रोटी एक दिलचस्प इतिहास

रोटी एक दिलचस्प इतिहास

भोजन में रोटी का काफी महत्त्व है। इस की महक बड़ी मनमोहक होती है। इसी के चलते अमेरिका में भीषण रक्तपात हुआ था। हुआ यह था कि वहां के मिशीगन राज्य में बापरन कस्बे में रोटी की महक मिलते ही एक रेड-इंडियन व्यक्ति रोटी मांगने गया।

जब उसे रोटी नहीं दी गयी तो वह आग बबूला हो गया और उसने जबरदस्त नरसंहार कर डाला।

यह अभी पता नहीं चल सका है कि रोटी बनाने की कला कब और कहां से शुरू हुई है! अनुमान किया जाता है कि आज से आठ हजार वर्ष पूर्व झील के आस पास रहने वाले लोगों ने पहले पहल रोटी बनायी होगी! उन लोगों ने पत्थर पर रोटी सेंकने और आटा पीसने के तरीके की भी खोज की होगी!

कहा जाता है कि उन लोगों ने मोटा और चपटा केक बनाया होगा! वैसे अमेरिका के मेट्रोपालिटन कल संग्रहालय को, साढे तीन सौ हजार वर्ष बाद, रोटी के जो टुकड़े मिले हैं, उनका आकार व प्रकार आज की राई की रोटियों के समान ही है।

मिश्र में सर्वप्रथम खमीर की रोटी बनी। ईसा पूर्व दो हजार में, वहीं सबसे हल्की रोटी बनी। मिस्रियों का रोटी – कला विकास में काफी योगदान है।

उन्होंने 50 से अधिक प्रकार की रोटियां बनायी जिनमें गोल, वर्गाकार और पक्षियों के आकार की रोटियां शामिल हैं।

यहूदी भी रोटी बनाने की कला वहीं से ले गये। फलस्वरूप वहां रोटी और नानबाई की अनेकों दुकानें खुली। यूनानी भी रोटी बनाने की कला में निपुण हो गये और 72 प्रकार की रोटियां बनाने लगे। शुरू में मठों और अस्थानों में तंदूर लगाये गये, फिर बाद में गिरजाघरों में सफेद रोटी परोसी गयी और यहीं से रोटी विशिष्ट लोगों का भोजन भी बनी।

रोटी कला के विकास में रोमवासियों का भी योगदान है। उन्होंने आटा गूंथने और पीसने की मशीनें ईजाद की। घोड़े और गधे इन मशीनों को चलाते थे।

गरीबों को रोटियां मुफ्त दिलाई जाने लगी। उस समय यूरोप में आमतौर से लोग सफेद और काली रोटी खाकर पेट भरते थे। लोगों की सभ्यता की तरह रोटियां भी भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं, जिन्हें देखकर आसानी से पता लगाया जा सकता है कि वे किस देश की हैं।

फ्रांस के लोग पतली और लम्बी रोटियां तैयार करते हैं। ये खट्टी-मीठी होती हैं। वहां की मक्खन भरी क्रवासा और व्री ओस रोटी मशहूर है। इटली वासी तो बड़ी अद्भुत रोटी बनाते हैं। उनकी रोटी का हर टुकड़ा भिन्न आकृति का होता है।

इटली की किशमिश वाली पानेतोन रोटी लोकप्रिय है। छड़ी जैसी आकार वाली गिसिनी रोटी भी अच्छी होती है। जर्मनी के लोग राई की रोटियां बनाने में सिद्घहस्त हैं। इन रोटियां को पेपरनिकल कहते हैं। ये कड़ी और काले रंग की होती हैं परन्तु रूस की सोल्दाव्स्की रोटी सर्वाधिक काली, खट्टी और बड़ी होती है।

यहूदी काली मिर्च, खट्टी राई और पिस्ता मिलाकर रोटी बनाते हैंं। इन में से कुछ रोटियां मुलायम होती हैं और कुछ कुरमुरी होती हैं।

इसी तरह अन्य देशों की रोटियों में भी भिन्नता है, जैसे हमारे देश (भारत)की गोल चपाती और पूड़ी, मैक्सिको की गोल चपटी और तोतिया रोटी, मध्य आयरलैण्ड की सोडे की रोटी, रोम की चपटी और तहदार रोटी, स्काटलैण्ड की गोल, चपटी खमरिकी कैक स्कौंस और इंग्लैण्ड की एक दूसरे के ऊपर रखी गोल, बड़ी और हल्की रोटी आदि। – जया मण्डावरी

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