।

दिल और फेफड़े भी करे मजबूत

जब पैर स्वस्थ होते हैं तो रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से बहता है, इसलिए जिन लोगों के पास मजबूत पैर की मांसपेशियों हैं, उनके पास निश्चित रूप से एक मजबूत दिल होगा यानी अगर दिल मजबूत रखना है, हार्ट अटैक से बचना है तथा फेफड़े भी स्वस्थ रखने हैं तो स्वच्छ वातावरण में घूमने की एक्सरसाइज जरूर करिए।

दिमाग की बत्ती जलाए, बुढ़ापा रोके

उम्र बढ़ने की शुरुआत पैरों से ऊपर की ओर होती है। जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता है, मस्तिष्क और पैरों के बीच निर्देशों के संचरण की सटीकता और गति कम हो जाती है, इसके विपरीत जब व्यक्ति युवा होता है तो मस्तिष्क एवं शरीर के अंगों का कोआर्डिनेशन बेहतर होता है। यदि मन बदन और मस्तिष्क के संतुलन को बनाए रखना है तो फिर प्रात: काल यथासंभव ओस से भीगी घास पर नंगे पैर चलना बहुत जरूरी है।

किसी भी उम्र में करें वाकिंग

इसके अलावा, हड्डियों से कैल्शियम समय बीतने के साथ जल्दी या देर में घटता जाता है जिससे बुजुर्गों को हड्डी के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। बुजुर्गों में हड्डी के फ्रैक्चर आसानी से जटिलताओं की एक शृंखला को ट्रिगर कर सकते हैं, विशेष रूप से मस्तिष्क में क्लाटिंग जैसे घातक रोग।

क्या आप जानते हैं कि 15 प्रतिशत बुजुर्ग रोगी आमतौर पर, जांघ-हड्डी फ्रैक्चर के एक वर्ष के भीतर अधिकतम मर जाते हैं। इसकी वजह होती है ऐसी स्थिति में पैरों द्वारा सही तरीके से शरीर का वजन न उठा पाना और गतिशीलता कम हो जाने की वजह से व्यक्ति में नैराश्य भी बढ़ जाता है। वह अपने आप को अकेला महसूस करने लगता है और एक प्रकार के डिप्रेशन का शिकार होकर अंतत: मृत्यु को प्राप्त होता है। पैरों का व्यायाम करना, 60 साल की उम्र के बाद भी किया जा सकता है। यह मत समझो कि अब बहुत देर हो गई है क्योंकि अच्छे कार्यों के लिए कभी भी देर नहीं होती है।

हालांकि हमारे पैर धीरे-धीरे समय के साथ बूढ़े हो जाएंगे, हमारे पैरों का व्यायाम जीवन भर का काम है। 3000-7000 कदम चलने पर केवल नियमित रूप से पैरों को मजबूत करके, कोई भी आगे की उम्र बढ़ने से रोक सकता है या कम कर सकता है।

-डॉ. घनश्याम बादल

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