ससुराल की खुशहाली के लिए

ससुराल की खुशहाली के लिए
युवक या युवती शादी के बाद कई रिश्तों और जिम्मेदारियों से बंध जाते हैं। उन रिश्तों और जिम्मेदारियों को अगर हंसते हंसते निभाया जाए तो ससुराल में खुशहाली का माहौल बना रहेगा और अगर ससुराल वाले खुश तो स्वयं भी खुश रह पाएंगे। वैसे हर दुल्हन शादी से पूर्व कुछ बातों (भ्रम) को लेकर तनाव-ग्रस्त रहती है कि क्या मैं नए परिवार में खरी उतर पाऊंगी या नहीं! ऐसे विचार दिल और दिमाग को झकझोरते रहते हैं।

आइए जानें कुछ टिप्स, विशेषज्ञों के अनुसार:-

परिवार में हम उम्र को बनाएं दोस्त:

अपनी उम्र के ननद,देवर, कजन्स के साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करें। उनके साथ दिखावा न करते हुए नेचुरल व्यवहार करें। यह खूबी आपके ननद, देवर और रिश्तेदारों को खूब पसंद आयेगी।

घर के बुजुर्गों को प्यार और सम्मान दें:

घर में दादी-दादा, नानी-नाना, बुआ आदि अगर कोई बुजुर्ग साथ रहता हो, तो उनके साथ कुछ समय बिताएं, थोड़ी बातें करें, उनके साथ छोटी बच्ची बनकर रहें, उन्हें अच्छा लगेगा। उन्हें इज्जत देना न भूलें। प्रतिदिन उनके चरण-स्पर्श कर आशीर्वाद लें।

बच्चों को प्यार करें:

बच्चों को खुश करना आसान होता है, उन्हें ढेरों प्यार दें। बच्चे खुश तो माता-पिता भी खुश रहेंगे।

घर के शेष सदस्यों को घरवालों जैसा प्यार दें:

बुआ-फूफा, चाचा-चाची, जेठ-जेठानी, ननद-ननदोई, मामा-मामी, मौसा-मौसी आदि रिश्तेदार हों, इन्हें अपने परिवार का अंग मानें। जब भी मिलना हो उन्हें प्यार और घर के बड़ों की तरह इज्जत दें ताकि वे खुश रहें और आपके इस मधुर व्यवहार को याद रखें।

चेहरे पर मुस्कान बना कर रखें:

चेहरा हमेशा मुस्कुराता रहे, इसका जरूर प्रयास करें। मुस्कुराता चेहरा चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा देता है। अगर आप मुस्कुराएंगे तो घर के हर सदस्य का चेहरा भी खिला रहेगा।

यह समझें शादी केवल पति से नहीं, परिवार से हुई:

भारतीय शादियां दो परिवारों को जोड़ती हैं, इसलिए आप भी समझें कि आपकी शादी उस परिवार के बेटे से नहीं, बल्कि पूरे परिवार के साथ भी हुई है। इसलिए पति को ही नहीं, बल्कि सारे परिवार में खुशी बांटना आपकी जिम्मेदारी है।

खुश रहना स्वयं के हाथ:

स्वयं खुश रहना आपके अपने हाथ में है। अगर छोटी-छोटी बातों में खुशियाँ ढूंढगें तो स्वयं भी प्रसन्न रहेंगे और परिवार को भी प्रसन्न रखेंगे। अपने नए परिवार को प्यार और खुशियों से भर दें, क्योंकि अब वही आपके अपने हैं। इस सोच को ही अपनाएं।

सुपरवुमन न बनें:

नई बहू को चाहिए कि वो उतनी ही जिम्मेदारियां उठाए, जिन्हें हंसते हुए आराम से पूरी कर सके। सुपरवुमन बनने के चक्कर में स्वयं को चिड़चिड़ा न बनाएं और न ही अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करें। अगर काम अधिक नहीं आता तो सासू मां के साथ मदद करें और धीरे धीरे सीखने का प्रयास करें।

कुछ बनाना नहीं आता तो स्पष्ट कहें, मम्मी जी आज आप बनाएं, मैं आपसे सीखूंगी और अगली बार मैं बनाऊंगी आप देखना। -सुनीता गाबा

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