संगमरमरी चट्टानों का तीर्थ -भेड़ाघाट पुण्य सलिला नर्मदा के दोनों किनारों पर खड़ी संगमरमरी चट्टानों वाला पर्यटन तीर्थ भेड़ाघाट अपने प्राकृतिक सौन्दर्य और अनोखी छटा के लिए विश्व विख्यात है। यह मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से मात्र 21 किलोमीटर दूर है और समुद्र तल से 408 मीटर ऊंचाई पर है।
यहाँ के अद्भुत सौन्दर्य को देखने के लिए हज़ारों विदेशी पर्यटक यहाँ आते रहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात्रि में यहाँ जो छटा उभरती है, वह आँखों में नहीं समा पाती। यही कारण है कि यहाँ अनेक फिल्मों की शूटिंग हुई है और आज भी चलती रहती है।
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कैसे पहुंचें भेड़ाघाट?
भेड़ाघाट, जबलपुर को इटारसी से जोड़ने वाली मध्य रेलवे लाइन पर स्थित है। भेड़ाघाट में स्वयं छोटा सा रेलवे स्टेशन है जहाँ टेÑनें रुकती हैं। रेलवे स्टेशन से भेड़ाघाट मात्र 5 किलोमीटर दूर है। यहाँ से भेड़ाघाट जाने के लिए टैम्पो, आटो-रिक्शा आदि वाहन मिल जाते हैं।
मुख्य आकर्षण:-
भेड़ाघाट का सर्वाधिक आकर्षक स्थल है ‘बंदर कूंदनी’। नर्मदा के दोनों किनारों पर लगभग 105 फुट ऊंची संगमरमर की रंग बिरंगी चट्टानें खड़ी हैं। इस स्थल पर नर्मदा इतनी सिकुड़ गई है कि एक बन्दर एक चट्टान से छलांग लगा कर नर्मदा को लांघ दूसरी ओर की चट्टान पर जा सकता है। इस सिकुड़े हुए स्थान के मध्य से नाव पर यात्रा करने का सुख शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। मानो उसका एकाकार स्वयं प्रकृति के साथ हो जाता है। दूधिया चट्टानों के अतिरिक्त यहाँ नीले, कत्थई और गुलाबी रंग की शिराएं भी हैं जो सूर्य की किरणों के साथ इन्द्रधनुषी छटाएं बिखेरती हैं।
यहाँ के लोगों में यह विश्वास भी प्रचलित है कि देवराज इंद्र ने नर्मदा को आगे बढ़ाने के लिये इस मार्ग को स्वयं बनाया था। पत्थरों पर उकेरे हाथी के पैरों के चिह्न आज भी दिखाई पड़ते है। मान्यता है कि ये ऐरावत हाथी के चिह्न हैं। एक मान्यता यह भी है कि हनुमान जी जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तब उन्होंने यहाँ छलांग लगा कर मां नर्मदा को पार किया था। तभी से इस स्थान का नाम ‘बंदर कूंदनी’ पड़ गया।
धुआंधार:-
बंदर कूंदनी से लगभग एक किलोमीटर पहले नर्मदा नदी काफी ऊंचाई से चट्टानों पर गिरती है। इस जल स्रोत के गिरने से चारों ओर शुभ्र धुआं सा उठता है। इसी कारण इसे धुआंधार कहा जाता है। यहाँ का दृश्य भी मनमोहक है। यहाँ सैंकड़ों पर्यटक स्रान का आनन्द लेते हैं। हनीमूनर्स यहाँ घंटों पड़े पड़े प्रकृति, जल और मनमोहक वातावरण का आनन्द लेते हैं और भेड़ाघाट में नौका विहार का सुख भी लेते हैं।
पंचवटी घाट:-
यहाँ का सौन्दर्य भी देखते ही बनता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस क्षेत्र में तीन दिवसीय मेला लगता है, जिसमें दूर-दराज से लाखों लोग आकर माँ नर्मदा के पवित्र जल में स्रान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
ग्वारीघाट और तिलवारा घाट:-
मां नर्मदा के दो घाट और हैं जिन्हें ग्वारीघाट और तिलवारा घाट कहा जाता है। इन घाटों पर लोग संस्कारों सम्बंधी पूजा पाठ करने के लिये दूर-दूर से आते हैं। यहाँ मुंडन, पासनी, पिंडदान और क्रि याकर्म भी किया जाता है। धार्मिक तीर्थ के रूप में यहाँ की ख्याति बहुत दूर-दूर तक फैली हुई है। दोनों ही घाट अप्रतिम सौन्दर्य से युक्त हैं।
प्राकृतिक सौन्दर्य के अलावा यहाँ पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्त्व के अनेक स्थान हैं जो अपने आप में रोमांचक इतिहास संजोए हुए हैं। भेड़ाघाट का मनमोहक दृश्य देखे बिना मध्य प्रदेश का सम्पूर्ण पर्यटन पूरा नहीं माना जा सकता। यह सर्वथा दर्शनीय है, अवश्य देखने लायक। -जगदीश किंजल्क