Wife also wants respect

ऐसे पतियों की संख्या अंतहीन है जो पत्नी पर हर समय रौब झाड़ना, उन्हें नौकर की तरह ट्रीट करना और घर बाहर के लोगों के सामने संवेदनहीनता से उनकी बेइज्जती करते हुए उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाना अपना अधिकार समझते हैं।

पहले जब औरतें कमाती नहीं थीं तो वे कमाकर खिलाने के घमंड में आकर ऐसा करते थे लेकिन फिर जैसे यही परंपरा बन गई। इसे वे अपना पौरुष समझ कर करने लगे।

कई बार पति जानते बूझते पत्नी के प्रति इस तरह ही हरकत नहीं करते। वे इस बात से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं कि वे पत्नी के मन को इस तरह यूं आहत कर रहे हैं। कई बार वे सिर्फ मजÞाक के रूप में ही ऐसा कुछ कह देते हैं जो सरासर पत्नी के सम्मान को ठेस पहुंचा जाता है। उनके व्यक्तित्व को कुंठित कर उनमें हीन भावना उपजा देता है।

अगर ऐसे पतियों को इस बात का अहसास दिलाया जाए तो वे अपनी गलती सुधार लेते हैं क्योंकि वे यह सब अनजाने में हल्के रूप में, माहौल में कुछ सरगर्मी लाने के इरादे से ही कर रहे थे। थोड़ी बहुत चुटकी लेने में देखा जाए तो कोई हर्ज भी नहीं। पति पत्नी की कुछ कमजोरियों को लेकर या पत्नी पति की कुछ छोटी मोटी लापरवाहियों को लेकर मजाक न करे तो विवाहित जीवन काफी ऊबाऊ हो जाएगा लेकिन जैसे भोजन सही मात्रा में मसाले डाले जाने से ही स्वादिष्ट होता है और ज्यादा मात्रा होने पर स्वाद गड़बड़ा जाता है, ठीक उसी तरह पति पत्नी के रिश्ते में इस तरह के चुटीलेपन का महत्त्व है।

पत्नी को चाहिए कि पति के इस तरह हर समय उसे नीचा दिखाने के पीछे आखिर उसकी क्या मानसिकता है यह जाने। उसकी कौन सी बात पर वे कैसी प्रतिक्रि या देते हैं, कहीं कमी स्वयं उसी में तो नहीं।

अपनी सोच व व्यवहार का विश्लेषण करते हुए आत्म-मंथन करें। अगर कारण समझ में आ जाए तो जितना संभव हो, निवारण किया जा सकता है। सीधा-सीधा उन्हें कभी ब्लेम न करें। तोहमत न लगाएं। उनका नजरिया भी जानें और समझें। न समझ में आने पर उनसे जानने का प्रयत्न करें।

यह एक तथ्य है कि मां बाप के झगड़ों का बच्चों के मन पर बहुत गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है, आगे जाकर वे संतुलित व्यक्तित्व विकसित नहीं कर पाते। उनका बचपन खोने लगता है। इसलिए यह जिम्मेदारी मां पर ज्यादा है कि वह बच्चों के सामने पति से जबानदराजी न करें।

ऐसा नहीं कि आप पति की ज्यादती, मार पिटाई या शोषण चुपचाप सह लें। नई पीढ़ी में अब पति पत्नी ज्यादातर दोस्तों की तरह ही रहते हैं। तलाक, झगड़ा व मनमुटाव आदि शादी के शुरूआती सालों में ही होते हैं। एक बार जब बच्चे आ जाते हैं और पति पत्नी में प्यार व अपनापन बढ़ने लगता है तो बाकी बातें ज्यादा महत्त्व नहीं रखतीं।

पति की बुराई दूसरों से कभी न करें। मजा लेने वाले बहुत मिलेंगे, सही राय देने वाला कोई नहीं। हां अपनी मां, सास (अगर वे उदार हैं, अंडरस्टैंडिंग हैं) या बड़ी बहन से आप राय मशवरा ले सकती हैं।

काउंसलर को अप्रोच कर सकती हैं। आपके बच्चों की तरह ही आपके पति भी आपके अपने हैं। उनकी गलतियां आप ही को सुधारनी हैं, उन्हें ओवरलुक करना है। अपनी गलतियों का अहसास कराना है। तभी समस्या का हल निकल पायेगा।
-उषा जैन ‘शीरीं’

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