Dera Sacha Sauda -Editorial

भाईचारक सांझ का प्रतीक है डेरा सच्चा सौदा -सम्पादकीय

परम पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज के पवित्र मुख के वचन कि ‘यह जो सच्चा सौदा बना है, यह किसी इन्सान का बनाया हुआ नहीं है। यह सच्चे पातशाह हमारे मुर्शिदे-कामिल दाता सावण शाह जी महाराज के हुक्म से स्वयं खुद खुदा ने बनाया है।’ पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज का यह सच्चा सौदा सर्वधर्म संगम की प्रत्यक्ष मिसाल है।

यहां हर धर्म-जाति के लोग, अमीर-गरीब, धर्म-मजहब, भाषा आदि हर तरह के भेदभाव को भुलाकर एक जगह पर बैठकर अपने-अपने धर्म के अनुसार परमपिता परमात्मा, उस ओम की चर्चा करते हैं। हर धर्म-जाति के लोग यहां पर इकट्ठे बैठकर ही अपने अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड, खुदा, रब्ब की भक्ति करते हैं, कोई रोक-टोक नहीं। इस तरह ‘हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हम सभी हैं भाई-भाई’ की प्रत्यक्ष मिसाल है यह सच्चा सौदा।

डेरा सच्चा सौदा विभिन्न संस्कृतियों की रंग-बिरंगी फुलवाड़ी है। सच्चा सौदा रूपी यह फुलवाड़ी यह भी संदेश देती है कि सारी खलकत एक ही परमपिता परमात्मा की औलाद है। धर्मों के रास्ते बेशक अलग-अलग हैं, लेकिन सबकी मंजिल, सबका उद्देश्य एक ओम, हरि, अल्लाह, मालिक, परमपिता परमात्मा की भक्ति-इबादत करना व उसे पाना है। इस प्रकार डेरा सच्चा सौदा आपसी भाईचारा बनाए रखने तथा प्रेम-प्यार का ही संदेश देता है।

एक हकीकत है सच्चा सौदायहां पर (सच्चा सौदा में) सच्ची इन्सानियत का पाठ पढ़ाया जाता है। परमपिता परमात्मा, अल्लाह, खुदा, राम के रास्ते में, परमपिता परमेश्वर की भक्ति में नफरत, ईर्ष्या, दूई-द्वेष आदि के लिए कोई जगह नहीं है। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने सच्चे मुर्शिदे-कामिल पूजनीय हजूर बाबा सावण शाह जी महाराज के हुक्मानुसार (ब्यास से सरसा में आकर (कि जा मस्ताना बागड़ को तार, तुझे बागड़ का बादशाह बनाया। सरसा में जा, डेरा, कुटिया बना और लोगों को राम-नाम जपा, लोगों का उद्धार कर) सरसा में बेगू रोड (शाह सतनाम जी मार्ग) पर 29 अप्रैल 1948 को सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी।

डेरा सच्चा सौदा के बारे पूजनीय बेपरवाह सार्इं जी ने वचन फरमाए कि ‘ये वो सच्चा सौदा है जो आदिकाल से चला आ रहा है। सच्चा सौदा कोई नया धर्म, मजहब या कोई नई लहर नहीं है। सच्चा सौदा सच का सौदा है। सच है ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड, खुदा, रब्ब और सौदा है उस एक परमपिता परमात्मा का बिना दिखावे, बिना पाखण्ड किए और बिना किसी दान-चढ़ावे के नाम जपना, मालिक, परमपिता परमात्मा की भक्ति करना।’ आप जी ने सन् 1960 तक 12 सालों में हजारों लोगों को सच्चा सौदा का सच बताकर परमपिता परमेश्वर का नाम बताया और उन्हें नशे, हरामखोरी आदि बुराइयां छुड़ाकर हक-हलाल, मेहनत की कमाई करने का संदेश दिया और उन्हें सचखंड का अधिकारी बनाया।

समय पाकर यानि पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के समय में साध-संगत हजारों से बढ़कर लाखों में हो गई। बड़े भंडारों के समय साध-संगत इतनी ज्यादा पहुंचती कि शाह मस्ताना जी धाम में तिल धरने की भी जगह नहीं रहती थी। पूजनीय परमपिता जी ने बाहर रेत के टीलों वाली जमीन पर नया डेरा बनाने का वचन फरमाया। यही बेपरवाह सार्इं जी के भी इन्हीं टीलों के बारे वचन थे कि ‘यहां पर आलीशान दरबार बनेगा, दुनिया खड़-खड़ के देखेगी।’ इन्हीं बेपरवाही वचनों के अनुसार पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने सन् 1993 में डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र शाह सतनाम जी धाम सरसा की स्थापना करके उन बेपरवाही वचनों को सच साबित किया। डेरा सच्चा सौदा आज देश-विदेश के सभी धर्म-जात के करोड़ों लोगों (डेरा सच्चा सौदा से आज लगभग सात करोड़ साध-संगत जुड़ी हुई है) की आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

‘सच्चा सौदा तारा अखियां दा, साडे दिल दा चैन सहारा ए…।’ यह सच्चाई डेरा सच्चा सौदा के प्रत्येक श्रद्धालु से सुनी जा सकती है। पूज्य गुरु संत डॉ. एमएसजी की पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा पावन बेपरवाही वचनानुसार दिन-दोगुनी-रात चौगुनी, कई गुणा तरक्की के मार्ग पर अग्रसर है। पूज्य गुरु जी के पावन मार्ग-दर्शन में डेरा सच्चा सौदा का नाम आज पूरी दुनिया में सूर्य की भांति चमक रहा है। -सम्पादक

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