Do not let bitterness in married life - sachi shiksha

दांपत्य एक ऐसा रिश्ता है जो मीठे-कड़वे अनुभवों से भरा हुआ है। इस रिश्ते में सब कुछ मीठा भी सामान्य सा नहीं लगता, न ही मात्र कड़वाहट अच्छी लगती है। यह रिश्ता विश्वास और अपनेपन पर ही टिक सकता है। जहां विश्वास टूटा तो इस पवित्र रिश्ते में दरार पड?े में समय नहीं लगता।

दोनों में से कोई भी किसी भी बात को तिल का पहाड़ बना दे तो अच्छी भली चलती नाव डगमगाने लगती है। इस नाव को डगमगाहट से बचाने के लिए दोनों को अपनी कमियों को दूर करने में ही भलाई है। अपने में लाए कुछ परिवर्तनों से यदि आपकी नैया संभलती है तो देरी किस बात की। मंडराती नैया को अब से ही शुरू कर दें संभालना।

ध्यान दें पति

  • पत्नी के मायके जाने पर उसे रोक टोक न करें।
  • पत्नी की मांगों को बिना सोचे समझे मना न करें। जो आपकी जेब खुशी से स्वीकारे, उसे पूरी करें, जो न स्वीकारे, सुनने के बाद उसे प्यारपूर्वक समझाएं।
  • पत्नी यदि आत्मनिर्भर बनना चाहे तो उसे सहयोग करें।
  • दूसरों के सामने पत्नी की कमियों का बखान न करें। कोई कमी महसूस होने पर अकेले में प्यार से समझाएं।
  • पत्नी के जन्मदिन को न भूलें। बीच-बीच में छोटे-छोटे उपहार उसकी पसंद को ध्यान में रखते हुए देते रहें।
  • पत्नी के बनाए खाने में बिना मतलब के मीन मेख न निकालें। कोई कमी रह गई हो तो कभी-कभी समझौता कर लें।
  • यदि पत्नी कामकाजी है तो घर के कामों में थोड़ा हाथ बंटवायें।
  • बच्चों, नौकर या परिवार के सदस्यों के सामने उसे शर्मिन्दा न करें।
  • पत्नी के द्वारा निकाले कपड़ों के चुनाव का मजाक न उड़ायें। उसकी पसंद के कपड़ों को पहनें।
  • अपने जूते, टाई, मोजे, रूमाल इधर उधर फैला कर न रखें। उन्हें उचित स्थान पर संभालें।
  • गीले तौलिये को बिस्तर पर न छोड़ें।
  • पहले से तय कार्यक्र म में आखिर समय में परिवर्तन न करें।
  • पत्नी किसी पुरुष सहकर्मी से बात कर रही हो तो उसे शक की निगाह से न देखें। साथ काम करने पर बातचीत करना स्वाभाविक है।
  • पत्नी को प्यार के नाम से बुलायें जो आप द्वारा ही दिया गया हो। इससे उसे आप और अपनत्व दिखा सकते हैं।

पत्नी के लिए

  • पत्नी को चाहिए अपनी चादर देखकर ही पैर फैलायें। फिजूलखर्ची न करें।
  • मायके वालों के सामने अपनी आर्थिक समस्याओं के रोने न रोएं।
  • पति की कमियों को दूसरों के आगे उजागर न करें।
  • घर आए मेहमान का स्वागत खुशी से करें।
  • देर से घर आए पति पर आते ही प्रश्नों की बौछार न करें।
  • पति को नीचा दिखाने के लिए पर पुरुषों की प्रशंसा न करें। तुलना हमेशा कलह का कारण होती है।
  • भोजन बनाते समय पति की पसंद नापसंद का ध्यान रखें।
  • घूमने जाते समय पति की पसंद की साड़ी या सूट पहनें। पति द्वारा लाए उपहार की अपेक्षा न करें।
  • पति पर हावी न हों। अपनी सलाह दें पर उसे निर्णय लेने को मजबूर न करें।
  • पति से बिना पूछे उनके जरूरी कागज, पत्रिकाएं आदि इधर उधर न रखें।
  • पति को अपना पिछलग्गू न बनायें। उसे भी स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार है।
  • पति पर शक न करें। शक एक ऐसा घुन है जो दांपत्य जीवन को खोखला कर देता है।
  • पति के परिवार वालों की बुराई या कमियां बार-बार न गिनाती रहें।
  • बच्चों और नौकरों के सामने पति को पूरी इज्जत दें।

दोनों के लिए

दोनों को चाहिए कि पुरानी गलतियों और पुराने झगड़ों को बार-बार न दोहराया जाये। इस नाजुक रिश्ते में अहम् को आड़े न आने दें। दोनों को एक दूसरे के सगे संबंधियों और सहकर्मियों का खुले मन से स्वागत करना चाहिए। दोनों को चाहिए कि यदि एक को गुस्सा आ रहा है तो दूसरा चुप रहे। मौका आने पर दूसरे की गलती का अहसास प्रेमपूर्वक करवायें। दोनों को अपनी गलती मानने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। पति पत्नी एक गाड़ी के दो पहिए हैं। खराब होने पर उनकी मरम्मत भी मिल-जुल कर करनी चाहिए। दोनों को एक दूसरे के प्रति प्रेम और विश्वास रखना चाहिए।

-नीतू गुप्ता

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