सिम्मी अपने मां-बाप की लाडली बिटिया थी। बचपन में उसकी हर फरमाइश पूरी होती व मां बाप उसके आगे-पीछे घूमते कि उनकी बेटी को किसी तरह का कष्ट न हो। धीरे धीरे सिम्मी बड़ी होती रही।
मां-बाप व्यस्त रहने लगे। सिम्मी अपना काम भी मम्मी-पापा से कराती। स्वयं कुछ न करती। क्योंकि सिम्मी को करने की आदत जो न थी। मां-बाप भी अब उससे द:ुखी रहने लगे कि अपना कार्य तो स्वयं करे। तब उन्हें समझ आया कि हम ऐसा करें ही क्यों कि हमें भी कल ऐसा ही दु:ख उठाने पर मजबूर होना पड़े।
इसलिए अपने बच्चों को उनका स्वयं का काम खुद करने व हर तरह का रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दें।
- ब्रश, पेस्ट, टावल बच्चे की पहुंच के पास हों यानी बच्चा स्वयं ब्रश कर अपना सामान वापस वहीं रखे। ऐसा आपको सिखाना पड़ेगा। इससे बच्चा कुछ मांगेगा नहीं।
- जरूरत का सामान मांगने से पहले ही उसे दें व समझाएं। स्कूली यूनिफार्म, जूते, खिलौने वगैरह सब एक जगह रखें।
- बच्चे को खाना स्वयं खाने की आदत डालें। अक्सर माताएं बहुत बड़े बच्चे को भी अपने हाथ से खिलाती पिलाती हैं। यह गलत है। स्वयं कार्य करने की प्रेरणा दें।
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- छोटा-मोटा सामान नजदीकी दुकान से बच्चों से मंगाती रहें। एक तो उन्हें बचपन में ही शापिंग करनी आ जायेगी। दूसरे डर व संकोच भी खत्म होगा।
- वैसे बचपन में छोटे बच्चों को काम करने का कुछ ज्यादा ही शौक होेता है लेकिन उनके अभिभावक कार्य करने से रोकते हैं। अगर वे करते हैं तो करने दें चाहे गलत ही क्यों न हो। गलत करने के पश्चात् ही बच्चा सीखता है। उसे कार्य करने की प्रेरणा दें व शाबाशी अवश्य दें।
- बच्चों को शुरू से ही शिष्टाचार सिखाएं व रोज ही अच्छी बातों का ज्ञान दें व बार-बार दोहराएं भी। तभी बात बच्चे के दिमाग में बैठती है।
- अक्सर घर का कोई मेम्बर बच्चों का स्कूल का काम स्वयं कर देता है। ऐसा बिलकुल न करें। स्वयं अपने पास बिठा कर बच्चों को गृहकार्य कराएं।
- दूसरों की वस्तु का प्रयोग करने से स्वयं तो बचें ही, बच्चों को भी रोकें।
- बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना व बचत करना भी समझाएं। आगे के लिए उसकी बहुत अच्छी आदत बन जाएंगी।
- रात को टायलेट वगैरह करवा कर बच्चों के हाथ मुुंह धोकर सुलाने की आदत डालें व ऐसा उन्हें स्वयं करने दें। इससे नींद अच्छी आएगी।
-अलका अमरीश चौधरी