बच्चे बनें मेमरी मास्टर
बच्चे बनें मेमरी मास्टर
वैसे तो बच्चों की याददाश्त बड़ों से अधिक तेज होती है पर कई बच्चे बाकी बातें तो याद रख लेते हैं पर पढ़ाई को उतना अच्छा याद नहीं रख पाते हैं।
कुछ...
अनामी ये वाली आई मौज मस्तानी -129 वां पावन अवतार दिवस (कार्तिक पुर्णिमा) मुबारक
ढहा दिया, बना दिया, ये बेपरवाही खेल 12 साल तक देख-देख कर दुनिया अचंभित होती रही। लोगों में यह बात प्रसिद्ध हो गई कि वो सच्चे सौदे वाले बाबा जी आए हैं जो मकान बनवाते...
सतगुरु जी ने बख्शी अपनी अपार रहमतें -सत्संगियों के अनुभव
सतगुरु जी ने बख्शी अपनी अपार रहमतें -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार कृपा
एसडीओ श्री करम सिंह जी इन्सां पुत्र स. जलौर सिंह जी, निवासी गांव नानकसर जिला फरीदकोट...
मेरा सतगुरु ‘मोया राम’ नहीं, वो ‘जिंदाराम’ है
फरवरी 1960 में मेरी शादी हुई। जब शादी हुई तो मेरे पति बीमार थे। वह इतने बीमार थे कि कुछ खाते-पीते नहीं थे। हर कोई कहता था कि ये बचेंगे नहीं, चोला छोड़ेंगे। उन दिनों में बेपरवाह मस्ताना जी महाराज डेरा सच्चा सौदा रानियां में पधारे हुए थे।
‘वयोश्रेष्ठ’ इलमचंद -अद्भुत खेल प्रतिभा के लिए उपराष्टÑपति वैंकेया नायडू ने किया सम्मानित
‘वयोश्रेष्ठ’ इलमचंद -अद्भुत खेल प्रतिभा के लिए उपराष्टÑपति वैंकेया नायडू ने किया सम्मानित
वयोश्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित 84 वर्षीय युवा इलमचंद इन्सां कहते हैं कि मेरा जीवन हमेशा से इतना खुशनुमा नहीं था। एक वक्त...
मानसून में रखें ख्याल, तो आनन्द होगा दोगुना
मानसून में रखें ख्याल, तो आनन्द होगा दोगुना
बरसात का मौसम भला किसे अच्छा नहीं लगता! लेकिन यह मौसम एक तरफ जहां सुखद आनन्द लेकर आता है, वहीं इस मौसम में कुछ परेशानियां भी होती...
Success Tips: कामयाबी के लिए हो दमदार आइडिया
कामयाबी के लिए हो दमदार आइडिया Success Tips
आॅनलाइन बाजार की दुनिया भी बहुत बड़ी है। कम लागत में यहां बहुत कुछ किया जा सकता है। बस जरूरत है एक अलग सोच और नजरिये की।...
यह रुपए हराम के थोड़े ही हैं
सत्संगियों के अनुभव :- पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने करवाई सोझी
‘‘ यह रुपए हराम के थोड़े ही हैं ’’
तू गरीब आदमी है, यह सौ रुपया तू अपने घर काम में प्रयोग कर लेना।...
जन्म मनुष्य का लिया, ओ तूने नाम प्रभु का ना लिया। ऐसे जन्म का...
रूहानी सत्संग: पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी धाम, डेरा सच्चा सौदा सरसा
जन्म मनुष्य का लिया, ओ तूने नाम प्रभु का ना लिया।
ऐसे जन्म का कद्र ना पाए, हाय तूने ये क्या किया।।
मालिक की साजी-नवाजी...
कार्यालय में काम करने के दौरान
एक निजी स्कूल में अध्यापिका का काम करने वाली फाल्गुनी अक्सर अपनी बेढंगी वेशभूषा और बातूनीपन की वजह से अपने छात्र-छात्रओं और सहकर्मियों के बीच मजाक का विषय बन जाती है।