बेटियों का स्वर्णिम पंच बनी बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन
पिछले दिनों दिल्ली के केडी जाधव हॉल में सम्पन्न हुए महिला विश्व चैम्पियनशिप में बॉक्सर नीतू घनघस, स्वीटी बूरा, लवलीना बोरगोहन और निखत जरीन ने सोना जीतकर देश के लिए चार चाँद लगाए। राष्ट्रमंडल खेल गोल्ड मेडलिस्ट नीतू घनघस और एशियाई चैंपियन स्वीटी बूरा ने स्वर्ण पदक हासिल कर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया।
खिताबी मुकाबले में नीतू (48 किग्रा) ने दमदार प्रदर्शन करते हुए मंगोलिया की लुत्सइखान अल्तानसेत्सेग को 5-0 से हराया, वहीं स्वीटी ने 81+ किग्रा के फाइनल में चीन की वांग लिना को 4-3 से मात देकर भारत का परचम लहराया। नीतू ने जीत के बाद अपने परिवार और कोचों, विशेषकर अपने मुख्य कोच भास्कर सर का धन्यवाद किया। वहीं स्वीटी ने प्रशंसकों के प्यार और समर्थन का धन्यवाद किया।
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नीतू और स्वीटी को विश्व चैंपियन बनने पर 82.7 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया गया। बता दें कि विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 65 देशों की कई ओलंपिक पदक विजेताओं सहित 324 मुक्केबाजों ने 12 अलग-अलग भार वर्गों में भाग लिया।
सोना जीतकर लौटी नीतू घनघस और स्वीटी बूरा को माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सम्मानित कर हरियाणा उत्कृष्ट खिलाड़ी सेवा नियम के अंतर्गत ग्रुप-बी की नौकरी का आॅफर लेटर और 40 लाख कैश रिवार्ड दिया गया। सीएम मनोहर लाल ने दोनों खिलाड़ियों की जमकर प्रशंसा की।
मूलरुप से भिवानी के धनाना गांव की रहने वाली नीतू घणघस ने साल 2022 में बर्मिंघम में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वो साल 2018 में एशियन यूथ चैंपियनशिप और विश्व यूथ चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। नीतू के पिता जयभगवान ने बताया कि नीतू ने साल 2012 में कोच जगदीश के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना शुरू किया था।
मूल रुप से हिसार की रहने वाली बॉक्सर स्वीटी बूरा फिलहाल रोहतक में ही रह रही हैं। स्वीटी बूरा के पति दीपक हुड्डा भारतीय कबड्डी टीम के खिलाड़ी है। साल 2009 में उन्होंने मुक्केबाजी शुरुआत की थी। उन्होंने साल 2014 में विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया था। जबकि पिछले दिनों जॉर्डन में हुई एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। भोपाल में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी उन्होंने खिताब अपने नाम किया था। स्वीटी का कहना है कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत अधिक मेहनत की है।
निखत जरीन ने दूसरी बार जीता सोना
तेलंगाना के निजामाबाद की रहने वाली स्टार मुक्केबाज निखत जरीन ने भी वियतनाम की थी ताम नुयेन को 5-0 से हराकर लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियन का ताज अपने सिर सजाया। पिछली बार 52 किग्रा वर्ग में विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली निखत ने इस बार 50 किग्रा वर्ग में दो बार की एशियाई चैंपियन नुयेन को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। निखत विश्व चैंपियनशिप में दो बार स्वर्ण जीतने वाली दूसरी भारतीय मुक्केबाज हैं।
इससे पहले छह बार की विश्व चैंपियन मैरी कॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006), लेखा केसी (2006) और निखत जरीन (2022) भी भारत के लिए यह कारनामा कर चुकी हैं। अब भारत के वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कुल गोल्ड मेडल की संख्या 14 हो गई।
लवलीना ने पहली बार जीता सोना
असम के गोलाघाट जिले के बरोमुख्यिा नामक एक सुदूर गांव की रहने वाली लवलीना बोरगोहेन ने पहली बार महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उन्होंने आॅस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर को 5-2 से हराकर पहली बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया है। उन्होंने 75 किलोग्राम भार वर्ग में देश को गोल्ड मेडल दिलाया। इस उपलब्धि पर असम सरकार ने उसे 50 लाख रुपए का ईनाम देने की घोषणा की। लवलीना ने 2020 ओलंपिक गेम्स में भी भारत को कांस्य पदक दिलाया था।
साल 2012 में अपने स्कूल में भारतीय खेल प्राधिकरण (सार्इं) बॉक्सिंग ट्रायल में भाग लेने के दौरान, लवलीना बोरगोहेन की प्रतिभा ने पदुम बोरो का ध्यान अपनी तरफ खींचा। आखिर में वह उनके बचपन के कोच बने। साल 2017 में इन्होंने कजाकिस्तान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियन में भाग लेकर अपना प्रथम अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन की। जिसमें उन्होंने कांस्य पदक जीता था।