…जब सार्इं जी ने बिना बारी नहर का पानी छुड़वाया! -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम
प्रे्रमी बाग चंद पुत्र सचखंडवासी श्री वरियाम चंद ढाणी वरियाम चंदवाली जिला, सरसा से बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की रहमतों का वर्णन करता है:-
प्रेमी अपने पत्र में बताता है कि सन् 1960 से पहले की बात है। मेरे बापू श्री वरियाम चंद जी पूज्य हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज के चिताए हुए (नामलेवा) थे। इसलिए वह पूजनीय बाबा सावण सिंह जी महाराज का सत्संग सुनने के लिए पहले डेरा बाबा जयमल सिंह जी ब्यास में जाया करते थे।
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उस समय से ही वह पूज्य मस्ताना जी महाराज को जानते थे। बापू जी सुनाया करते कि जब शहनशाह मस्ताना जी महाराज पूज्य हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज की हजूरी में बड़े-बड़े घूंघरू बांध कर नाचते तो बाबा जी बहुत खुश होते और पूज्य मस्ताना जी के पक्ष में अनेक वचन करते। मेरे बापू जी ने कई बार ऐसे नजारे अपनी आंखों से देखे तथा सतगुरु जी के मुखारबिंद के वचन अपने कानों से सुने जो बाबा सावण सिंह जी महाराज ने उस समय फरमाए, ‘जा मस्ताना! तेरे को बागड़ का बादशाह बनाया…।’ तथा और भी अनेक बख्शिशें की। जब सावण सिंह जी महाराज अपना चोला बदल गए तो मेरे बापू जी बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की सोहबत में डेरा सच्चा सौदा सरसा आने लगे।
एक दफा का जिक्र है कि पूज्य बेपरवाह शहनशाह मस्ताना जी महाराज ने हमारी ढाणी (ढाणी वरियाम चंद) में सत्संग मंजूर कर दिया। उस समय तक हमारे परिवार के काफी सदस्यों ने बेपरवाह मस्ताना जी महाराज से नाम-शब्द ले लिया था। उस वर्ष बरसात न होने के कारण इलाके में सूखा पड़ा हुआ था। पानी की बहुत कमी थी। हमारे इधर रजबाहे भी सूखे पड़े थे। आस-पास के लोग हमें मजाक कर रहे थे कि तुम्हारा इतना महान गुरु है, फिर भी तुम्हारी गेहूं पानी के बिना सूख रही है। सत्संग में तब केवल दो दिन शेष थे। सत्संग पर आने वाली संगत के लिए भी पानी की सख्त जरूरत थी।
हमारी भावनाओं को जानते हुए और हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतर्यामी सतगुरु जी ने अपनी रहमत का एक कमाल का खेल रचा कि पीछे से कोई नहर टूटने से उसका पानी पता नहीं कैसे (स्वयं पूज्य मस्ताना जी जानें) हमारे वाले रजबाहे में छोड़ दिया। उस पानी से हमने जहां अपनी गेहूं की सारी फसल को भी सींच लिया और इसके अतिरिक्त अपने घर के पास रेत के टीले में कुछ गहरे गड्ढे खोदकर उनमें भी पानी जमा कर लिया जोकि सत्संग के दौरान संगत के पीने के लिए काम आया।
निश्चित प्रोग्राम के अनुसार, सच्चे पातशाह बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज हमारी ढाणी में पधारे और खूब जबरदस्त सत्संग फरमाया। परम दयालु सतगुरु जी ने अनेक जीवों को बुराइयां छुड़वाकर उन्हें नाम-शब्द की दात देकर मोक्ष का अधिकारी बनाया। सत्संग कार्यक्रम की समाप्ति पर वाली दो जहान पूज्य बेपरवाह जी ने हमारे सारे परिवार को अपने पास बुलाया और अपने वचनों द्वारा हमें अपार रहमतें बख्शी। अंतर्यामी सतगुरु जी ने फरमाया, ‘हम आगे भी आया करेंगे और सत्संग किया करेंगे। सत्संग पहले से भी बढ़कर होंगे।’ मेरे बापूजी द्वारा यह अर्ज करने पर कि सार्इं जी, हमारी भैंस का फल (बच्चा) नहीं बचता, मर जाता है तो सर्व-सामर्थ सतगुरु जी ने फरमाया- ‘अब नहीं मरेगा’।
मेरे बापू जी द्वारा बच्चे (पौत्र) का नाम रखने की अर्ज करने पर शहनशाह जी ने मेरे एक भतीजे का नाम रखा। सच्चे पातशाह जी ने फरमाया- पुट्टर! इसका नाम रंगा राम रखते हैं, रंग लाएगा।
सर्व-सामर्थ सतगुरु जी द्वारा फरमाए गए उक्त सभी वचन सच हुए। पूज्य सार्इं मस्ताना जी महाराज के उपरोक्त वचनानुसार डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज तथा मौजूदा पूजनीय हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने हमारी ढाणी में समय-समय पर पधार कर कई बड़े-बड़े रूहानी सत्संग फरमाए तथा सच्चे पातशाह मस्ताना जी महाराज के वचनानुसार जैसे-जैसे रंगाराम बड़ा होता गया, हमारा परिवार हर तरफ से उन्नति करता ही गया। ये रहमतें तो हमारे सामने प्रत्यक्ष हैं और अनेक रहमतें वो भी हैं जो दिखने में नहीं आती तथा जिनका वर्णन लिख-बोलकर नहीं हो पाता है।
मेरे बापू जी 103 वर्ष की आयु भोगकर तथा चार पातशाहियों की पावन सोहबत करते हुए सतलोक-सचखंड जा पधारे हैं। हमारा सारा परिवार शुरू से ही सच्चे सौदे से जुड़ा हुआ है। हमारे परिवार के सभी सदस्य सेवा व सुमिरन करते हैं। हम अपने प्यारे सतगुरु जी से यही विनती करते हैं कि हमारी प्रीत व प्रतीत आपजी के चरणों के साथ हमेशा-हमेशा बनी रहे।