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औषधि भी होते हैं फूल

फूल का महत्व देवताओं को अर्पित करने तथा अपने प्रियजनों को देने तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि कई रोगों को दूर करने की शक्ति भी इनमें छिपी है। ऐसे ही कुछ फूल हैं जिनके नियमित सेवन से आप स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
केवड़ा: इसके पुष्प दुर्गंधनाशक होते हैं।

इसका तेल श्वांस विकार में लाभदायी है। सिरदर्द व गठिया में इसका इत्र प्रभावकारी है। कुष्ठ रोग, चेचक, खुजली, हृदय रोगों में इसकी मंजरी को पानी में उबालकर, स्नान करके इससे लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

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इसका अर्क पानी में डालकर पीने से सिरदर्द एवं थकान दूर होती है।

गुड़हल:

यह मधुर, शीतल एवं मूत्रल है। खूनी दस्त, हृदय रोग, दाह व उन्माद रोग में यह लाभकारी है। गुड़हल का फूल गर्भ में पलने वाले शिशु को पुष्टि प्रदान करता है इससे क्षय रोग नहीं होता। गुड़हल के फूलों को घी में भूनकर महिलाओं को खिलाने से मासिक स्त्राव आसानी से बंद हो जाता है। इन्हें पीसकर तेल में उबालकर बालों में लगाने से बाल तेजी से बढ़ते हैं।

चंपा:

इसके फूल कड़वे, अग्निवर्धक और चर्म रोगों में लाभदायी होते है। हृदय एवं मस्तिष्क को शक्ति देते हैं। कुष्ठ, चोट, रक्त विकार आदि रोगों में इसका लेप लाभप्रद है। चंपा की कलियां पानी में पीसकर चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे, झाइयां दूर हो जाती हैं। सुजाक में भी चंपा के फूल लाभदायक है।

चमेली:

इसके फूलों का सेवन करने से विषाक्त भोजन का प्रभाव दूर हो जाता है। इसके फूलों का रस (एक से तीन मिली) तीन दिन तक पीने से मुंह से खून निकलना बंद हो जाता है।

बेला:

इसके फूल शीतल तथा कान, मुंह एवं नेत्र रोगों में लाभकारी हैंै। खूनी दस्तों में इसकी ठंडाई हितकारी है। कुछ दिन तक बेला की कलियां नियमित खाने से मासिक धर्म साफ आता है। यह घावों की सूजन दूर करने की रामबाण दवा है। बालों के लिए हितकारी और शरीर की जलन, मूत्र संबंधी रोगों, बवासीर, गर्भाशय आदि की शिकायतों को दूर करता है। यह पुष्प मनुष्य की स्मरण शक्ति बढ़ाने में भी असरकारक है।

सुरजमुखी:

यह पुष्प सूर्य की रोशनी न मिलने के कारण होने वाले रोगों को रोकता है। इसका तेल हृदय रोगों में कोलेस्ट्रोल को कम करता है।

कमल:

इसकी लाल, सफेद व नीली किस्में शीतल, शुक्रवर्धक व केशवर्धक है। इनमें वात, पित्त, कफ, दाह, रक्तविकार, हृदयरोग, टीबी आदि बीमारियों का नाश करने वाले रसायन होते हैं। बवासीर में मिश्री के साथ कमल के फूलों की ठंडाई लाभकारी है।

पलाश:

इसके फूल वातकारक, कफ, पित्त, रक्तविकार, प्यास, जलन, कुष्ट व उदर पीड़ा को दूर करते हैं। पानी के साथ पीसकर, लुगदी बनाकर पेट पर रखने से पथरी के कारण दर्द होने या मूत्र न उतरने की स्थिति में इसके फूल मूत्रल का कार्य करते हैं। इसका चूर्ण पेट के कीड़ों को नष्ट करता है।

गेंदा:

खूनी बवासीर में गेंदा लाभदायक है। पेशाब की पथरी को भी गलाकर निकाल देता है। इस फूल से होम्योपैथी की एक प्रसिद्ध दवा ‘टिचर कैलिंडुला’ बनती है जो एंटीसेप्टिक है। इसका उपयोग मरहम तथा जख्म भरने में होता है।

कचनार:

इसके फूल शीतल, हल्के तथा पित्त, क्षय, खांसी, दस्त, बवासीर, पेशाब की बीमारी में लाभदायक हैं।

हरसिंगार:

हरसिंगार के फूल कड़वे, भूख बढ़ाने वाले, सूजन दूर करने वाले तथा बालों की जड़ों को मजबूती देते हैं। इसका लेप चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाता है।

जूही:

पेट का अल्सर दूर करने में जूही के फूलों का चूर्ण हितकारी है। मानसिक परेशानी, चिड़चिड़ेपन में इसकी सुगंध फायदा करती है। जूही के फूलों के संपर्क में रहने के गुण अलग-अलग होते हैं। जूही के फूल शीतल, पचने में हल्के, हृदय के लिए हितकारी, चर्मरोग, मुख रोग और नेत्र रोग में लाभकारी होते हैं। इसका ताजा फूल दस्तावर होता है जबकि सूखे फूल दस्त रोकते हैं।

गुलाब:

चक्कर आने या बेचैनी में गुलाब का फूल गुणकारी है। गुलाब से बना गुलकंद शरीर तथा पेट की गर्मी शांत करके दुर्बलता दूर करता है। इसका तेल बैक्टीरियारोधी है, इसलिए आंखों की बीमारियों के उपचार में काम आता है।

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